कैसा लोकतंत्र ? कैसी सरकार ? ........अनिल यादव
BY Anonymous18 Feb 2018 3:01 PM GMT

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Anonymous18 Feb 2018 3:01 PM GMT
कही ये वो लोकतंत्र नहीं तो है जिसमे सिर्फ पूंजीपतियों का भला होता आया है,
भ्रष्ट नेता ,अधिकारी देश की संपत्ति को लूट रहे है, देश में ऐसे अधिकारियों और नेताओ की कोई कमी नहीं है जो पकडे गए हम सिर्फ उनके बारे में जानते है जो नहीं पकडे गए उनका कोई नामो निशान नहीं है, लोग कहते है कि आदिवासी क्षेत्रो में सरकार विकास कार्य नहीं करती है , हम तो कहते है सरकार आपके क्षेत्र में भी विकास नहीं करती है, आपके क्षेत्र के विधायक या मंत्री या सांसद को आपके एरिया से वोट नहीं मिला तो उसके विकास कार्यों के लिस्ट से आपका एरिया गायब रहता है,
आपकी जाति-धर्म का मंत्री विधायक न हो तो आपके भले की कार्य योजनाये गायब रहती है, भारतीय संविधान हमें दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देती है लेकिन स्वार्थ की राजनीति उस लोकतंत्र को स्वार्थतंत्र में तब्दील कर देती है, ये शिथिलता उन मतलब परस्त पूंजीपतियों या राजनीतिज्ञों की नहीं है ये शिथिलता हमारी और आपकी है कि हम आज भी लोकतंत्र का मतलब नहीं समझ पाए, सामाजिक एकता के नाम पर हम शून्य है,
हमें चाहिए जाति प्रधान राजनीति , धर्म प्रधान राजनीति, लिंग प्रधान राजनीति , क्षेत्र प्रधान राजनीति,
हमें लोकतंत्र चाहिए ही नहीं था मध्ययुगीन सामंतवाद में गड़ी है हमारी जड़े ,,,,,
हमें लोकतंत्र कहां चाहिए था हमें तो प्रभुत्व तन्त्र चाहिए था जो न कभी संभव था और न कभी संभव होगा ,,,,,
लेकिन हमारे इस दिवा स्वप्न को जरिया बना कर कुछ कारपोरेट घरानों और कुछ राजनीतिक घरानों का इस देश पर राज करने का सपना जरुर पूरा होता रहा है और आगे भी पूरा होता रहेगा...
क्युकी हम नफरत से भरे है हम शक्ति के डिस्ट्रिब्यूशन में यकीन नहीं रखते है, हम अपने अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचते है...
हम स्वार्थी है इसलिए लोकतंत्र के नाम पर हमारे यहाँ स्वार्थ तंत्र काबिज है और काबिज रहेगा...
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