13 मरीजों की मौत के बावजूद सीएमओ बोले - डेंगू से एक भी नहीं
BY Suryakant Pathak24 Aug 2016 1:30 PM GMT

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Suryakant Pathak24 Aug 2016 1:30 PM GMT
डेंगू ने अब तक 13 की जान ले ली। अब तक 200 मरीजों को कार्ड टेस्ट में डेंगू पॉजिटिव पाया जा चुका है। मौतें मीडिया में रिपोर्ट हुईं। हंगामे भी हुए।
पर हकीकत क्या है यह अलग बात है।
बहरहाल स्वास्थ्य महकमा तो निजी पैथोलॉजी की रिपोर्टों को नहीं मानता। साफ शब्दों में कहें तो ऐसा डेंगू पॉजिटिव मरीज सरकारी अस्पताल में सरकारी लैब की जांच से पहले मर जाए तो सरकारी दस्तावेज में मौत की वजह डेंगू नहीं माना जाता।
मंगलवार को प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरुण कुमार सिन्हा खबरनवीसों से मुखातिब हुए। मकसद था डेंगू पर स्थिति साफ करने की। पर, सवाल उनसे होते ही, सीएमओ डॉ. एसएनएस यादव सफाई देने में जुट गए।
डॉ. यादव ने दावा किया कि डेंगू से राजधानी में एक भी मौत नहीं हुई। यही नहीं उनका दावा है कि रालोद नेता मुन्ना सिंह चौहान की मौत मल्टी आर्गन फेल्योर से हुई। पर वे यह नहीं बताते कि आखिर मल्टी आर्गन फेल्योर हुआ कैसे।
दरोगा केजी शुक्ला की मौत की वजह वे हेपेटाइटिस बताते हैं। डेंगू को लेकर सच क्या है, यह अलग बात है,
पर सीएमओ क्या कहते हैं- पेश है रिपोर्ट...
रालोद नेता मुन्ना सिंह चौहान और दरोगा केजी शुक्ला की मौत कैसे हुई ?
जवाब: मुन्ना सिंह चौहान को बुखार के बाद सिविल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान वो वार्ड में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें मिडलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इलाज की रिपोर्ट में हार्ट अटैक की बात सामने निकलकर आई थी। मल्टी आर्गन फेल्योर के बाद एसजीपीजीआई में उनकी मौत हुई थी। दरोगा केजी शुक्ला की मौत हेपेटाइटिस की चपेट में आने के बाद हुई थी। मौत का कारण डेंगू नहीं था।
पीजीआई और केजीएमयू में है वेंटिलेटर की सुविधा
शहर के निजी अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग मिलीभगत से आंकड़े छुपा रहे हैं ?
जवाब: निजी अस्पतालों में मरीजों की मौत की बात सामने आई तो उनसे इलाज का रिकॉर्ड तलब किया गया। स्वास्थ्य विभाग निजी नर्सिंग होम से मिलीभगत नहीं कर रहा है ये आरोप गलत है।
निजी अस्पतालों में डेंगू का इलाज संभव नहीं है क्योंकि डेंगू की पुष्टि की एलाइजा जांच की सुविधा सरकारी सेंटर पर ही है जिसके लिए विशेष किट पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट से आती हैं।
अस्पतालों के डेंगू वार्ड फुल चल रहे हैं पर एलाइजा जांच नहीं हो रही है ?
जवाब: अस्पतालों के डेंगू वार्ड में जो भी मरीज भर्ती हैं उनका कार्ड टेस्ट कर इलाज जारी है। ये सभी डेंगू के सस्पेक्टेड मामले हैं। जिन मरीजों में लक्षण दिख रहे हैं उनके खून की एलाइजा जांच कराई जा रही है।
सभी मरीजों का सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा तो संस्थानों में काम का बोझ बढ़ेगा जिसका सिर्फ नुकसान होगा। आंकड़े कतई नहीं छिपाए जा रहे हैं। इलाज प्राथमिकता से हो रहा है।
डेंगू मरीजों के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं है ?
