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उत्तर प्रदेश

अजब यूपी का गजब इलाज : पेड़ से लटकाई ग्लूकोस की बोतलें, खुले आसमान के नीचे लेटे मरीज

अजब यूपी का गजब इलाज : पेड़ से लटकाई ग्लूकोस की बोतलें, खुले आसमान के नीचे लेटे मरीज
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उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बुरे हालात में चल रही हैं, इसके उदाहरण आए दिन सामने आते रहते हैं. ताजा मामला मुरादाबाद का है, जहां की तस्वीरें देखने के बाद प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार की पोल खुलती नजर आ रही है. बता दें कि इन दिनों यूपी के कई जिले वायरल फीवर की चपेट में हैं. इसके इलाज के लिए प्रदेश सरकार हर संभव मदद करने का दावा भी कर रही है, लेकिन मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी ब्लॉक की ये तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं. इलाके में वायरल फीवर की चपेट में आने से हजारों लोग इलाज के लिए तरस रहे हैं और जिन्हें इलाज मिल रहा है, उनका हाल देखकर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने का दावा करने वाले मंत्री और अधिकारी के सिर शर्म से झुक सकते हैं.

मुरादाबाद में झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों के बाहर पेड़ से लटकाई गई ग्लूकोस की बोतलें और खुले आसमान के नीचे चारपाई पर लेटे मरीज, बीमारी सही होने का इंतजार करते तीमारदार और मौके से गायब स्वास्थ्य विभाग के बयान बहादुर अधिकारी. कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही हैं इन दिनों यूपी में इक्कसवीं सदी की स्वास्थ्य सेवाएं हैं.

मुरादाबाद जनपद में इन दिनों वायरल फीवर के चलते हजारों लोग बिस्तर पकड़ चुके हैं. वायरल फीवर ने पूरे जनपद को अपनी गिरफ्त में लिया हुआ है. कुंदरकी ब्लॉक में पिछले एक सप्ताह में पांच बच्चों की मौत वायरल फीवर से हो चुकी है

बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुम्भकर्ण की नींद सोए हुए हैं. हालत इतने बदतर हैं कि कुंदरकी ब्लॉक के गांवों में स्वाथ्य सेवाओं का जिम्मा झोलाछाप डॉक्टरों ने संभाल लिया है.

24 घंटे झोलाछाप डॉक्टरों के खुले क्लिनिक में सैकड़ों मरीज भर्ती हो रहे हैं. खुले आसमान के नीचे चल रहे क्लीनिक में पेड़ों से लटकाई गई ग्लूकोस की बोतलें और पेड़ के नीचे चारपाई पर लेटे मरीज स्वस्थ होने की दुआएं मांग रहे हैं.

जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों का दावा है कि गांवों में कैंप लगाए जा रहे हैं, लेकिन गांववालों का कहना है कि उन्होंने अभी तो किसी कैंप को लगते अब तक नहीं देखा.

कुंदरकी ब्लॉक के दर्जनों गांवों में फैले बुखार के चलते लोग बेहाल हैं. वहीं, गंदगी के ढेर के बीच हो रहे इलाज से दूसरी संक्रामक बीमारियों के फैलने का भी खतरा बना हुआ है. बीमारी के चलते जहां एक और लगातार लोगों की मौत का सिलसिला जारी है.

स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बद से बदतर हैं. कुंदरकी ब्लॉक के नगला हाषा गांव में बनाए जा रहे सरकारी अस्पताल में पांच साल से निर्माण कार्य चल रहा है. पिछले दो महीनों से इस भवन में लोगों ने अपने पालतू जानवर बांध रखे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते पिछले 20 दिनों से लोग बुखार से तप रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई टीम गांव में नहीं आई और ना ही किसी ने उनकी सुध ली. लिहाजा ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं.

जनपद में फैला बुखार, बुखार से मरते लोग और इलाज का इंतजार, ग्रामीणों की नियति बन चुका है. ऐसे में संवेदनहीन हो चुकी सरकारी मशीनरी से उम्मीद लोगों को बेमानी लगती है. ग्रामीण तो जैसे-तैसे इस बुखार से लड़कर अपनी जिंदगी वापस पटरी पर ले आएंगे लेकिन, सालों से निकम्मेपन की बीमारी की चपेट में आया स्वास्थ्य महकमा इससे उबरेगा, इसका जबाब किसी के पास नहीं है.







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