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कैराना और विधान परिषद चुनाव में अब मायावती को रिटर्न गिफ्ट देंगे अखिलेश!
BY Anonymous24 March 2018 7:16 AM GMT

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Anonymous24 March 2018 7:16 AM GMT
यूपी की 10 राज्यसभा सीट में से नौ पर बीजेपी की जीत के बाद सबके मन में यही सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के रास्ते अलग हो गए हैं. सपा और बसपा के सीनियर लीडरों का मानना है कि राज्यसभा चुनाव से आपसी दोस्ताना ताल्लुक में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दोनों पार्टियां एक साथ ही चुनाव मैदान में उतरने वाली है. जानकार मान रहे हैं कि समाजवादी पार्टी कैराना लोकसभा और विधान परिषद चुनाव में बसपा की मदद करेगी.
समाजवादी पार्टी और बसपा के रिश्ते राज्यसभा चुनाव के बाद भी जारी रहेंगे. सपा प्रवक्ता और एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा कि यह रिश्ता इतना कमजोर नहीं कि इतने जल्दी टूट जाए. सपा इस बात को बखूबी जान रही है कि प्रदेश में अगर भारतीय जनता पार्टी से लड़ना है तो इस गठबंधन को मजबूती देना होगा और शायद इसलिए सपा सियासी तौर से बड़े समझौते भी कर ले.
बता दें कि उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में 5 मई को 12 सीटें खाली हो रही है. आकड़ों के हिसाब से 10 सीटें बीजेपी के खाते में जा रही है, जबकि दो सीटों पर सपा-बसपा मजबूत दिख रहे हैं . हालांकि मायावती ने पहले कहा था कि सपा उन्हे राज्यसभा में सपोर्ट करेगी और बसपा विधान परिषद में सपा को मदद करेगी, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए माना जा रहा है कि सपा विधानपरिषद में बसपा की मदद को तैयार है. बीएसपी के महासचिव सतीश मिश्रा ने कुछ नरमी के संकेत दिए हैं.
गौरतलब है कि 5 मई को सपा के सात सदस्य, बसपा के तीन और भाजपा की दो सीटें खाली हो रही है सपा के अखिलेश यादव, नरेश उत्तम पटेल, उमर अली खान, मधु गुप्ता, राजेन्द्र चौधरी, राम सकल गुर्जर और विजय यादव का कार्यकाल खत्म हो रहा है. उम्मीद की रही है कि समाजवादी पार्टी विधानपरिषद और कैराना लोकसभा के उपचुनाव के जरिए बसपा को रिटर्न गिफ्ट देगी.
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