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उत्तर प्रदेश

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा काडर एवं सेवा आवंटन नियमों में संशोधन से एससी / एसटी / ओबीसी/ अल्पसंख्यक वर्ग के साथ पक्षपात होने की आशंका : शिवपाल

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा काडर एवं सेवा आवंटन नियमों में संशोधन से एससी / एसटी / ओबीसी/ अल्पसंख्यक वर्ग के साथ पक्षपात होने की आशंका : शिवपाल
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लखनऊ : शिवपाल सिंह यादव ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के काडर एवं सेवा आवंटन नियमों में संशोधन करने के केंद्र सरकार के फैसले की जम कर मलामत की बोले यूपीएससी एक स्वायत्त संस्था है, ऐसे में इसकी एक निष्पक्ष छवि बनी हुई है, अगर सरकार इस तरह का फैसला लेती है तो इसके बाद सिर्फ यूपीएससी में अर्जित अंक ही काडर एवं सेवा आवंटन का आधार नहीं रह जाएगा। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा पहले से ही सर्वग्राही व समावेशी है, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार द्वारा विस्तृत पैमाने पर समग्र मूल्यांकन किया जाता है ।

वर्तमान चयन प्रणाली अच्छी तरह से चल रही है और इसमें पक्षधरता की सम्भावना नहीं है। सरकार के इस फैसले से डर और दबाव में रह रहे एससी / एसटी / ओबीसी/ अल्पसंख्यक वर्ग के साथ पक्षपात होने की आशंका है। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि पूर्व की व्यवस्था,जिसमें सभी वर्गों का विश्वास है, उसे बनाए रखें ।
क्या है पीएमओ का सुझाव
पीएमओ का कहना है कि इससे कैंडिडेट का बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा और उनके मुताबिक कैडर और सेवा दी जा सकेगी. फिलहाल सिविल सर्विस एग्जाम पास करने वाले अभ्यार्थियों के लिए आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस सहित कुछ 24 सेवा क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं. यूपीएससी एग्जाम में रैंक के आधार पर ये तय किया जाता है कि किसे कौन सी सेवा दी जाएगी.
कैडर निर्धारित होने के बाद आईएसएस और आईएफएस अभ्यार्थियों को मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल आकादमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है. वहीं अन्य लोगों को मसूरी, हैदराबाद और भोपाल भेजा जाता है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से प्राधिकरण और मंत्रालयों को भेजे गए पत्र में कहा गया, "पीएमओ ने सेवा क्षेत्र और कैडर को फाउंडेशन कोर्स के बाद तय करने पर विचार करने को कहा है."
क्या पड़ेगा असर?
सरकार के इस सुझाव पर कुच्छ लोगो का कहना है कि ये कोई बुरा आइडिया नहीं है, जबकि कुछ का कहना है कि इससे सर्विसेस बांटने में मारा मारी हो जाएगी और चमाचागिरी का बोल बाला बढ़ जाएगा. इसके साथ ही ये भी आशंका जताई जा रही है कि ऐसा करके सरकार मनपसंद कैंडिडेट्स को अपनी मनपसंद जगह तैनात करने की कोशिश करेगी.

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