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उत्तर प्रदेश

'साइकिल' अभी भी 'हाथी' से आगे, SP को 141-151, BJP को 124-134 BSP को 103-113

साइकिल अभी भी हाथी से आगे, SP  को 141-151, BJP को 124-134 BSP  को 103-113
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की राजनीति गरम है लेकिन सवाल ये है कि यूपी की जनता क्या सोच रही है एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस ने सर्वे किया है. इस सर्वे के मुताबिक अखिलेश यादव और मायावती में लोकप्रियता के मामले में कड़ी टक्कर है लेकिन अखिलेश यादव से राज्य की 61 फीसदी जनता संतुष्ट है. हालांकि सर्वे के मुताबिक सीटों में सपा और बीजेपी में कड़ी टक्कर है. बीजेपी की सीटों में भारी बढ़ोत्तरी हो रही है. इसके बावजूद सपा अभी भी सबसे बड़े दल के रूप में यूपी में आ रही है.

सर्वे में हमने जनता का मूड जानने के लिए कुछ सवाल पूछे. हमने पूछा मुख्यमंत्री की पहली पसंद कौन? सवर्ण वोटर किसके साथ हैं? दलित वोटर किसके साथ हैं? ओबीसी मतदाता किसे वोट देंगें? मुस्लिम मतदाता किसके साथ जाएगा? यूपी के किस क्षेत्र से कौन सी पार्टी आगे है? क्या यूपी फिर मोदी पर भरोसा करेगी? क्या प्रियंका का फैक्टर कांग्रेस के काम आएगा? यूपी में किस पार्टी की सरकार बनने के आसार हैं ?

मुख्यमंत्री की पहली पसंद कौन?
अखिलेश यादव और मायावती में लोकप्रियता को लेकर कड़ी टक्कर है. 24 फीसदी वोटरों की पसंद हैं अखिलेश यादव. बड़ी बात ये है कि बीएसपी प्रमुख मायावती भी अखिलेश को कड़ी टक्कर दे रही हैं. मायावती 24 फीसदी वोटरों की पहली पसंद हैं.

अखिलेश और मायावती यूपी की प्रमुख सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल बीएसपी का चेहरा हैं. जबकि बीजेपी ने अब तक सीएम का नाम तय नहीं किया है. सर्वे में वोटरों को सीएम पद की पसंद के विकल्प नहीं दिए गए थे. लेकिन तीसरे नंबर पर हैं केंद्र सरकार में गृह मंत्री राजनाथ सिंह. सात फीसदी वोटर राजनाथ को सीएम देखना चाहते हैं.

चौथे नंबर पर यूपी में बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ हैं. पांच फीसदी लोगों की पंसद हैं योगी आदित्यनाथ और पांचवें नंबर पर हैं मुलायम सिंह यादव. तीन बार राज्य की कमान संभाल चुके मुलायम को चार फीसदी वोटर फिर से सीएम देखना चाहते हैं. छठे नंबर पर वरुण गांधी हैं जुन्हें राज्य के तीन फीसदी वोटर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं.

इसमें सबसे अहम विषय है कि राज्य के लिए में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 61 फीसदी लोग संतुष्ट हैं और समाजवादी पार्टी की सरकार से 60 फीसदी लोग संतुष्ट हैं. केंद्र सरकार के लिए नरेंद्र मोदी से 68 फीसदी लोग संतुष्ट हैं जबकि एनडीए सरकार के कामकाज से 63 फीसदी लोग संतुष्ट हैं.

सवर्ण मतदाता किसके साथ?
उत्तर प्रदेश में अभी चुनाव हुए तो राज्य के 18 फीसदी सवर्ण किसके साथ जाएंगे? वो कौन सी पार्टी है जो सवर्ण वोटरों की मदद से सत्ता के करीब पहुंच सकती है? एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस ने 65 विधानसभाओं में 4 हजार 452 लोगों से ये सवाल पूछा तो जो जवाब मिला उसके मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा सवर्ण वोट मिलने का अनुमान है.

