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वाड्रा जमीन सौदे पर ढींगरा आयोग ने सौंपी रिपोर्ट

वाड्रा जमीन सौदे पर ढींगरा आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
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नई दिल्ली: रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदे की जांच के लिए बने जस्टिस ढींगरा आयोग ने आज अपनी रिपोर्ट हरियाणा सरकार को सौंप दी है. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में जस्टिस ढींगरा ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर और पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा पर सख्त टिप्पणी की है. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में जस्टिस ढींगरा ने वाड्रा और हुड्डा पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश भी है.

रॉबर्ट वाड्रा पर दर्ज हो सकता है केस: सूत्र
एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में रॉबर्ट वाड्रा के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक दोनों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के तहत मामला तक दर्ज हो सकता है.

सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में हरियाणा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा समेत अनेक सरकारी अधिकारियों पर तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख कर प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. इसमें सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी भी शामिल बतायी जा रही है.

रिपोर्ट में वाड्रा पर क्या हैं आरोप ?
गौरतलब है कि वाड्रा पर आरोप है कि उनकी कंपनी स्काईलाइट ने जो जमीन गुरूग्राम के शिकोहपुर में साढे सात करोड रुपये में खरीदी थी, वही जमीन लैंड यूज चेंज होने के बाद 55 करोड रूपये से ज्यादा में बेच दी.

कुछ ऐसे ही आरोप हुड्डा सरकार के दौरान दूसरी कंपनियों पर भी लगे हैं. सूत्रों के मुताबिक जिन कंपनियो को ये सीएलयू सर्टिफिकेट दिए गए उनकी कीमतो में जिस दर से जमीन खरीदी गई थी उनमें पांच सौ से लेकर आठ सौ प्रतिशत तक का इजाफा हुआ.

सूत्रों ने बताया कि अपनी रिपोर्ट में जस्टिस ढींगरा ने साफ तौर पर कहा है कि अनेक प्रभावशाली कंपनियो को जिनमें राबर्ट वाड्रा की कंपनी भी शामिल है उन्हें सीएलयू यानि चेंज आफ लैंड यूज सर्टिफिकेट जारी किए गए जिसके चलते जमीनो की कीमते बढ गई. सीएलयू सर्टिफिकेट का मतलब है खेती की जमीन पर व्यवसायिक इस्तेमाल की अनुमति देना.

सूत्रों ने बताया कि आय़ोग ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग अधिकारियो की भूमिका पर भी सवाल उठाए है और इस विभाग की जिम्मेदारी देख रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को भी कठघरे में खडा किया है.

सूत्रों के मुताबिक आयोग ने गुरूग्राम के सेक्टर 83 समेत गांव शिकोह पुर गांव सिकदंरपुर खेडकी दौला और सिही में जमीनो को वाणिज्यक लाइसेंस दिए जाने की जांच की है. अपनी जांच के दौरान ढीगरा आय़ोग ने राबर्ट वाड्रा की कंपनी से सीधे नाता रखने वाली कंपनियो और अन्य प्राइवेट लोगो से भी पूछताछ की है.

सूत्रों के मुताबिक आय़ोग ने 50 लोगो से ज्यादा लोगो से पूछताछ की और इनमें दो दर्जन सरकारी अधिकारी भी शामिल है. इनमें से अनेक लोगो के बयान गवाहों के तौर पर और अनेक लोगो के बयान पार्टी के तौर पर दर्ज किए गए है.

कब और क्यों बना ढींगरा आयोग ?
आपको बता दें कि हरियाणा की खट्टर सरकार ने 14 मई 2015 को हरियाणा, खासकर गुरुग्राम और उसके आसपास की विवादास्पद जमीन सौदों की जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का गठन किया था. इस आयोग को जून 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी लेकिन अंतिम समय पर आय़ोग के सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज आ गए और उसके आधार पर आयोग को जांच के लिए आठ सप्ताह का और समय मिल गया.

अब गेंद हरियाणा सरकार के पाले में

ढींगरा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई जमीन सौदों की जांच की लेकिन लोगों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी रॉबर्ट वाड्रा और भूपिंदर सिंह हुड्डा के केस में हैं. जस्टिस ढींगरा आयोग ने जांच के दौरान राबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को भी पेश होने के नोटिस जारी किए थे लेकिन दोनों पेश नही हुए थे. अब धींगरा आयोग की रिपोर्ट के बाद गेंद हरियाणा सरकार के पाले में हैं और उसे तय करना है कि रॉबर्ट वाड्रा और भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ क्या कार्रवाई करनी है.

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