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उत्तर प्रदेश

आदमखोर बाघ पर चार को मारने का आरोप, सजाए- उम्रकैद

आदमखोर बाघ पर चार को मारने का आरोप, सजाए- उम्रकैद
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दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मैलानी रेंज में बीते कई महीनों से दहशत का कारण बने आदमखोर बाघ को आखिर पकड़ ही लिया गया। अब तक वन विभाग के अफसर इस हमलावार को बाघिन बता रहे थे। बुधवार दोपहर लगभग तीन बजे बाघ को ट्रैंक्युलाइज किया गया। फिर आधे घंटे तक इंजतार करने के बाद जब अफसर बाघ के पास पहुंचे तो उन्होंने राहत की सांस ली। खास बात यह रही कि बाघ का डेथ वारंट जारी होने के कुछ घंटे बाद ही उसे ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ लिया गया।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक उमेंद्र शर्मा ने बुधवार दोपहर बाघ को आदमखोर घोषित करने का पत्र जारी किया था। दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मैलानी रेंज तहत खरेहटा बीट के छेदीपुर गांव के आसपास सक्रिय इस बाघ पर चार ग्रामीणों को मार डालने का आरोप है, जो जांच में सिद्ध भी हो चुका है।

बाघ ने गांव के टीकाराम और बाबूराम की हत्या करने के बाद मंगलवार को कठिना पुल के पास भरिगवां निवासी 60 वर्षीय जानकी प्रसाद को भी हमला कर मार दिया था। बाघ के हमलों में लगातार लोगों के मारे जाने के बाद वन विभाग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इससे और इंसानों की जान को खतरा हो सकता है।

मौत की सजा मुकर्रर कर दी गई

इसके चलते वन विभाग को इसे आदमखोर घोषित करना पड़ा। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के प्राविधान के अनुसार बाघ के खात्मे के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ओमेंद्र शर्मा ने नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ के उप निदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला और मुख्य वन सरंक्षक ईको डेवलपमेंट पीपी सिंह को नामित किया था।

इसके साथ ही इसके लिए मौत की सजा मुकर्रर कर दी गई, लेकिन गिरफ्तारी के बाद इसकी जान बच गई है। अब इसे लखनऊ के चिड़ियाघर में आजन्म कारावास की सजा काटनी पड़ेगी। उसे पिंजरे में बंद कर लखनऊ ले जाया गया। बाघ के ताबड़तोड़ हमलों में ग्रामीणों की मौत से छेदीपुर और आसपास के गांवों में दहशत है।

मंगलवार को जानकी प्रसाद की मौत के बाद ग्रामीणों ने पीलीभीत-बस्ती रोड पर शव रखकर जाम लगा दिया था। मृतक जानकी प्रसाद के आश्रितों को जब रेंजर डीएस यादव गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें भी घेर लिया था। बाघ के बढ़ते आतंक और ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए बाघ को आदमखोर घोषित करना मजबूरी बन गई थी।

इस वजह से कर रहा था इंसानों पर हमला

ट्रैंक्युलाइज करने के बाद बाघ एक्सपर्ट डॉ उत्कर्ष शुक्ला ने पड़ताल की तो वह नर बाघ निकला। प्रथम दृष्टया बाघ किसी बीमारी से पीड़ित प्रतीत हो रहा है, जिसका परीक्षण और इलाज लखनऊ के चिड़ियाघर में किया जाएगा।
-वाईपी शुक्ला, डीएफओ साउथ।

केनाइन टूटे होने की वजह से कर रहा था इंसानों पर हमला
बाघ को पकड़ने के लिए आई लखनऊ की टीम में शामिल वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ डॉ. मसूख चटर्जी ने फिलहाल बाघ को आदमखोर मानने से इंकार करते हुआ कहा कि लखनऊ में पूरी स्वास्थ्य जांच होने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा। डॉ. चटर्जी ने बाघ के पकड़े जाने के बाद अमर उजाला से कहा कि लगभग तीन से साढ़े तीन वर्ष के बाघ का ऊपर का दांत (केनाइन) टूटा हुआ है, हो सकता है कि बाघ इसी कारण बड़े शिकार को छोड़कर छोटे शिकार कर रहा हो। हालांकि उसने दो पड्डे भी मारे हैं, जिससे अभी कुछ कहना संभव नहीं है।

बड़ी चूक: बाघिन बताते रहे पकड़ा गया बाघ
वन विभाग के अधिकारी टाइगर मानीटरिंग के दौरान लगातार तीन ग्रामीणों की हत्या करने वाले जानवर को बाघिन बताते रहे। पगमार्क देखकर वन अधिकारियों ने दावा किया था कि हमलावर बाघिन है। वन विभाग के अधिकारियों ने तो यहां तक दावा किया था कि बाघिन गर्भवती है, लेकिन जिसे ट्रैंकुलाइज किया गया वो बाघ निकला।

ऐसे में या तो वन विभाग सही ढंग से हमलावर जानवर की पहचान नहीं कर पाए या कहीं दूसरा बाघ तो ट्रैंक्युलाइज नहीं हो गया। यह सवाल लोगों के जेहन में घूम रहा है। उधर हटाए गए डीएफओ संजय बिस्वाल कहते हैं कि अभी तक जो पगमार्क मिले वह स्पष्ट नहीं थे, एक पगमार्क कुछ ठीक नजर आया, जो बाघिन जैसा था, जिसे देखने से ही भ्रम हुआ था। बुधवार की सुबह यह स्पष्ट हो गया था कि नर बाघ ही है।

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