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भगत व लोहिया ने समाजवाद का सपना देखा - शिवपाल

भगत व लोहिया ने समाजवाद का सपना देखा - शिवपाल
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लखनऊ, 23 मार्च, 2018


शहीद-ए-आजम भगत सिंह की शहादत दिवस एवं "अंग्रेजो भारत छोड़ो" आन्दोलन के नायक व समाजवादी चिन्तक राममनोहर लोहिया की जयंती के उपलक्ष्य में लोहिया ट्रस्ट में आयोजित कार्यक्रम में दोनों महापुरुषों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के पश्चात् वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी चिन्तक व समाजवादी बौद्धिक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक मिश्र द्वारा लिखित व अभिकल्पित ई-बुक lohiabhagat.samahwad.in का विमोचन किया।

इस अवसर पर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भगत सिंह भारत को आजाद कराकर शोषण विहीन समतामूलक समाजवादी समाज की स्थापना करना चाहते थे। समाजवाद के स्वप्न को मूर्तरूप देने के लिए ही उन्होंने 8 मार्च 1928 को हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन संघ बनाया था। लोहिया ने भगत के सपनों को सिद्धांत में ढाल कर भारतीय राजनीति में नूतन प्रयोग किए। लोहिया व भगत में न केवल वैचारिक अपितु कई अभिवृत्तिगत समानतायें देखनें को मिलती हैं। दोनों समकालीन व समान भावभूमि के कटिबद्ध समाजवादी एवं उवनिवेशवाद तथा पूंजीवादी शोषण के विरोधी थे। दोनों देश व समाज के लिए आजीवन यायावर, फक्कड़ तथा अनिकेतन रहे। लोहिया ने भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान भगत की कार्यप्रणाली अपनाई और क्रांतिकारी गतिविधियों को आगे बढ़ाया। शिवपाल ने कहा कि नई पीढ़ी को भगत सिंह व लोहिया द्वारा लिखे गए समाजवादी साहित्य को पढ़ना चाहिए। भगत व लोहिया की साझा विरासत भारत की धरोहर है। श्री यादव ने दीपक द्वारा अभिकल्पित ई-बुक को नवोन्मेषी बताते हुए कहा कि यह भगत सिंह व लोहिया पर लिखी गई पहली ऑनलाइन सादृश्यता है। नई पीढ़ी के हाथों में मोबाइल व इंटरनेट के माध्यम से दीपक मिश्र ने भगत व लोहिया साहित्य पहुँचा दिया। इसके लिए दीपक, मो० जफर व समाजवादी बौद्धिक सभा साधुवाद की पात्र है।

समाजवादी चिन्तक दीपक मिश्र ने कहा कि भगत व लोहिया के वैचारिक एवं साहित्यिक अवदान पर व्यापक विमर्श जरूरी है। दोनों आज की तिथि में अपने जीवन काल से भी अधिक प्रासंगिक प्रतीत होते हैं। भगत की आशंकायें व लोहिया की चेतावनियाँ अक्षरशः सही सिद्ध हो रही हैं।

कार्यक्रम में वरिष्ठ सपा नेता रमाशंकर यादव, प्रेम प्रकाश, सदस्य विधान परिषद शतरुद्ध प्रकाश, लीलावती कुशवाहा, बौद्धिक सभा के सचिव अभय यादव, राजेश अग्रवाल, युवा नेता रजी हसन, शुभम यादव एवं इंजीनियर अरविन्द यादव समेत कई समाजवादी बुद्धिजीवियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

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