'आईना दिखाने वाले अपनी शक्ल भी देंखें' - आज़म खान
BY Suryakant Pathak24 Aug 2016 8:21 AM GMT

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Suryakant Pathak24 Aug 2016 8:21 AM GMT
संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने मंगलवार को विधानसभा में राज्यपाल राम नाईक पर एक बार फिर निशाना साधा। उन्होंने राज्यपाल की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जो अईना दिखाते हैं, उन्हें अपनी शक्ल-सूरत भी देखनी- दिखानी चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में राज्यपाल का वह पत्र पढ़कर सुनाया जिसमें उन्होंने राजभवन में लंबित उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण विधेयक 2015 को वापस लेने के लिए सदन में विचार के लिए लाने को कहा है।
इस पर आजम खां ने तंज के लहजे में कहा कि यह अच्छी परंपरा है कि राज्यपाल सदन और प्रदेश सरकार को निर्देश दे रहे हैं। हम आठवीं बार चुनकर आए हैं। आठवें पड़ाव पर बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। आईना दिखाने वालों को आईना अपनी तरफ भी करना चाहिए ताकि शक्ल-सूरत देख सकें, दिखा सकें।
उन्होंने कहा, संविधान में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राज्यपाल सबकी जिम्मेदारियों और हदें तय हैं। वे न हद से बाहर जा सकते हैं, उन्हें लांघ सकते हैं। पद की गरिमा के चलते उन पर कोई अंगुली न उठाए लेकिन इतिहास अच्छा नहीं मानेगा।
'इस विधेयक में आखिर बुराई क्या है'
आजम ने राजभवन में नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2015 के लंबित रहने पर राज्यपाल पर सीधा हमला किया। उन्होंने कहा, यह न धार्मिक विधेयक और न ही विवादित, जिससे कोई बुराई पैदा हो। यह भ्रष्टाचार दूर करने और विकास के लिए लाया गया था। इसलिए नहीं कि इसकी चोट अमुक दल पर जाती है।
उन्होंने कहा, जौहर विश्वविद्यालय का विधेयक जब राष्ट्रपति को भेजा गया था तब डॉ. कलाम राष्ट्रपति थे। वहां से राजभवन को भेजे गए जवाब में कहा गया है कि विधानमंडल से पारित होने वाला बिल राजभवन जाएगा। उसे राष्ट्रपति को भेजने या उनकी मंजूरी लेने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने अध्यक्ष से कहा, हम किससे गुहार करें, आपके माध्यम से बात न पहुंचाएं तो क्या करें?
राजभवन बताए विधेयक में क्या खराबी है
आजम ने कहा, उस बिल में क्या खराबी है, क्या बुराई है, राजभवन लिखकर भेज दे तो हम भी जान लेंगे, उसे दूर करेंगे। वह विधेयक जौहर विश्वविद्यालय का नहीं, उस विभाग का है, जिसका मैं मंत्री हूं।
हमें भी पता लग जाएगा उसमें कौन सी गलत बात लिखी है। हम उसे वापस लेने को तैयार हैं। पूरे देश संविधान से चलता है, क्या मेरे विभाग का बिल संविधान से नहीं चलेगा। विधेयक ढाई साल से राजभवन में लंबित है।
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