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उत्तर प्रदेश

जवाहरबाग कांड :अखिलेश यादव सरकार के रवैये पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराज़गी जताई

जवाहरबाग कांड :अखिलेश यादव सरकार के रवैये पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराज़गी जताई
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इलाहाबाद: मथुरा के जवाहरबाग में हुई हिंसा के मामले में यूपी की अखिलेश यादव सरकार के रवैये पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराज़गी जताते हुए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में यूपी पुलिस द्वारा एक सौ एक लोगों के खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट को तलब कर लिया है. अदालत ने इस बात पर गहरी नाराज़गी जताई है कि हाईकोर्ट के अठारह जुलाई के आदेश के बावजूद यूपी सरकार ने अभी तक न तो धरने की परमीशन मांगने के लिए दी गई रामवृक्ष यादव की अर्जी की कापी अदालत में पेश की है और न ही तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी परमीशन के लेटर को.

जमा नहीं हो सका किसी का भी एफिडेविट

इतना ही नहीं यूपी सरकार अभी तक न तो रामवृक्ष यादव के खिलाफ आई शिकायतों की संख्या, उन पर दर्ज हुई एफआईआर की डिटेल्स और मुकदमों में दाखिल चार्जशीट की कापियों को भी कोर्ट में पेश नहीं कर पाई है. अठारह जुलाई के आदेश में हाईकोर्ट ने साल 2014 से अब तक मथुरा में तैनात रहे पुलिस व प्रशासन के सभी बड़े अफसरों से हलफनामा भी पेश करने को कहा था, लेकिन अदालत में आज तक किसी का भी एफिडेविट जमा नहीं हो सका है, जबकि अदालत ने यह सभी रिकॉर्ड और हलफनामे एक अगस्त तक जमा करने के आदेश दिए थे.

shivpal akhilesh

नहीं की रोकने की कभी कोई कोशिश

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकार के इस रवैये पर नाराज़गी जताते हुए तीन अक्टूबर को अंतिम सुनवाई करने का फैसला किया है. अदालत ने कहा है कि अगर अंतिम सुनवाई से पहले कोर्ट द्वारा मांगे गए रिकॉर्ड्स व हलफनामे नहीं आते हैं तो यह माना जा सकता है कि रामवृक्ष और उसके साथी जवाहरबाग में अवैध तरीके से दाखिल हुए थे और अफसरों ने उन्हें रोकने की कभी कोई कोशिश नहीं की थी.

सीबीआई जांच की कोई ज़रुरत नहीं

आज की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने अदालत को बताया कि दो जून को जवाहरबाग में हुई हिंसा के मामले में यूपी पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर मथुरा की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस चार्जशीट में एक सौ एक लोगों को आरोपी बनाया गया है. अदालत ने अगली सुनवाई पर चार्जशीट की कॉपी अदालत में पेश किये जाने के साथ ही इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को भी इसकी कॉपी दो हफ्ते में दिए जाने को कहा है. एडवोकेट जनरल ने अदालत को यह भी बताया कि मामले की न्यायिक जांच के लिए गठित जस्टिस मुर्तुजा आयोग ने जांच पूरी होने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, इसलिए इस मामले में अब सीबीआई जांच की कोई ज़रुरत नहीं है.

चाचा शिवपाल को बचाने के लिए

चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से अदालत को यह भी बताया गया कि सरकार की तरफ से इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ही पक्ष रखेंगे. सीबीआई जांच की मांग को लेकर अर्जी दाखिल करने वाले बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अदालत में आज फिर दोहराया कि यूपी के ताकतवर कैबिनेट मंत्री और सीएम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव इस मामले में खुद ही आरोपों के घेरे में है, इसलिए यूपी पुलिस की जांच से पूरा सच सामने नहीं आ सकता. उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को अदालत में आज फिर से दुहराया और कहा कि चाचा शिवपाल को बचाने के लिए ही सरकार इस मामले में न तो अदालत का आदेश मान रही है और न ही खुद सीबीआई जांच की सिफारिश कर रही है.

पीएम मोदी और बीजेपी विरोधी भी माने जाते हैं राजू रामचंद्रन

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक़ चाचा शिवपाल को बचाने के लिए ही सीएम अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन की मदद का फैसला किया है. राजू रामचंद्रन पीएम मोदी और बीजेपी विरोधी भी माने जाते हैं. वैसे यूपी के सीएम अखिलेश यादव और उनके मंत्री चाचा शिवपाल के बीच पिछले दिनों अनबन की ख़बरें सामने आई थी, लेकिन आरोपों में घिरे चाचा के बचाव के लिए सीएम अखिलेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट से राजू रामचंद्रन को बुलाए जाने से साफ़ है कि दोनों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल चुकी है और अब सब कुछ ठीक हो गया लगता है.

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