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उत्तर प्रदेश

दो बेटों को देश पर कुर्बान कर चुके बूढ़े दृष्टिहीन पिता बोले- अब भी इतनी ताकत है कि पाकिस्‍तान से बदला ले सकता हूं

दो बेटों को देश पर कुर्बान कर चुके बूढ़े दृष्टिहीन पिता बोले- अब भी इतनी ताकत है कि पाकिस्‍तान से बदला ले सकता हूं
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जगनारायण सिंह पिछले 20 साल से देख नहीं पाते। लेकिन अब वे चाहते हैं कि उनकी आंखों की रोशनी फिर से लौट आए। उन्‍होंने बताया, "मुझमें अभी भी इतनी ताकत बची है कि भारतीय सेना के साथ जाकर मेरे बेटे की मौत का पाकिस्‍तान से बदला लेने के लिए लड़ सकूं। जिस तरह से आतंकी हमारे सैनिकों को मारते है हमें भी उनके साथ ऐसा ही करना होगा।" जगनारायण सिंह के बेटे हवलदार अशोक कुमार सिंह(44) रविवार को उरी में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। सिंह के परिवार पर इस तरह की आपदा पहले भी आई थी। 30 साल पहले 1986 में जगनारायण के बड़े बेटे कामता सिंह की राजस्‍थान के बीकानेर में बम धमाके में मौत हो गई थी।

सिंह परिवार की कई पीढि़यां सेना में शामिल रही हैं। शहीद अशोक कुमार के बेटे विकास सिंह भी हाल ही में सिपाही के रूप में सेना में शामिल हुए हैं। वे इस समय दानापुर कैंट में तैनात हैं। अशोक के दादा राजगृह सिंह और उनके दो चाचा श्‍याम नारायण सिंह ओर रामविलास भी सेना में थे। उनके दो भतीजे भी सेना में हैं। लेकिन जगनारायण को अपने बेटे की मौत को लेकर काफी गुस्‍सा है। जगनारायण ने कहा, "यह उन्‍हीं की सरकार है जो पांच सैनिकों की मौत के बदले दुश्‍मनों के 10 सिर काट लाने की बात करते थे।" अशोक के शहीद होने के बारे में परिवार को सोमवार सुबह जानकारी मिली। एक रिश्‍तेदार सुरेंद्र सिंह ने बताया, "उन्‍होंने हाल ही में बिनागुरी से बटालियन के जाने पर उरी में ज्वॉइन किया था। वे 14 से 29 जुलाई तक घर पर ही थे।"

छुट्टी से जाने के वक्‍त उन्‍होंने पत्‍नी संगीता से कहा था कि नई पोस्टिंग पर घर मिलने के बाद वे उन्‍हें साथ ले जाएंगे। शहीद होने की खबर मिलने के बाद से संगीता और मां राजमन्‍ना देवी का बुरा हाल है। गांव के जितेंद्र सिंह ने बताया, "अशोक 1992 में सेना में गए। रिटायरमेंट के बाद वे गांव में बसना चाहते थे। वे नौजवानों को सेना में जाने की प्रेरणा देते रहते थे।" अशोक सिंह 6 बिहार रेजीमेंट में शामिल थे। उरी हमले में इस रेजीमेंट के 15 जवान शहीद हुए।

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