जी-20 में भारत को मिली पहली कतार में जगह, चीन ने मोदी को दिया श्रेय

कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है, लेकिन जी-20 सम्मेलन के ग्रुप फोटो के हजारों अर्थ निकाले जा सकते हैं कि ताकत और प्रभाव के मामले कौन नेता कहां खड़ा है। कम से कम इस बारे में कि चीन क्या सोचता है?
बीजिंग स्थित प्रतिष्ठित रेनमिन यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ के विश्लेषण के मुताबिक ग्रुप फोटो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली कतार में जगह मिलना, चीन की नजरों में उनकी ताकत और प्रभाव को दर्शाता है। इससे साबित होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के डायरेक्टर वांग झी ने झेंजियांग ऑनलाइन से बातचीत में इस पर प्रकाश डाला है।
वांग ने अपने विश्लेषण में कहा है कि हर कतार में नेताओं की पोजिशन केंद्र से किनारे की ओर बढ़ती है और इसका पैमाना उनके पद संभालने का कार्यकाल होता है।
मोदी के नेतृत्व में बढ़ा भारत का कद
विश्लेषण के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 13 नेताओं के साथ पहली कतार में जगह मिली है। इसी पंक्ति में एंजेला मर्केल भी हैं, जोकि अगले सम्मेलन की मेजबान हैं।
वांग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली पंक्ति में जगह मिलना चीन की नजरों में उनके बढ़ते कद को दिखाता है। इससे साबित होता है कि चीन, भारत को एक विकासशील देश और उभरती ताकत के रूप में देखता है।
उन्होंने कहा कि पहली कतार में मोदी को जगह मिलना यह दिखाता है कि चीन जी-20 के भविष्य को लेकर क्या सोचता है। चीन यह देखना चाहता है कि विकासशील और उभरते देशों को जगह देने से जी-20 की संरचना में बदलाव के लिए कैसे मदद मिलती है।
चीन की 'ट्रायको' फ्रेमिंग
वांग ने कहा कि भविष्य में जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे, तो पाएंगे कि हांगझोऊ जी-20 सम्मेलन ऐतिहासिक घटना रही है। उन्होंने कहा कि नेताओं का खड़ा होना मेजबान देश के साथ उनकी अंतरंगता को दिखाता है। हालांकि मेजबान देश सामान्य फ्रेमवर्क के मुताबिक इसमें बदलाव कर सकता है।
प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ के मुताबिक ग्रुप फोटो में नेताओं की पोजिशनिंग को सोच समझकर तैयार किया गया है, 'ट्रायको' नेताओं को केंद्र में जगह दिया जाना जी-20 की शॉर्ट टर्म नीतियों और इमरजेंसी को लॉन्ग टर्म पॉलिसी और सिस्टम में बदलने की ओर इंगित करता है।
गौरतलब है कि अगले जी-20 सम्मेलन की मेजबान एजेंला मर्केल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दाएं खड़ी हैं, जबकि पिछले सम्मेलन के मेजबान तुर्की के प्रेसिडेंट एर्दोगन उनके बाएं खड़े हैं। यही फ्रेमिंग 'ट्रायको' है और ऐसा पहली बार हुआ है।