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उत्तर प्रदेश

1995 के बहुचर्चित गेस्ट हाउस केस की आज सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई

1995 के बहुचर्चित गेस्ट हाउस केस की आज सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट में आज एक ऐसे केस की अंतिम व निर्णायक सुनवाई है, जिसमें आने वाला फैसला अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। दोष सिद्ध होने पर मुलायम, शिवपाल और आजम खान, बेनी प्रसाद जैसे नेताओं के चुनाव लड़ने की मंशा पर पानी फिर सकता है। केस की पीड़ित बसपा मुखिया मायावती हैं। लिहाज इस केस के फैसले के मद्देनजर मायावती-मुलायम और शिवपाल से लेकर आजम खान तक के दिल की धड़कनें तेज हो चलीं हैं। यह केस है 23 साल पुराना लखऩऊ का बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड। जिसमें मायावती ने सपा नेताओं ने जानलेवा हमला करने का केस दर्ज कराया था।

क्या है गेस्ट हाउस कांड

1993 के चुनाव के बाद सपा-बसपा गठबंधऩ की सरकार बनी तो मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री हुए थे। कुछ समय बाद दोनों दलों में खटपट शुरू हो गई। इस बीच मायावती ने सरकार से अलग होने का फैसला किया तो सपा नेता भड़क गए। आरोप है कि मुलायम के इशारे पर सबने लखऩऊ के मीराबाई रोड स्थित गेस्ट हाउस पर धावा बोल दिया। उस समय यहां मायावती पार्टी के कुछ नेताओं संग मंत्रणा कर रहीं थीं। पार्टी के नेताओं ने मायावती से हाथापाई करने के साथ कपड़े भी फाड़ दिए थे। उस समय भाजपा नेता ब्रह्मदत्त दि्वेदी और लालजी टंडन ने किसी तरह मायावती से सपा नेताओं के चंगुल से बाहर निकाला था। तब जाकर मायावती की जान बच सकी थी।

गेस्ट हाउस में आग लगाकर मायावती को जलाने की थी योजना

घटना के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सपा कार्यकर्ता गेस्ट हाउस को आग में झोंकना चाहते थे। जब मायावती ने कमरे में खुद को बंद कर लिया तो कार्यकर्ता दरवाजा तोड़ने लगे। पूरी तरह से सपा कार्यकर्ता मायावती की जान लेने पर आमादा थे। घटना के बाद जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज हुआ। इस केस में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, आजम खान, वरिष्ठ सपा नेता धनीराम वर्मा, बेनी प्रसाद वर्मा सहित कई सपा नेताओं पर केस दर्ज हुआ। उस समय सीबीसीआइडी ने जांच शुरू की। शुरूआत में मामला हाईकोर्ट में चला और बाद में सुप्रीम कोर्ट तक केस खिंच गया। 23 साल बाद अब केस में फैसला होना है। मंगलवार को आखिरी और निर्णायक सुनवाई का दिन है। अब देखना है कि सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट फैसले को रिजर्व रखता है या फिर जल्द ही निर्णय जारी करेगा।

घटना ने माया-मुलायम को सियासी ही नहीं निजी दुश्मन बना दिया

गेस्ट हाउस कांड की घटना ने माया की नजर में मुलायम को दुश्मन नंबर वन बना दिया। इस घटना के बाद से मायावती की जुबान पर हमेशा मुलायम नाम लेने से पहले गुंडा विश्लेषण लगातीं रहीं। सपा को भी गुंडे-बदमाशों की पार्टी मायावती कहती आई हैं। जब 2014 में मोदी लहर से बसपा का सूपड़ा साफ हुआ। वहीं बिहार में दो धुर-विरोधी लालू और नितीश मोदी को रोकने के लिए गले मिले तो तीसरे मोर्चे के लालू यादव ने मायावती और मुलायम को एक होने की अपील की। मुलायम ने भी मायावती के पास मिलकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खड़ा करने का प्रस्ताव भेजा। मगर मायावती गेस्ट हाउस कांड नहीं भूलीं और साफ कह दिया कि भले ही बसपा एक भी सीट न जीते मगर वह सपा के साथ आने की कभी गलती नहीं करेंगी।

गेस्ट हाउस पर लिखी गई किताब

दो जून 1995 की घटना का जिक्र अजय बोस ने अपनी किताब बहनजी में किया है। किताब के पेज नंबर 104 और 105 में इस घटना का पूरा लाइव विवरण दर्ज है।

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