अखिलेश के साथ ही मायावती भी लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव
BY Anonymous2 April 2018 12:55 AM GMT

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Anonymous2 April 2018 12:55 AM GMT
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा की दोस्ती भाजपा के खिलाफ महागठबंधन का रूप ले सकती है। धुरी ये दोनों दल ही रहेंगे लेकिन इसमें छोटे दलों को भी शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस की भूमिका को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। कई नेता कांग्रेस को भी महागठबंधन का भागीदार बनाने के पक्षधर हैं।
गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा की जीत ने प्रदेश में भाजपा का विजय रथ रोकने के फॉर्मूले पर बहस तेज कर दी है। सपा-बसपा 2019 में गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी हैं। इस गठबंधन को महागठबंधन का रूप देने के लिए इसमें भाजपा विरोधी अन्य दलों को शामिल करने की योजना पर भी विचार चल रहा है।
गोरखपुर व फूलपुर में निषाद पार्टी, पीस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, वामपंथी पार्टियों समेत भाजपा विरोधी ताकतें सपा के समर्थन में आ गई थीं। यद्यपि इनका ज्यादा राजनीतिक आधार नहीं है तो भी इनके समर्थन से माहौल बना था। ऐसी कोशिशें चल रही हैं कि इन दलों को महागठबंधन का हिस्सा बनाया जाए। इस संबंध में फैसला सपा और बसपा नेतृत्व को करना है।
अखिलेश यादव और मायावती ने कांग्रेस नेतृत्व से अच्छे रिश्तों की बात कही है। इससे कांग्रेस के महागठबंधन में शामिल होने को लेकर सकारात्मक संकेत मिले है लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि सीटों के बंटवारे में सपा-बसपा लगभग बराबर की हैसियत में रहेंगी। ऐसे में सीटों को लेकर कांग्रेस से बातचीत के बाद ही महागठबंधन की चर्चा आगे बढ़ेगी।
संसदीय सीटों की तलाश शुरू
अभी प्रदेश में भाजपा के खिलाफ सियासी गठबंधन का स्वरूप सामने नहीं आया है, लेकिन बड़े नेताओं के लिए सीटों की तलाश भी शुरू हो गई है। रामगोपाल यादव ने संभल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है तो अखिलेश का कन्नौज से किस्मत आजमाना लगभग तय है। माना जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।
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