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आत्महत्या करने वाले किसानों से घर जाएंगे अखिलेश यादव, खजुराहो से लखनऊ यात्रा की रद्द
BY Anonymous20 May 2018 6:01 AM GMT

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Anonymous20 May 2018 6:01 AM GMT
पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मध्यप्रदेश यात्रा से सीधे लखनऊ लौटने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है. अखिलेश अब खजुराहो से सीधे सड़क मार्ग से महोबा पहुंचेंगे. यहां अखिलेश करहरा गांव में किसानों के घर पहुंचेंगे. यहां कई किसानों ने आर्थिक तंगी और सरकारी बेरुखी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. अखिलेश यादव आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार वालों से मिलेंगे. इस दौरान किसान परिवारों से मुलाकात कर सांत्वना प्रकट करेंगे. पहले उन्हें सीधे खजुराहो से लखनऊ आना था.
पिछले दिनों अखिलेश यादव ने लखनऊ में कहा था कि बीते साल भर में किसान विरोधी नीतियों बनाई गई जिससे किसानों को नुकसान हुआ है. आत्महत्या करने वाले किसानों में कर्ज न चुका पाने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है. बीते साल भर में अकेले महोबा जिले में 27 किसानों ने कर्ज न चुका पाने की वजह से आत्महत्या की.
अखिलेश ने कहा कि यह सरकार सिर्फ किसानों की कर्ज माफी का ढिंढोरा पीटती फिरती है लेकिन सच्चाई इसके उलट है. उन्होंने कहा कि किसानों और नौजवानों द्वारा हताशा, कर्ज और बेरोजगारी के कारण आत्महत्या किए जाने के प्रति भाजपा सरकार की संवेदनहीनता लोकतंत्र के लिए बहुत दुःखद है. नौजवानों को रोजगार देने के बजाय उनकी नौकरियों से बड़ी संख्या में छंटनी की जा रही है.
बता दें महोबा में ओलावृष्टि से चौपट हुई फसल का मुआवजा नहीं मिलने से क्षुब्ध कुछ किसानों ने आत्मदाह कर जान दे दी थी . पुलिस के अनुसार सदर कोतवाली के करहरा कलां गांव निवासी किसान राजबहादुर श्रीवास (42) पांच बीघा जमीन का काश्तकार था. उसने 20 बीघा जमीन गांव के अन्य लोगों से बंटाई पर लेकर खेती की थी. एक माह पहले हुई भीषण ओला वृष्टि में राजबहादुर की अपनी फसल के साथ ही बटाई पर लिए गए दूसरे के खेतों में बुआई से लेकर खाद बीज आदि की व्यवस्था करने के लिये ब्याज पर रकम लेनी पड़ी. इससे उसे गहरी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा था. आर्थिक तंगी के कारण उसे इन दिनों परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा था.
उन्होंने बताया कि मृतक की पत्नी सुधा ने बताया कि ओला वृष्टि से पीड़ित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए शासन द्वारा मुआवजा वितरित किए जाने से उसकी मुसीबतें कम होने की उम्मीद जगी थी. मृतक ने मुआवजे के लिए पिछले कई दिनों तक तहसील के चक्कर लगाये लेकिन हर रोज खाली हाथ वापस लौटने से उसका धैर्य जवाब दे गया और उसने देर शाम शरीर पर केरोसिन छिड़क आग लगा ली. घटना के समय वह घर में अकेला था. इसी गांव में एक दिन पहले किसान ठाकुरदास अहिरवार (45) ने भी मुआवजा नहीं मिलने से परेशान होकर आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
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