सर्वे के मुताबिक यूपी में अभी चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी को 55 प्रतिशत सवर्णों के वोट मिलेंगे जबकि सत्ताधारी समाजवादी पार्टी को 15 फीसदी सवर्ण वोट मिलने का अनुमान है. तीसरे नंबर पर है बहुजन समाज पार्टी जिसे 9 फीसदी सवर्ण वोट मिलने का अनुमान है.

सर्वे के मुताबिक सवर्णों का भरोसा जीतने में कांग्रेस सबसे पीछे है जिसे सिर्फ 5 प्रतिशत सवर्ण वोट मिलने का अनुमान जताया गया है. जबकि अन्य को 17 प्रतिशत वोट सवर्ण वोट मिलने का अनुमान है. यूपी में सवर्ण वोटर हमेशा से बीजेपी के कट्टर समर्थक माने जाते रहे हैं. सर्वे के मुताबिक इस बार भी बीजेपी को सवर्णों का साथ मिलने का अनुमान है.

यादव किसके साथ?
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका है पिछड़े वर्ग की. यूपी की कुल आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा यानी करीब 40 फीसदी पिछड़ा वर्ग है. पिछड़ा वर्ग में भी यादव वोटर समाजवादी पार्टी के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. यूपी में करीब 10 प्रतिशत यादव वोटर हैं. एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस के सर्व में ये पता लगाने की कोशिश की गई कि अभी चुनाव हुए तो यादव वोटर किसके साथ जाएगा.

सर्वे के नतीजों के मुताबिक यूपी में 16 प्रतिशत यादव बीजेपी के साथ हैं. जबकि यादवों का सबसे बड़ा समर्थन अब भी समाजवादी पार्टी के लिए है जिसे 68 प्रतिशत यादवों के वोट मिलने का अनुमान है. बहुजन समाज पार्टी को 5 प्रतिशत और कांग्रेस को 4 प्रतिशत यादव वोटरों को साथ मिल सकता है – और अन्य को 7 प्रतिशत.

M-Y factor यानी मुस्लिम यादव वोटरों का साथ यूपी में समाजवादी पार्टी की राजनीति का आधार रहा है. एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस के ताजा सर्वे से साफ है कि यादव वोटर आज भी समाजवादी पार्टी के साथ खड़े हुए हैं.

अन्य ओबीसी किसके साथ?
केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश की कमान देकर बीजेपी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं. बीजेपी की नजर उत्तर प्रदेश के उस 33 फीसदी अन्य ओबीसी वर्ग पर है जिसमें यादव के अलावा बाकी पिछड़ी जातियों के लोग आते हैं – जैसे लोध, कुर्मी और मौर्य. यूपी की ये 33 फीसदी आबादी क्या सोच रही है और अगर चुनाव हुए तो ये किसको वोट देगी?

एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक 38 फीसदी अन्य ओबीसी बीजेपी के साथ है. जबकि 19 फीसदी समाजवादी पार्टी के साथ हैं. बहुजन समाज पार्टी को 23 प्रतिशत अन्य ओबीसी वोटरों का समर्थन मिलने का अनुमान है. तो कांग्रेस और अन्य को 5 और 15 फीसदी. सर्वे के नतीजों के मुताबिक अन्य ओबीसी वोटरों का सबसे बड़ा हिस्सा बीजेपी के पास जाता दिख रहा है यानी बीजेपी को सत्ता दिलाने में ये अहम भूमिका निभा सकते हैं.

मुस्लिम किसके साथ?

उत्तर प्रदेश में 18 फीसदी मुस्लिम वोटरों का रुझान किस पार्टी की तरफ है? इस सर्वे में हमने मुस्लिम वोटरों से ये जानने की कोशिश की. सर्वे में जिन लोगों से बात की गई उनके मुताबिक सिर्फ चार फीसदी मुस्लिम वोटर बीजेपी के साथ जाते दिख रहे हैं जबकि 62 फीसदी मुस्लिम वोटर सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के साथ जा सकते हैं. वहीं बीएसपी के साथ 18 फीसदी मुस्लिम वोटर जा सकता है. कांग्रेस के हिस्से में इस सर्वे में सिर्फ 8 फीसदी मुस्लिम वोटर दिख रहे हैं. जबकि 8 फीसदी मुस्लिम वोटर पार्टी के साथ जा सकते हैं.

हाल के दिनों में मायावती ने मुस्लिम नेताओं पर भरोसा जताया है. मायावती 128 मुस्लिमों को टिकट भी दे चुकी है. लेकिन इस सर्वे के मुताबिक अब भी मुस्लिम वोटरों का भरोसा समाजवादी पार्टी पर दिख रहा है. समाजवादी पार्टी मुस्लिम-यादव गठजोड़ के सहारे सियासत करती है सर्वे में 62 फीसदी मुस्लिम वोटरों का रुझान इस फॉर्मूले पर फिट बैठता दिख रहा है.

जाटव किसके साथ?
दलितों के दम पर 4 बार उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाल चुकी मायावती का सबसे बड़ा वोट बैंक जाटव हैं. यूपी की करीब 21 से 22 फीसदी दलित आबादी में से 14 प्रतिशत जाटव हैं. सवाल है कि क्या मायावती का कैडर माने जाने वाले जाटव अब भी मायावती के साथ हैं?

एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक यूपी के जाटव वोटरों में से सिर्फ 8 प्रतिशत बीजेपी के साथ खड़े दिख रहे हैं. समाजवादी पार्टी को भी 8 फीसदी जाटव वोटरों को समर्थन मिलता दिख रहा है. जबकि तीन चौथाई यानी 75 फीसदी जाटव – बहुजन समाज पार्टी यानी मायावती के साथ हैं. सर्वे में जाटव वोटों में से 2 प्रतिशत कांग्रेस और 8 प्रतिशत अन्य दलों को मिलने का अनुमान है.

अन्य दलित किसके साथ?
एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक अन्य दलित भी मजबूती के साथ बीएसपी के साथ खड़े हैं. बीएसपी के साथ 56 फीसदी अन्य दलित खड़े हैं. बीजेपी के साथ 16 फीसदी, एसपी के साथ 14 फीसदी, कांग्रेस के साथ 3 फीसदी और अन्य के हिस्से 11फीसदी दलित मतदाता हैं.

किस क्षेत्र में कौन आगे?
उत्तर प्रदेश में किस क्षेत्र में कौन सी पार्टी आगे है? सर्वे में जिन लोगों से बात की गई उसके मुताबिक पश्चिमी यूपी में बीजेपी गठबंधन आगे दिख रही है जबकि बीएसपी दूसरे नंबर पर रह सकती है.

रोहिलखंड के इलाके में समाजवादी पार्टी बड़े अंतर के साथ आगे रह सकती है. यहां पर बीएसपी के दूसरे नंबर पर जाने के आसार हैं. अवध में समाजवादी पार्टी बनाम बीएसपी का सीधा मुकाबला लग रहा है और बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर जा सकती है.

दोआब-बुदंलेखंड इलाके में जिन लोगों से बात हुई उनके मुताबिक कांटे की टक्कर लग रही है. कोई भी पार्टी स्पष्ट रूप से आगे नहीं है. और पूर्वी यूपी में बीजेपी गठबंधन को बहुमत मिल सकता है जबकि समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रह सकती है.

किस दल को कितनी सीटें मिलने की संभावना?
सर्वे के मुताबिक यदि अभी चुनाव हुए तो सपा को 141 से 151 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी के हिस्से 124 से 134 सीटें और बीएसपी को 103 से 113 सीटें मिलने की संभावना है. कांग्रेस को 8 से 14 सीटें मिल सकती हैं जबकि अन्य के हिस्से 6 से 12 सीटें आ सकती हैं.

कैसे हुआ सर्वे ?
23 जुलाई से 7 अगस्त के बीच उत्तर प्रदेश की 403 में से 65 विधानसभा सीटों पर सर्वे किया गया. 256 पोलिंग बूथ पर ये सर्वे किया गया जिसमें 4 हजार 452 वोटरों की राय ली गई हर वोटर से आमने – सामने बात की गई.


ओपिनियन पोल के मुताबिक़ यूपी में और कांग्रेस को 8-14 सीटें मिल सकती है।

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