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उत्तर प्रदेश

राहुल गांधी की यात्रा से किसकी होगी खटिया खड़ी?

राहुल गांधी की यात्रा से किसकी होगी खटिया खड़ी?
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लखनऊ। कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने देवरिया जिले के रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से किसान महायात्रा की शुरुआत कर उत्तर प्रदेश का चुनावी बिगुल फूंक दिया है। देवरिया से दिल्‍ली तक लगभग 2500 किमी की यात्रा के दौरान राहुल जगह-जगह किसानों के साथ 'खाट चौपाल' को संबोधित कर यूपी के पिछड़ेपन का सवाल उठाएंगे।

इसके लिए 300 खाट (चारपाई) ट्रक द्वारा दिल्‍ली से रुद्रपुर के सतासी इंटर कॉलेज में भेज दिया गया है। राहुल गांधी के सामने चुनौतियां बड़ी हैं। जैसे, क्‍या वो इस बार यूपी में भाजपा और सपा को पटखनी दे पाएंगे? क्‍या 'खाट' के बहाने राहुल गांधी यूपी में कांग्रेस के 'ठाट' वापस ला पाएंगे?

राहुल गांधी की प्रतिष्‍ठा दांव पर

मिशन 2017 को लेकर यह आइडिया भले ही प्रशांत किशोर का हो लेकिन दांव पर लगी है राहुल गांधी की इज्‍जत। इस मिशन के तहत खाट पर बैठ कर राहुल का इरादा किसानों के दिल में उतरने का है।

आपको बता दें कि इस समय गोरखपुर, बस्‍ती और आजमगढ़ मंडल की 12 लोकसभा सीटों में से 11 पर भाजपा का कब्‍जा है। जबकि एक सीट सपा के पास है। ऐसे में मोदी की हवा पंचर कर पाना राहुल के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी।

देवरिया से क्‍यों कर रहे है शुरुआत?

एक समय में पूर्वांचल कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। मौजूदा वक्‍त में कांग्रेस अब गायब सी हो गई है। देवरिया से इस महायात्रा के शुरुआत की खास वजह यह हो सकती है कि देवरिया यूपी का अंतिम छोर है। उसके बाद बिहार शुरू हो जाता है। ऐसे में किसानों के साथ बैठक यह संदेश देने की कोशिश होगी कि कांग्रेस उनकी मांगों और जरूरतों को लेकर गंभीर है। इसके अलावा देवरिया के रुद्रपुर से कांग्रेस के कद्दावर नेता अखिलेश प्रताप सिंह विधायक हैं। कांग्रेस के राज में केंद्र में मंत्री रह चुके आरपीएन सिंह भी इस क्षेत्र से आते हैं। इसके अलावा जो एक मुख्‍य कारण है वो ये भी है कि पूर्वांचल (खासकर देवरिया, गोरखपुर, बस्‍ती, आजमगढ़) किसान बहुल क्षेत्र है। ऐसे में किसान यात्रा के बहाने उन्‍हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश की जाएगी।

खाट ही क्‍यों?


बदलते हुए समय में खाट अब लगभग गायब हो चुकी है। लेकिन आपको बता दें कि ये खाट आजादी की लड़ाई से लेकर किसान यूनियन के नेता महेंद्र सिंह टिकैत तक के सफर का गवाह रहा है। खाट को खेती, किसानी और गांव का प्रतीक माना जाता है।
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