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उत्तर प्रदेश

मुलायम सिंह यादव के घर में किस भेदी ने आग लगाई ?

मुलायम सिंह यादव के घर में किस भेदी ने आग  लगाई ?
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नई दिल्ली: घर में मचे घमासान के बीच अखिलेश यादव बोले "परिवार एक है, झगड़ा सरकार में है कोई बाहरी व्यक्ति अगर हस्तक्षेप करेगा तो पार्टी और सरकार कैसे चलेगी". उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ये बात लखनऊ में अपने सरकारी बंगले पर कही. अखिलेश के इस 'बाहरी' को सबने अमर सिंह समझा. बात सच भी है. अखिलेश पूरी कहानी का सूत्रधार होने का इशारा अमर सिंह की ओऱ ही कर रहे हैं. अमर सिंह को लेकर उनकी नापसंदगी कभी छिपी नही. परिवार में झगड़ा औऱ मतभेद की बात नयी नही है. लेकिन इस बार झगड़ा कैसे शुरू हुआ, कैसे कैसे शह मात का खेल खेला गया औऱ कहां कहां से होकर कहानी आगे बढ़ी ये अपने आप में बेहद दिलचस्प है.

दरअसल दो दिन पहले इस झगड़े ने जोर पकड़ा परदे के पीछे के एक दूसरे बाहरी आदमी की वजह से. गुजरात कनेक्शन वाले केतन देसाई जो मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के चैयरमैन रह चुके हैं. 12 सितंबर को केतन देसाई दिल्ली में मुलायम सिंह के अशोक रोड वाले बंगले पर मिलने गए थे. उनके हाथ में सीबीआई जांच के आदेश की कॉपी भी थी. जो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवैध खनन को लेकर हाल में ही दिया था. केतन देसाई ने मुलायम सिंह को समझाया " इस जांच की आंच आपकी सरकार पर भी पड़ सकती है, इसीलिए मिनिस्टर को तुरंत हटा दे". जब ये बातें हो रही थी दीपक सिंघल भी वहां मौजूद थे. माइनिंग मिनिस्टर गायत्री प्रजापति को मुलायम ने ही मंत्री बनवाया था. नेताजी की कृपा से प्रजापति खूब फले-फूले. इस मुलाकात के बाद ही मुलायम अपने सबसे करीबी मंत्री को हटाने के लिए तैयार हो गए.

इसी दौरान शिवपाल यादव भी मुलायम सिंह के घर पहुंच गए. उन्हें जैसे ही पता चला गायत्री प्रजापति हटाये जा रहे है, उन्होंने नेताजी से एक और कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह की शिकायत की. कहा " बहुत गड़बड़ियां की है, उनका विभाग बदल दिया जाए". मुलायम ने अखिलेश यादव से फोन पर बात की और दोनों मंत्रियों को बर्खास्त करने को कहा. अखिलेश तो पहले से ही गायत्री से नाराज चल रहे थे लेकिन नेताजी का लिहाज करते हुए चुप थे. उन्होंने तुरंत दोनों मंत्रियों को हटाये जाने की सिफारिश राज्यपाल से कर दी.

गायत्री प्रजापति को अपने हटाये जाने की खबर लगी तो वे सन्न रह गए. उन्हें नेताजी के आस पास के लोगों ने बताया " सिंघल के शिकायत पर आप हटाये गए है". अगले ही दिन
यानी 13 सितंबर को गायत्री प्रजापति भागे भागे मुलायम सिंह से मिलने दिल्ली पहुंचे. उनके पांव पकड़ लिए. और कहा " मुझे दीपक सिंघल ने फंसाया है. उनके कहने पर ही अफसरों ने हाई कोर्ट में एफिडेविट देकर बताया अवैध खनन हो रहा है". मुलायम ने अखिलेश से दीपक सिंघल को फ़ौरन चीफ सेक्रेटरी से हटा देने को कहा. अखिलेश ने नेताजी को समझाया,
ऐसा ठीक नहीं है. लेकिन मुलायम नहीं माने और सिंघल हटा दिए गए. जब ये फैसला हुआ दीपक सिंघल नोएडा में एक मीटिंग में जा रहे थे. वे सब छोड़ छाड़ कर नेताजी से मिलने
दिल्ली भागे. उनकी पत्नी भी उनके साथ थी. मुलायम ने मिलने से मना कर दिया. फिर किसी के समझाने पर उन्होंने सिंघल को बुला लिया. वे बोले " नेताजी मुझे किस बात की सजा मिली " . जब ये बातें हो रही थी अमर सिंह भी पहुँच गए. फिर उन्होंने भी मुलायम को समझाया कि सिंघल को हटाना गलत है. काफी देर तब मुलायम को मनाने का दौर चला. जब अमर सिंह का जलवा था, सिंघल उनके सबसे 'प्रिय' अधिकारी हुआ करते थे. मुलायम ने अखिलेश यादव को फोन लगवाया और कहा कि सिंघल को फिर चीफ सेक्रेटरी बना दो .. बस यहीं अखिलेश के सब्र का बाँध टूट गया. वे बोले " ये कैसे हो सकता है. सवेरे कोई फैसला लें और फिर शाम में पलट जाएँ ". अखिलेश यादव ने अपने पिता को ना कह दी.
फिर शुरू हुआ अमर सिंह का ऑपरेशन. अखिलेश यादव के ना कहने की बात उन्हें चुभ गयी थी. उन्होंने मुलायम सिंह के कान फूंके . बदला लेने का फार्मूला तय हो गया. और फिर
शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का यूपी अध्यक्ष बनाने का फैसला हो गया. नेताजी ने रामगोपाल यादव को अपने घर बुलाया और उनसे ये बात अखिलेश को बताने को कह दिया. रामगोपाल ने अखिलेश को फोन किया और कहा कि ये फैसला पार्टी ऑफिस से जारी करवा दीजिये. अखिलेश ने कहा " आप लोगों ने जब सब तय कर लिया है तो आप ही प्रेस को बता दें" . और पहली बार समाजवादी पार्टी के लखनऊ ऑफिस से मीडिया को इस फैसले के बारे में नहीं बताया गया.

अब बारी जवाब देने की अखिलेश यादव की थी. उन्होंने अपने घर पर तीन अफसरों को बुलाया. और उनमे से एक पार्थ सारथी सेन शर्मा को शिवपाल यादव से सारे बड़े मंत्रालय ले लेने का आदेश बनाने को कहा. कुछ अखिलेश ने अपने पास रखा और सिंचाई, सहकारिता, राजस्व जैसे भरी भरकम विभाग दुसरे मंत्रियों में बाँट दिए. इसकी चिट्ठी देर रात राज्यपाल को भी भेज दी गयी. और ईमेल से पत्रकारों को भी बता दिया गया.

परदे के पीछे के एक बाहरी की मेहरबानी से शुरू हुआ इस बार का झगड़ा अब तक जारी है. अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए अमर अंकल पर सवाल खड़े किये है. अमर सिंह इसमें अपनी कोई भूमिका होने से इन्कार कर रहे हैं. सुलह सफाई के लिए दिल्ली से लखनऊ तक बातों-मुलाकातों का सिलसिला चल रहा है .. इन्तजार इसके द ऐंड का है !

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