Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

अखिलेश सरकार के चहेते अफसर रमारमण का तबादला, फिलहाल नहीं मिली कोई पोस्टिंग

अखिलेश सरकार के चहेते अफसर रमारमण का तबादला, फिलहाल नहीं मिली कोई पोस्टिंग
X

लखनऊ: अखिलेश यादव सरकार के चहेते अफसर सीनियर आईएएस रमारमण को लेकर हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए यूपी सरकार से नाराजगी जाहिर की थी और खुद रमारमण से पूछा था कि इतनी विवादित जगह पर तमाम झेलने के बावजूद वह आखिर इस पद पर क्यों बने रहना चाहते हैं?

हाइकोर्ट के इस सख्त कदम के बाद नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रमारमण का तबादला कर दिया गया है. अभी तक सीनियर आईएएस रमारमण कोई पोस्टिंग नहीं दी गई है और उन्हें वेटिंग लिस्ट में रखा गया है.

'इतनी जलालत झेलने के बावजूद नोएडा में क्यों रहना चाहते हैं' ?

यूपी की अखिलेश यादव सरकार के चहेते अफसर सीनियर आईएएस रमारमण की तैनाती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार द्वारा उन्हें बनाए रखने पर नाराज़गी जताते हुए खुद रमारमण से पूछा था कि इतनी विवादित जगह पर तमाम झेलने के बावजूद वह आखिर इस पद पर क्यों बने रहना चाहते हैं? इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रमारमण के काम पर लगी रोक को हटाने की यूपी सरकार और रमारमण की अपील को भी नामंजूर कर दिया था.

चीफ जस्टिस दिलीप भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए एनसीआर में रमारमण की नियुक्ति के दौरान हुए ज़मीनों के अधिग्रहण और कोर्ट से उन्हें रद्द करने व रोक लगाए जाने का पूरा रिकॉर्ड तलब कर लिया. कोर्ट ने रमारमण की नियुक्ति के दौरान एनसीआर के तीनों प्राधिकरणों में तैनात दूसरे अफसरों के नाम, उनके कार्यकाल की अवधि और सभी को हटाए जाने की वजह भी पूछी.

यूपी सरकार ने खुलकर किया यादव सिंह का बचाव

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान रमारमण की तरफ से जहाँ करोड़ों की काली कमाई के आरोपी यादव सिंह से किसी तरह का रिश्ता होने से इनकार किया गया वहीं यूपी सरकार ने यादव सिंह का खुलकर बचाव भी किया. यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि यादव सिंह पर लगे ज़्यादातर आरोप बेबुनियाद हैं और इसीलिये सीबीआई को भी कुछ ख़ास कामयाबी नहीं मिल सकी. सीबीआई ने जो बरामदगी की भी है, उनमे से ज़्यादातर संपत्तियां बेनामी हैं या उनका यादव सिंह से कोई रिश्ता नहीं हैं.

कोर्ट ने रमारमण से सीधे तौर पर जानना चाहा कि आखिर वह इतनी विवादित जगह पर तमाम तरह की जलालत झेलने के बावजूद वहां क्यों बने रहना चाहते हैं. कोर्ट ने यूपी सरकार की इस दलील को भी ठुकरा दिया है कि रमारमण की देखरेख में मेट्रो व यमुना ब्रिज का निर्माण चल रहा है. इसपर कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि क्या कोई दूसरा अफसर इन कामों को पूरा नहीं करा सकता है. कोर्ट ने रमारमण के काम पर लगी रोक को वापस लेने से इंकार कर दिया.

जानें कौन है वो ऑफिसर जिनके बिना नहीं चलता अखिलेश यादव का काम?

