'CM कैंडिडेट तक नहीं ढूंढ़ पा रही BJP'
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर कटाक्ष करते हुए कहा, "कांग्रेस और बीजेपी के लोग हमारी सरकार को पांच और साढ़े पांच मुख्यमंत्री की सरकार कहते रहे हैं, लेकिन बीजेपी अभी तक अपने लिए एक मुख्यमंत्री उम्मीदवार तक नहीं ढूंढ़ पाई है." मुख्यमंत्री राजधानी के एक पांच सितारा होटल में आयोजित 'स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्च र समिट-2016' में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने विपक्षियों पर जमकर प्रहार किया.
सीएम अखिलेश यादव ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, "जब हम लैपटॉप बांट रहे थे, तब ये लोग कहा करते थे कि युवाओं के हाथों में झुनझुना थमाया जा रहा है और आज कश्मीर के संदर्भ में कहते फिर रहे हैं कि जिन हाथों में लैपटॉप होना चाहिए, उनमें बंदूक पकड़ा दी गई है." उन्होंने कहा, "जिस लैपटॉप की बात वे आज कर रहे हैं, वह समाजवादी पार्टी चार साल पहले ही शुरू कर चुकी है."
उन्होंने कहा, "हमारे हर कार्य में सफलता ने विरोधियों की नींद उड़ा दी है. इसलिए वे अब हमारी सफलता पर पर्दा डालने में लगे हैं. हमने एक दिन में पांच करोड़ पेड़ लगाकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया और इतिहास रचा लेकिन प्रधानमंत्री ने उन प्रदेशों का तो नाम लिया, जहां एक और दो करोड़ पौधे लगे थे, लेकिन उप्र में जहां पांच करोड़ पौधे लगे उसका एक बार भी नाम नहीं लिया."
अखिलेश ने मीडिया की भूमिका पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, "बुलंदशहर की घटना को हम मानते हैं कि बहुत बुरा हुआ, लेकिन पास के ही गुड़गांव में एक ही जगह पर लगातार दो बार वैसी घटना हुई, लेकिन मीडिया ने उस पर हाय-तौबा नहीं मचाई. मीडिया तब हमें तीसरे नंबर की पार्टी बता रही थी, अब नंबर एक बता रही है."
उन्होंने लखनऊ मेट्रो की चर्चा करते हुए कहा, "मैंने कह रखा है कि अगली बार जब बजट पेश करने आऊंगा तो मेट्रो पर बैठकर आऊंगा. हम प्रदेश के अन्य शहरों में भी जल्द से जल्द मेट्रो चलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. अभी केंद्रीय गृहमंत्री के संसदीय क्षेत्र में मेट्रो चलाने जा रहे हैं और शीघ्र ही प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भी यह कार्य कराएंगे, लेकिन केंद्र सरकार हमें सहयोग तो करे."
'विपक्षी पार्टियों से मिले हैं हमारे कुछ अधिकारी'
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य की नौकरशाही को असहज करने वाला बयान देते हुए आज कहा कि सूबे के कुछ अधिकारी दूसरी पार्टियों से मिले हैं और वे सरकार की योजनाओं में बाधा पैदा कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने क्रेडाई और पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इण्डस्ट्री द्वारा आयोजित 'इंफ्रास्ट्रक्चर मीट' को सम्बोधित करते हुए कहा ''जहां तक डायल 100 का सवाल है. हम तो इसे लाना चाहते हैं. हमें अच्छे अधिकारी भी मिले हैं और कुछ खराब भी मिले, लेकिन मैं जानता हूं हमारे कुछ अधिकारी दूसरी पार्टियों से मिले हैं. वे नहीं चाहते कि 100 नम्बर आये.''
उन्होंने कहा ''अगर 100 नम्बर आ गया तो पुलिस 10 मिनट में मौके पर पहुंच जाएगी, और यह व्यवस्था देश के सामने उदाहरण बनेगी. उसमें भी वे अधिकारी अडंगा लगा रहे हैं, हमने उसका भी रास्ता निकाल लिया है. क्योंकि हमारे पास बहुत शानदार मुख्य सचिव हैं. वह भी देखेंगे कि 100 नम्बर की फाइल कौन लोग रोके हुए हैं. अगर मुख्यमंत्री उनके सामने खड़े हो जाएंगे तो वह कोई भी फाइल क्लीयर कर देंगे.''
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने वाली बीजेपी पर हमला करते हुए अखिलेश ने कहा ''वह :बीजेपी: कानून-व्यवस्था पर बहस करना चाहते हैं. पहले अपने राज्यों को देखें. सीमा पर आप कितना कमजोर दिख रहे हैं. मैं मिल्रिटी स्कूल में पढ़ा हूं. मेरे साथ पढ़ने वाले लोग सेना में सीमाओं पर है. सीमाओं पर क्या हाल है यह देश जानता है.''
