दुआ करें कि आप यूपी में बीमार न पड़ें, कहीं कंधे तो कहीं गोद में मर रहे मरीज

सूबे में गरीबों के मुफ्त इलाज के दावे की पोल खोलती ये तस्वीरें कानपुर और लखनऊ की हैं। कानपुर के हैलट अस्पताल में स्ट्रेचर न मिलने पर जहां एक पिता को अपने बेटे की लाश कंधे पर ढोनी पड़ी।
आखिर में बीमार बेटे ने पिता के कंधे पर दम तोड़ दिया। अमर उजाला.कॉम पर इस घटना का वीडियो शुक्रवार को चला दिया गया था जिसके वायरल होते ही इस पर एक्शन लिया गया। मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमएस को सस्पेंड कर दिया है वहीं पीएम मोदी ने कानपुर के डीएम राज कौशल से रिपोर्ट मांगी है।
हमारी गरीबी का मजाक बना दिया...
भाई कामता बताते हैं कि ट्रॉमा में जांच के बाद मंगलवार तड़के चार बजे डॉक्टरों ने लोहिया अस्पताल भेज दिया। सुबह नौ बजे तक लोहिया अस्पताल में इलाज चला और उसके बाद डॉक्टरों ने उसे फिर ट्रॉमा सेंटर के लिए रेफर कर दिया।
सुबह करीब ग्यारह बजे दोबारा ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तो डॉक्टरों ने पहले कराई हुई जांच रिपोर्ट देखने के बाद ओपीडी जाने की सलाह दे दी। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डॉक्टरों ने देखा और बताया कि पहले फेफड़े की जांच करा लो उसके बाद मरीज को भर्ती करवाओ। कामता ने बताया कि जांच कराने के लिए पहुंचे इससे पहले ही मरीज की मौत हो गई।
सीएमएस को नहीं है जानकारी
बनवारीलाल की मौत हो चुकी थी। परिवारीजन बिलख रहे थे। बेटा अर्जुन बेसुध था। बस मौत की पुष्टि होनी बाकी थी। पुलिसकर्मियों ने बनवारीलाल को रिक्शे पर लदवाकर ट्रॉमा सेंटर भिजवाया और डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि की मुहर लगा दी।
बनवारी के भतीजे रामू का आरोप है कि डॉक्टर इलाज करने के बजाय एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और एक विभाग से दूसरे विभाग दौड़ाते रहे। हमारी गरीबी का डॉक्टरों ने मजाक बना दिया। पत्नी गिद्दा दहाड़े मार-मारकर रो पड़ी। यही कहती रही बेटे अर्जुन, रामरतन, शिवकरन और बेटी रामजानकी के सिर से पिता का साया उठ गया
सीएमएस डॉ. एससी तिवारी का कहना है कि उनको मामले की जानकारी नहीं है। गंभीर रोगी को इलाज के लिए दौड़ाया गया तो ये गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी।