बिहार की गलतियों से UP में भाजपा ने की 'तौबा'
BY Suryakant Pathak18 Sep 2016 8:38 AM GMT

X
Suryakant Pathak18 Sep 2016 8:38 AM GMT
बिहार में भारतीय जनता पार्टी की खूब किरकिरी हुई, जिसे लेकर पार्टी अब अन्य राज्यों में उक्त गलतियां नहीं दोहराना चाहती। यही कारण है कि पार्टी बिहार की बजाए असम फार्मूला लेकर उत्तर प्रदेश में लागू करने जा रही है। जानकारी के अनुसार भाजपा की टॉप लीडरशिप ने एक नीति तैयार की है, जिसके तहत यह योजना बनाई गई है कि असम की तरह उत्तर प्रदेश में भी चुनावों को केंद्र के लिए जनमत संग्रह के तौर पर आंकने की बजाए राज्य स्तर तक ही रखा जाए। बिहार में भाजपा ने केंद्र की योजनाओं के नाम पर चुनाव लडऩे की कोशिश की थी जो सबसे बड़ी गलती थी।
अन्य दलों से जो नेता पार्टी में आ रहे हैं उन्हें लेकर भी पार्टी आला नेताओं ने रणनीति तैयार की है। नेताओं को दल बदल कर भाजपा में शामिल करवाने पर अधिक जोर देने की बजाए इस बात पर जोर देने की कोशिश की जाएगी कि दल छोड़ कर पार्टी में आने वालों के पार्टी से दूर न जाने दिया जाए। इसके लिए उचित व्यवस्था करने पर जोर दिया जा रहा है।
खासकर जिस दल से वे आए हैं, उसमें वापसी न कर पाएं, ऐसी व्यवस्था पर काम हो रहा है। बिहार में बाहरी राज्यों के मंत्रियों व नेताओं को पार्टी ने मैदान में उतारा, जिसके कारण स्थानीय नेताओं के काम काज में दखलअंदाजी बढ़ गई। यह गलती पार्टी उत्तर प्रदेश में नहीं दोहराना चाहती। फैसला लिया जा रहा है कि बाहरी राज्यों से यू.पी. में प्रचार करने जाने वालों को लोकल नेताओं की कार्य प्रणाली में दखल देने की बजाए उन स्थानों पर लगाया जाए, जिससे लोकल कामकाज प्रभावित न हो। यही नहीं यू.पी. में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी पूरी ताकत का इस्तेमाल किया जा रहा है। संघ के यू.पी. में तीन केंद्र बनाए गए हैं।
लखनऊ, मेरठ व गोरखपुर में बनाए गए उक्त केंद्रों में सीधे तौर पर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबोले का दखल रहेगा। यह केंद्र जनता से सामंजस्य का काम करेंगे। उधर, जानकारी यह भी मिली है कि संघ का उत्तर प्रदेश यूनिट वहां पर बैठकें व नुक्कड़ सभाएं व नाटिकाएं लेकर भी मैदान में उतर रहा है जिनके माध्यम से जनता को भाजपा के पक्ष में मत के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके साथ ही संघ की तरफ से संभावित पार्टी उम्मीदवारों के लिए सर्वे भी करवाया जा रहा है।
Next Story