उन्होंने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा ''आपने अखबारों में एक आरोप बहुत पढ़ा होगा कि उत्तर प्रदेश में पांच-साढ़े पांच मुख्यमंत्री हैं. हम कहते हैं कि बीजेपी वालों आप अपना एक ही (मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार) ढूंढ लाओ. फिर मैदान में तय होगा कि कौन आगे है और कौन पीछे, यह प्रदेश की जनता तय करेगी.''
अखिलेश ने कहा ''हम तो नये मुख्यमंत्री हैं. हमने तो अंडर ट्रेनिंग रहकर इतना काम कर दिया है. आने वाले समय में मौका मिलेगा तो साचिये और कितना काम करेंगे. हम और पारदर्शिता से काम करेंगे. तब हम पर कोई उंगली भी नहीं उठा सकेगा. हम काम के आधार पर जनता के बीच जाना चाहते हैं, लेकिन दूसरी पार्टियां चीजों को दूसरी दिशा में ले जाना चाहती हैं.''
उन्होंने बीजेपी पर हमले जारी रखते हुए कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी यात्राएं निकाल रही है. सबने 15 अगस्त को झंडा फहराया था. बीजेपी के लोग जाने कब तक झंडा फहराएंगे. हम इसके खिलाफ नहीं है, लेकिन ये लोग देश को किस तरफ ले जाना चाहते हैं. अच्छे दिन की कोई परिभाषा हो तो बताएं.
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा ''कांग्रेस ने कहा कि हम उंची जाति के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाएंगे. बताइये वे किस तरफ देश को ले जाना चाहते हैं.'' मीडिया पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया उत्तर प्रदेश में बुलन्दशहर और मथुरा की घटना को उछालता है लेकिन आएसपीस के प्रदेशों खासकर दिल्ली और हरियाणा में क्या हो रहा है, उस पर ध्यान नहीं देता. दिल्ली में एक ही महिला के साथ दो बार घटना हुई, उसका किसी ने संज्ञान नहीं लिया. मीडिया का ध्यान सिर्फ उत्तर प्रदेश पर है.
अखिलेश ने मीडिया पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा ''हमें नहीं पता कि उनकी :मीडिया: आमदनी कहां से होती है, लेकिन उनको निष्पक्षता के साथ सारी चीजें देखनी चाहिये.''
'भ्रष्टाचार, सुशासन और पारदर्शिता' से जुडे सवालों का हल टेक्नोलॉजी से संभव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार, सुशासन और पारदर्शिता से जुडे सवालों का प्रभावी हल पाने के लिए राजकाज में प्रौद्योगिकी को बडे पैमाने पर बढावा देने की जरूरत पर बल दिया.
अखिलेश ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की अब तक की सभी कार्यवाहियों के डिजिटलीकरण का शुभारंभ करते हुए कहा, ''करप्शन, गवर्नेन्स और ट्रांसपैरेंसी :भ्रष्टाचार, सुशासन और पारदर्शिता: से जुडे सवालों के समाधान का रास्ता टेक्नोलाजी के जरिये निकाला जा सकता है.''
उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण के बाद विधानसभा की सारी कार्यवाही इंटरनेट पर उपब्ध करा दी जायेगी और आम जनता को भी सदन में बहसों और चर्चाओं की जानकारी मिल पायेगी.
अखिलेश ने कहा, ''इससे राजनीति से जुडे लोगों, पत्रकारों और शोधकर्ताओं को खासी मदद मिलेगी.''
मुख्यमंत्री ने मीडिया के सहयोग की भी अपील की और कहा, ''उत्तर प्रदेश तमाम कामों में बहुत आगे है..पत्रकार साथी इसमें सहयोग करें कि प्रदेश के बारे में 'परसेप्शन' बदले.'' इस मौके पर हुए प्रस्तुतिकरण में विधानसभा की हाल की ही कार्यवाही का वीडियो दिखाया गया जिसमें बीएसपी छोडकर हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए स्वामीप्रसाद मौर्य को तब प्रतिपक्ष के नेता के रूप भाषण दे रहे हैं.
अपने संबोधन में संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने तंज के लहजे में कहा, ''अब जनता को सही जानकारी मिल पायेगी कि कैसे लोग धर्मनिरपेक्षता से हटकर ऐसे दल में चले जाते हैं जो देश में बहुत अच्छा माहौल नहीं चाहते.''
विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने बताया कि पहले चरण में सदन की पिछले 25 साल की कार्यवाहियों की डिजिटलीकरण किया जायेगा और दूसरे चरण में 1952 में गठित हुई पहली विधानसभा और उसके बाद की.
विधानसभा की समस्त कार्यवाहियों के डिजिटीकरण का यह ऐतिहासिक काम 'परसिस्टेंट सिस्टम्स लि. और सेमैंटिकबिट्स' नाम की कंपनियों को सौंपा गया है.