जवाब: डेंगू मरीजों को वेंटिलेटर की कोई जरूरत नहीं पड़ रही है। निजी अस्पतालों से जो मरीज भेजे जा रहे हैं वो मल्टी आर्गन फेल्योर के हैं जो अन्य बीमारियों की चपेट में आकर शिकार बन रहे हैं।
पीजीआई और केजीएमयू में वेंटिलेटर की सुविधा है। ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि डेंगू मरीज की मौत वेंटिलेटर के अभाव में हुई है।
वे सवाल जिनका सीएमओ नहीं दे सके जवाब
शहर के प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू का इलाज धंधा बन गया है। सीएमओ ने कोई कदम नहीं उठाया ?
जवाब: सीएमओ बोले-शहर के प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू पॉजिटव मरीजों का इलाज संभव नहीं है। इसपर प्रमुख सचिव ने सीएमओ से पूछा कि जिन अस्पतालों के मामले सामने आए क्या आपको उनके इलाज की रिपोर्ट दी।
इस पर सीएमओ ने इन्कार कर दिया। (अब सवाल उठता है कि एक महीने पहले अलर्ट जारी किया गया और एक भी मरीज की जानकारी निजी नर्सिंग होम से सीएमओ को नहीं मिली। इसपर प्रमुख सचिव ने सीएमओ को निजी नर्सिंग होमों पर सख्ती करने का निर्देश दिया।)
इन सवालों का जवाब नहीं दे सके सीएमओ
स्वास्थ्य महानिदेशालय की स्टेट लैब में डेंगू जांच सिर्फ दिखावा है ?
जवाब: (सीएमओ ने चुप्पी साध ली)। प्रमुख सचिव ने संचारी रोग के निदेशक डॉ. सत्य मित्रा से पूछा तो उन्होंने कहा- जब तक छह मरीजों के सैंपल नहीं आ जाते तब तक जांच मुश्किल होती है।
(पूरे प्रदेश में फैले डेंगू के जांच का जिम्मा स्टेट लैब पर है और इस जवाब से साफ है कि उसके पास रोजाना छह सैंपल भी जांच के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। जांच रिपोर्ट भी 15 दिन बाद मिल रही है। इसपर प्रमुख सचिव ने संचारी रोग निदेशक को तत्काल व्यवस्था ठीक करने का निर्देश दिया।)
सवालों के घेरे में अफसरों के जवाब
रालोद नेता मुन्ना सिंह चौहान की सिविल अस्पताल में डेंगू की जांच क्यों नहीं कराई गई? उनको हार्ट अटैक हुआ था तो सिविल के हृदय रोग विशेषज्ञों ने क्यों नहीं देखा? मिडलैंड अस्पताल में दिल की बजाय बुखार का इलाज क्यों चला? दरोगा कृष्ण गोपाल शुक्ला को बुखार के बाद निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इसके बाद मल्टी आर्गन फेल्योर के बाद पीजीआई में भर्ती हुए। अचानक एक स्वस्थ पुलिस अफसर के अंगों ने काम करना क्यों बंद कर दिया? ये ऐसे सवाल हैं जिनका किसी अफसर ने जवाब नहीं दिया। बस एक ही रट लगाए रहा कि मौत का कारण डेंगू नहीं था।
शहर के सिविल, बलरामपुर और लोहिया अस्पताल के डेंगू वार्ड फुल चल रहे हैं। सीएमओ डॉ. एसएनएस यादव का आंकड़ा कहता है कि जनवरी 2016 से अब तक लखनऊ में केवल 43 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
संचारी रोग विभाग के निदेशक डॉ. सत्य मित्रा को तो प्रदेश के डेंगू मरीजों का कोई आंकड़ा ही नहीं पता है। एसजीपीजीआई माइक्राबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ. टीएन ढोल कहते हैं कि अब तक 70 सैंपल की जांच की गई जिसमें 17 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
लोहिया संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हेड डॉ. विनीता मित्तल ने बताया कि 152 मरीजों के खून की जांच की गई जिसमें 60 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। केजीएमयू में 289 मरीजों की जांच की गई और 38 मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई।
यानी डेंगू जांच के लिए नामित तीन नोडल सेंटर पर कुल 117 मरीजों में वायरस की पुष्टि हो चुकी है। डेंगू ने 13 मरीजों की जान ले ली पर सीएओ का कहना है इनमें से एक की भी मौत डेंगू की वजह से नहीं हुई है।
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