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उत्तर प्रदेश

किस तरह से चुने जाते हैं राज्यसभा सदस्य, इस चुनाव में "शिवपाल क्यों हैं इतने अहम?"

किस तरह से चुने जाते हैं राज्यसभा सदस्य, इस चुनाव में शिवपाल क्यों हैं इतने अहम?
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राज्य सभा संसद का उच्च सदन है। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं। जिनमे 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर 2 साल में सेवा-निवृत होते हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वर्तमान में वैकेया नायडू राज्यसभा के सभापति हैं। राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था।
संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है, जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान रखने वाले लोगों के नामनिर्देशित किए जाते हैं और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 84 में संसद की सदस्यता के लिए अर्हताएं निर्धारित की गई हैं। राज्य सभा की सदस्यता के लिए किसी व्यक्ति के पास होने वाली अहर्ताएं-
उसे भारत का नागरिक होना चाहिए और निर्वाचन आयोग द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ लेना चाहिए या प्रतिज्ञान करना चाहिए और उस पर अपने हस्ताक्षर करने चाहिए। उसे कम से कम तीस वर्ष की आयु का होना चाहिए। उसके पास ऐसी अन्य अर्हताएं होनी चाहिए जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त विहित की जाएं।
मार्च 2018 में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए आने वाले 23 मार्च को वोट डाले जाएंगे। ये 58 सीटें कुल 16 राज्यों से हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, अप्रैल-मई 2018 में 58 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है, जिसके बाद ये सीटें खाली हो जाएंगी। उत्तर प्रदेश की 10 सीटों के अलावा, बिहार की 6 राज्यसभा सीटें, महाराष्ट्र की 6, मध्य प्रदेश की 5, पश्चिम बंगाल की 5 और कर्नाटक की 4 सीटों पर चुनाव होने हैं। चुनावों के लिए 12 मार्च तक नामांकन भरा जा सकता है। 23 मार्च को मतदान होंगे और 23 मार्च को ही वोटों की काउंटिंग होगी।
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने में राज्यसभा सीटाें पर हाेने वाले मतदान से ठीक पहले कलह के बादल छटने लगे हैं। अखिलेश ने मतदान से ठीक पहले अपने अावास पर एक डिनर पार्टी का अायाेजन किया था जिसमें चाचा शिवपाल भी अखिलेश यादव के साथ मुस्कुराते हुए नजर अाए। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव का अपना कद है। उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान होना है। शिवपाल यादव के एक्टिव होते ही बीजेपी के 9वें उम्मीदवार की जीत के सपने को ग्रहण लग गया है।
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में वोट डालने का ऐलान कर चुके निषाद पार्टी के इकलौते विधायक विजय मिश्रा शिवपाल यादव से मिलने उनके घर पहुंच गए। सूत्राें की मानें ताे बीएसपी उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को जिताने की कमान विपक्ष की ओर से अब शिवपाल यादव के हाथ में आ गई है। देश के सबसे बड़े सूबे की सभी पार्टियां अपना-अपना किला बचाने में जुटी हैं।
एक राज्यसभा सीट को जीतने के लिए 37 वोटों की जरूरत हाेती है। बीजेपी अपने बूते 8 राज्यसभा सीटों पर आसानी से जीत जाएगी। इसके बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों के 28 वोट बचते हैं। ऐसे में 9वीं सीट के प्रत्याशी अनिल अग्रवाल को जिताने के लिए उसे 9 और वोटों की जरूरत है। निर्दलीय और सपा-बसपा के बागी विधायकों के सहारे बीजेपी अपनी जीत की आस लगाए हुए हैं।
शिवपाल के मैदान में उतरते ही बीजेपी का 9 सीटाें पर कब्जा जमाने का सपना बिखरता हुअा नजर अा रहा है। बीजेपी शिवपाल अाैर अखिलेश की नाराजगी काे अपने 9वें उम्मीदवार की जीत का कारण बना रही थी लेकिन अखिलेश ने राज्यसभा चुनाव से दो दिन पहले शिवपाल को अपने साथ लाकर बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अब शिवपाल सपा और बसपा के उम्मीदवार को जिताने की जद्दोजहद में जुट गए हैं।
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