पोएट्री के दो दिग्गजों की मुलाकात; नीरज से मिले गुलजार
BY Suryakant Pathak11 Sep 2016 3:34 AM GMT

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Suryakant Pathak11 Sep 2016 3:34 AM GMT
भोपाल.भारत में पोएट्री के दो बड़े दिग्गज जब एक साथ मिले। छोटे ने आदर से बड़े के पैर छुए और कहा कि आप सीनियर और मेरे उस्ताद हो। तब मानो हिंदी पोएट्री की दो धाराओं का ऐतिहासिक मिलन हुआ। भोपाल के जहांनुमा होटल में शनिवार को कमरा नंबर 606 में गुलजार ने गीत ऋषि गोपालदास नीरज से आशीर्वाद लिया। नीरज जी ने भी गर्मजोशी से उन्हें गले लगाया। दोनों 11 सितंबर तक चलने वाले कल्चरल प्रोग्राम GIFLIF (The Great Indian Film and Literature Festival) में शामिल होने आए थे।
पढ़िए दोनों के बीच हुई बातचीत
गुलजार :मुझे पता ही नहीं था कि आप यहां रुके हुए हैं। आप कब आए भोपाल।
नीरज :मैं गुरुवार को आया भोपाल।
नीरज :आप कब आए।
गुलजार :कल शाम को।
गुलजार :कल शाम को।
नीरज :इन दिनों क्या लिख रहे हो
गुलजार :15-5-75 लिख रहा हूं।
गुलजार :15-5-75 लिख रहा हूं।
नीरज :मुझे भेज दीजिएगा।
गुलजार :आपका एड्रेस दे दीजिए, कोई कार्ड हो जिसमें पोस्टल एड्रेस हो।
नीरज अपने असिस्टेंट राम सिंह यादव से:गुलजार जी को पोस्टल एड्रेस बता दो।
रामसिंह :कौन-सा लखनऊ या अलीगढ़ वाला।
गुलजार :लखनऊ वाला।
गुलजार :आपका एड्रेस दे दीजिए, कोई कार्ड हो जिसमें पोस्टल एड्रेस हो।
नीरज अपने असिस्टेंट राम सिंह यादव से:गुलजार जी को पोस्टल एड्रेस बता दो।
रामसिंह :कौन-सा लखनऊ या अलीगढ़ वाला।
गुलजार :लखनऊ वाला।
गुलजार :मैं आपके एड्रेस पर किताबें भेजता हूं। आप लखनऊ लिटरेचर फेस्टिवल में आ रहे हैं ना।
नीरज :हां आऊंगा।
नीरज :हां आऊंगा।
नीरज :ये आरुषि क्या है, कहां है।
गुलजार :आरुषि स्पेशल बच्चों की संस्था है। यह भोपाल में है और मैं इससे जुड़ा हुआ हूं। वॉलेंटियर के रूप में। उन बच्चों की मुस्कान मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद है।
गुलजार :आरुषि स्पेशल बच्चों की संस्था है। यह भोपाल में है और मैं इससे जुड़ा हुआ हूं। वॉलेंटियर के रूप में। उन बच्चों की मुस्कान मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद है।
नीरज :मुझे भी कभी ले चलिएगा।
गुलजार :जरूर जब आप अगली बार आएंगे या कहेंगे तब हम चलेंगे।
गुलजार :जरूर जब आप अगली बार आएंगे या कहेंगे तब हम चलेंगे।
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