Home > राज्य > उत्तर प्रदेश > गोरखपुर, फूलपुर उपचुनाव के लिए कांग्रेस-सपा ने क्यों नहीं किया गठबंधन...
गोरखपुर, फूलपुर उपचुनाव के लिए कांग्रेस-सपा ने क्यों नहीं किया गठबंधन...
BY Anonymous19 Feb 2018 1:10 PM GMT

X
Anonymous19 Feb 2018 1:10 PM GMT
सपा और कांग्रेस का गठबंधन अभी टूटा नहीं है फिर भी गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उप चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग प्रत्याशी उतार दिए हैं. जबकि बसपा ने पहले की ही तरह उप चुनाव में उतरने से परहेज किया है. तो क्या अलग-अलग चुनाव लड़ने के पीछे कोई रणनीति है?
सियासी जानकारों का कहना है कि इसके बड़ा कारण यह है कि अंदरूनी तौर पर सपा और कांग्रेस दोनों मानते हैं कि यह दोनों सीटें बीजेपी के लिए काफी सेफ हैं. ऐसे में सपा, कांग्रेस, बसपा और अन्य पार्टियां गठबंधन करके लड़तीं और चुनाव हार जातीं तो सत्तारूढ़ बीजेपी यह माहौल बनाने में सफल हो जाती कि विपक्ष मिलकर भी लड़ ले तो भी उसे नाकामी ही मिलेगी. जनता में यह संदेश 2019 में गठबंधन का जायका बिगाड़ देता.
गोरखपुर में अंतिम बार 1984 में कांग्रेस के मदन पांडेय जीते थे. उसके बाद इस पर गोरखनाथ पीठ का कब्जा रहा है. वर्ष 1998 के बाद तो कांग्रेस पांच प्रतिशत वोट के लिए भी तरस रही है. पार्टी नंबर दो और तीन की लड़ाई से भी बाहर हो गई है. 1984 के बाद कांग्रेस फूलपुर में भी अपना खाता नहीं खोल पाई है. ऐसे में उसे यह भलीभांति पता है कि वह कितने पानी में है.
ये सोची-समझी रणनीति क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप के लिए कैंपेन कर चुकी कंपनी 'कैंब्रिज एनालिटिका' से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक अंबरीश त्यागी कहते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा एक साथ चुनाव लड़कर बीजेपी को मैसेज दे सकते थे, लेकिन तीनों पार्टियों ने ऐसा नहीं किया. सपा, कांग्रेस और बसपा मिलकर लड़ते तो लड़ाई रोचक हो सकती थी. इसमें अंडरस्टैंडिंग नहीं दिख रही है. लगता है कि वे पहले ही हार मानकर अलग-अलग लड़ने का फैसला ले रहे हैं ताकि 2019 के लिए हो रही गठबंधन की कोशिशों पर पानी न फिरे." त्यागी कहते हैं "जहां भी बहुजन समाज पार्टी का कंडीडेट नहीं खड़ा होता है वहां बीजेपी को फायदा होता है."
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा "हर चुनाव साथ लड़ेंगे ऐसा नहीं है. नगर निगम चुनाव भी कांग्रेस और सपा ने अलग-अलग लड़ा था. कोई न कोई सोची-समझी रणनीति रही होगी तो वरिष्ठ नेताओं ने फूलपुर और गोरखपुर में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया."
सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा है कि "कांग्रेस से दोस्ती रहेगी लेकिन उप चुनाव में गठबंधन नहीं होगा." दोस्ती के बावजूद अलग-अलग लड़ने से क्या बीजेपी को फायदा नहीं होगा? हमने यह सवाल सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी से पूछा. जवाब में उन्होंने कहा "उप चुनाव में हम अपने संगठन को परखना चाहते हैं. गोरखपुर और फूलपुर उप चुनाव को हम 2019 की लड़ाई नहीं मानते. यूपी को लेकर कांग्रेस का लक्ष्य अलग है और हमारा अलग."
उधर, बीएसपी नेता उम्मेद सिंह कहते हैं "कांग्रेस 2019 के लिए गठबंधन करना चाहती है तो फूलपुर और गोरखपुर में प्रत्याशी उतारने से पहले हमसे पूछ तो लेती. बीजेपी, सपा और कांग्रेस तीनों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं लेकिन किसी ने न तो हमसे समर्थन मांगा है और न हमने किसी के लिए अपील की है."
Next Story