आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे मराठा
BY Suryakant Pathak7 Sep 2016 7:03 AM GMT
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Suryakant Pathak7 Sep 2016 7:03 AM GMT
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा दबदबा रखने वाले मराठा समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए हैं. विरोध प्रदर्शन तो अहमदनगर के कोपार्डी गांव में एक नाबालिग की गैंगरेप के बाद हत्या के विरोध में शुरू हुआ था, लेकिन अब लोग इसी मंच का इस्तेमाल मराठाओं के लिए आरक्षण मांगने को लेकर कर रहे हैं.
मराठी लड़की के गैंगरेप और मर्डर के बाद शुरू हुए थे प्रदर्शन
जिस लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या हुई, वह मराठी थी जबकि आरोपी दलित हैं. इसी को लेकर दलितों के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश भी हुई. मराठा समुदाय के जो लोग सड़कों पर उतरे हैं, उसमें से ज्यादातर युवा हैं या महिलाएं. खास बात है कि इन बड़े मोर्चों का नेतृत्व न तो कोई नेता कर रहा है और न कोई राजनीतिक पार्टी. जिससे महाराष्ट्र की पार्टियों का परेशान होना भी स्वाभाविक है. राजनीति के जानकर इस आंदोलन की तुलना गुजरात के पाटीदार आंदोलन से भी कर रहे हैं.
शिक्षा मंत्री बोले- सरकार मांगों पर कर रही है विचार
मराठा आरक्षण पर बनी कमेटी के कनवीनर और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि ये मोर्चे राजनीतिक नहीं है. ये प्रदर्शन सामाजिक मुद्दों को लेकर हो रहे हैं. आप इनमें एक भी नेता को नहीं देख पाएंगे. राज्य सरकार ने उनकी मांगों पर संज्ञान लिया है और हमारी सरकार इस पर काम कर रही है.
जानें मराठाओं के ये प्रदर्शन क्यों राजनीतिक तौर पर अहम है...
1. महाराष्ट्र की जनसंख्या में सिर्फ मराठाओं की हिस्सेदारी 32 फीसदी है.
2. मराठा सिर्फ संख्या के मामले में ही आगे नहीं है. राज्य में राजनीति से लेकर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स, शुगर फैक्ट्ररीज और को-ऑपरेटिव सेक्टर तक सबसे ज्यादा मराठाओं का ही दबदबा है.
3. अहमदनगर में जो मार्च निकाला गया, उसमें लाखों लोग शामिल हुए.
4. बीड में जो रैली निकाली गई, उसमें लगभग 5 लाख लोग शामिल हुए.
5. इसी तरह की रैलियां लातूर, सोलापुर और अमरावती में भी निकालने की योजना है.
6. इसी महीने मुंबई में एक बड़ा मोर्चा बनाने का भी प्लान है, जिसमें 25 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है.
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