आखिर कौन है अखिलेश यादव का सबसे करीबी और चहेता अफसर? दावेदार तो कई हैं, लेकिन तस्वीर अब साफ़ हो गयी है. इस अधिकारी के रास्ते में जो भी आया, अखिलेश खुद हमेशा ढाल बन कर खड़े हुए. कोर्ट कचहरी से लेकर जांच की आंच और सीबीआई तक उन्हें नहीं छू पायी. मायावती के राज में भी उनकी खूब चली. अंगद की तरह पिछले छह सालों से वे एक ही जगह पर डटे हुए हैं. क्या मजाल उन्हें कोई हिला दे. उनके मामले में तो मुलायम सिंह यादव तक को पीछे हटना पड़ा.

अखिलेश यादव की आंखों के तारे हैं रमारमण

ना तो बहुत दिमाग लगाने की जरुरत नहीं है, ना ही किसी से पूछने पाछने की. विवादों से दूर रहने वाले नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रमारमण यूपी के सीएम अखिलेश यादव की आंखों के तारे हैं. कुछ ही दिनों पहले तक वे नोएडा अथॉरिटी के चैयरमैन के अलावा ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के भी चेयरमैन थे.

यही नहीं अखिलेश राज में करीब ढाई सालों तक तो वे तीनों ही अथॉरिटी के चैयरमैन और सीईओ भी रहे. आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई शख्स तीनों अथॉरिटी के चैयरमैन के साथ-साथ सीईओ के पद पर भी विराजमान रहा हो.

तीनों अथॉरिटी के सर्वेसर्वा बन गए रमारमण

सितंबर दो हज़ार बारह तक वे सिर्फ ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के ही सीईओ थे. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद राकेश बहादुर को नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन और संजीव शरण को सीईओ से हटना पड़ा. इसके बाद रमा रमण तीनों अथॉरिटी के सर्वेसर्वा बन गए. कहते है उनके आदेश ही नोएडा में क़ानून है.

पिछले ही महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद रमा रमण को बाकी पदों से हटा दिया गया था. वे अब सिर्फ नोएडा अथॉरिटी के सीईओ है. हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार से पूछा था कि "आखिर ऐसा क्या ख़ास है इस अफसर में कि सालों से हर पद पर वही जमे हैं."

कोर्ट के कड़े तेवर के बाद प्रबीर कुमार को नोएडा का सीईओ छोड़ कर सभी चार्ज दे दिए गए. लेकिन महीना भी नहीं बीता और कुमार हटा दिए गए. अंदर की खबर है कि प्रबीर कुमार की रमा रमण से नहीं बनी और फिर उन्हें नोएडा से बाहर कर दिया गया.

लखनऊ से लेकर दिल्ली तक है रमारमण की "पहुंच"

लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सत्ता के गलियारों में रमा रमण की "पहुंच" का लोहा सब मानते है. 1987 बैच के IAS अधिकारी रमण बिहार के बेगूसराय के रहने वाले है. वे बहुत कम बोलते है. और मिलनसार है.

मायावती के राज में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ बनने से पहले वे डेपुटेशन पर केंद्र में तैनात थे. अप्रैल 2010 में वे यूपी आये और पहली पोस्टिंग ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में हुई. उनके रहते हुए ही यादव सिंह दुबारा तीनों अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर बनाये गए. कहते है रामा रमण पर बहिनजी की भी कृपा रही. मायावती के राज में भी कई बड़े अफसरों ने रमण को हटाने की कोशिश की और खुद ही हटा दिए गए.

अखिलेश यादव के राज में तो रमा रमण उनके लिए जरूरी बन गए. जिस बड़े अधिकारी ने रमण के काम में अड़ंगा डाला, या तो अखिलेश ने उन्हें सस्पेंड कर दिया या फिर उन्हें हटा दिया. प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास रहते हुए अनिल गुप्ता ( अभी IAS असोसिएशन के अध्यक्ष ) और सूर्य प्रताप सिंह सिंह ( अब रिटायर्ड ) ने उनकी बात नहीं मानी और चलता कर दिए गए.

Next Story
Share it