बुलंदशहर गैंगरेप: मुख्य आरोपी ने कहा- जज साहब नार्को टेस्ट करवा लो, बेगुनाह हूं

बुलंदशहर हाईवे गैंगरेप मामले में मंगलवार को आरोपियों की एक मांग ने सनसनी फैला दी. आरोपियों ने कोर्ट के सामने अपने नार्को टेस्ट की मांग की है. सीबीआई ने मंंगलवार को सलीम छैमार समेत 3 आरोपियों को रिमांड खत्म होने पर अदालत के सामाने पेश किया था.
आरोपी पक्ष की वकील मंजू शर्मा ने बताया कि आरोपियों ने अपनी पेशी के दौरान जज के सामने खुद को बेगुनाह बताया. आरोपियों ने कहा कि उन्हें पुलिस ने इस केस में फंंसाया गया है. उन्होंने इस घटना को अंजाम नहीं दिया है और न ही वह गुनहगार हैं.
अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए आरोपियों ने अदालत से कहा कि उनका नार्को टेस्ट करा लिया जाए. नार्को टेस्ट से उनकी इस मामले में संलिप्तता है या नहींं, साबित हो जाएगी.
आरोपी पक्ष की वकील ने अदालत से यह भी कहा कि सीबीआई ने इस मामले में पुलिस द्वारा बरामद दिखाया गया सामान कोर्ट के समक्ष नहींं रखा है. पुलिस ने अपनी तफ्तीश के दौरान आरोपियों से पीड़ित पक्ष से लूटी गई ज्वैलरी और मौके पर मिली आरोपियों की चप्पलें बरामद करने का दावा किया था.
अदालत ने सीबीआई को बुधवार (24 अगस्त) को कोर्ट के समक्ष बरामद सामान पेश करने को कहा है. सीबीआई ने कोर्ट के इस आदेश पर अपनी सहमति दी है.
आखिर नार्को टेस्ट क्यों-
आमतौर पर अपराधियों से सच उगलवाने के लिए नार्को टेस्ट का सहारा लिया जाता है. ऐसा तब होता है जब अपराधी से वाछिंत जानकारियां नही मिल पाती. अपराधियों के मन का सत्य टूूथ सीरम इंजेेक्शन की सहायता से उगलवाया जाता है. इस प्रक्रिया में व्यक्ति स्वाभाविक रूप से बोलता है. यह एक फोरेंसिक परीक्षण होता है, जिसे जांंच अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक और फोरेंसिक विशेषज्ञ की मौजूदगी में किया जाता है. आमतौर पर अपराधी इस प्रक्रिया से गुजरना नहीं चाहते. क्योंकि इस पद्धिति के टेस्ट में सच सामने आ जाता है जिससे अपराधी को सजा होना तय है.