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उत्तर प्रदेश

हाईकोर्ट की रोक के बाद भी पट्टा होने के साक्ष्य सीबीआइ के हाथ लगे

हाईकोर्ट की रोक के बाद भी पट्टा होने के साक्ष्य सीबीआइ के हाथ लगे
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लखनऊ : अवैध खनन की प्रारम्भिक जांच कर रही सीबीआइ को ढेरों ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे कई खान अधिकारियों, भूवैज्ञानिकों व खनन बहुल जिलों के डीएम रहे चुके आइएएस अधिकारियों पर शिकंजा कसने के संकेत हैं। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में 12 सितंबर को सुनवाई होनी है।1प्रदेश में तकरीबन 40 जिले खनन बाहुल हैं। बुंदेलखंड, सोनभद्र, मीरजापुर, गोंडा, बहराइच, सीतापुर, बाराबंकी, इलाहाबाद, कौशांबी, फतेहपुर में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की शिकायत हैं। वर्ष 2015-16 में लोकायुक्त के यहां दाखिल हुई परिवाद में अवैध खनन होने की तस्दीक हुई थी लेकिन जांच निष्कर्ष पर पहुंचती इससे पहले परिवादियों ने 'हाथ खड़े' कर दिये। साक्ष्य जुटाने के लिए कोई एजेंसी न होने का हवाला देकर तत्कालीन लोकायुक्त ने जांच बंद कर दी थी, अब जब सीबीआइ ने प्रारम्भिक जांच शुरू की तो उसे ढेरों ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिसमें नर नारायण केस में हाईकोर्ट की रोक के बाद भी बड़ी संख्या में पट्टे जारी हुए। खनिज बहुल जिलों में तैनात रहे तत्कालीन
जिलाधिकारियों ने बाधित अवधि के नाम पर खनन पट्टा की अवधि बढ़ाई और महकमे के अधिकारियों ने मंजूरी प्रदान की। जालौन, फतेहपुर में नदियों पर समानांतर पुल बनाकर अवैध खनन किया गया और अदालत के आदेश पर उसे तोड़े जाने के साक्ष्य भी सीबीआइ के हाथ लगे हैं। फतेहपुर खनन माफिया द्वारा नदी की धारा मोड़ देने के मामले में तत्कालीन कमिश्नर, डीएम के निलंबन के साक्ष्य सीबीआइ ने जुटाए हैं। सूत्रों का कहना है कि जिन खान अधिकारियों की तैनाती के दौरान पहाड़ों को जमीदोज करते समय कई-कई मजदूरों की मौत हुई, उन अधिकारियों की लगातार खनिज बहुल जिलों में तैनाती के साक्ष्य भी जुटा लिये हैं। सीबीआइ उन खान अधिकारियों व भूवैज्ञानिकों की कारगुजारी खंगाल रही है जो बसपा सरकार के दौरान हुए स्मारक घोटाले में दोषी पाये गये थे फिर भी उन जिलों में तैनात हैं, जहां अवैध खनन के सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। सूत्रों का कहना है आठ-आठ साल के एक जिले में तैनात अधिकारियों की जांच पड़ताल हो रही है। जो अधिकारी सीबीआइ के रडार पर हैं, उनके खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान में भी शिकायतें हुई हैं। अवैध खनन को लेकर कई जनहित याचिका दाखिल कर चुके वरिष्ठ अधिवक्ता एके कालरा का कहना है कि अवैध खनन से नदियों की धारा मुड़ गई है। पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। आवश्यकता होने पर सीबीआइ को साक्ष्य सौंपा जाएगा।
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