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सरकारी भर्तियों, संविदा नियुक्तियों में आरक्षण का पालन नहीं हो रहा: अखिलेश यादव
BY Anonymous25 March 2018 4:53 PM GMT

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Anonymous25 March 2018 4:53 PM GMT
समाजवादी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार का रवैया नौजवानों के प्रति दुर्भावनापूर्ण है. नौजवानों की रोजी-रोटी की उसे कोई चिंता नहीं है. उसको सिर्फ मुद्रा, स्टार्टअप, स्किल इण्डिया और डिजीटल इण्डिया आदि के नारों से बहकाया जा रहा है. युवा पीढ़ी बीजेपी की कुनौतियों की शिकार बनाई जा रही हैं.
अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार बिना वैकल्पिक व्यवस्था के 15 लाख छात्रों को हाईस्कूल इंटर बोर्ड की परीक्षा से वंचित करना अपनी उपलब्धि मानती है. एसएससी बोर्ड की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतों को लेकर छात्र आंदोलित हैं. बीजेपी सरकार चाहती है कि ज्यादातर लोग रोटी-रोजगार से वंचित रहें. लखनऊ में पिछले दिनों टीईटी-2011 की भर्तियां खोलने के लिए युवाओं ने प्रदर्शन किया और लाठियां खाईं. राज्य में समाजवादी सरकार ने जो भर्तियां शुरू की थीं, बीजेपी ने सत्ता में आते ही उन्हें रोक दिया.
सपा मुखिया ने कहा कि पिछले महीने पूरे देश में स्नातक स्तर की एसएससी परीक्षा में पेपर लीक के आधार पर सरकार के नौकरी के प्रति हीला-हवाली वाले रवैये को समझा जा सकता है. छात्रों ने जब दिल्ली में एसएससी दफ्तर पर धरना प्रदर्शन किया तो मजबूरन केन्द्र सरकार को सीबीआई जांच की मांग को मानना पड़ा. छात्रों-नौजवानों को रोजगार देने की दिशा में वर्तमान केन्द्र सरकार का रवैया बेहद निराशा जनक और नकारात्मक है. इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी बेरोजगारों को लेकर सरकार का रवैया पूरी तरह संवेदन शून्य तथा उपेक्षापूर्ण बना हुआ है.
अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र की बीजेपी सरकार आने के बाद शिक्षा और रोजगार पर हमला तेजी से बढ़ा है. जहां एक ओर सरकारी पदों में कटौती हो रही है वहीं दूसरी ओर नये अवसर सृजित नही किये जा रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में पीएचडी-एम फिल के कोर्स में अनुसूचित जाति/जनजाति का जो विभागीय कोटा निर्धारित था, उसे समाप्त कर दिया गया है. छात्र-छात्राओं को समय से स्कॉलरशिप न मिलने की शिकायते हैं. उनके हांस्टलों की दशा दयनीय है. मंडल कमीशन की सिफारिशों को भी ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है. सरकारी भर्तियों और संविदा नियुक्तियों में आरक्षण का कोई पालन नहीं किया जा रहा है.
सरकारी आकड़ो के अनुसार वर्ष 2014 से 2018 के बीच 26 हजार 500 युवा बेरोजगारों ने आत्महत्या कर ली. नौजवानों का इतनी बड़ी संख्या में मौत को गले लगाना आजाद भारत के लोकतंत्र पर शर्मनाक दाग है. बीजेपी सरकार इसके दोष से बच नही सकती है.
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