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11,000 करोड़ खर्च करके भी पूरी नहीं हुईं 2300 करोड़ की नहर परियोजनाएं, मालामाल हो गए अफसर-नेता
BY Anonymous18 Feb 2018 2:26 AM GMT

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Anonymous18 Feb 2018 2:26 AM GMT
योगी सरकार ने बरसों से अटकीं नहरों की जिन पांच परियोजनाओं के लिए बजट में 4683 करोड़ रुपये दिए हैं, उनकी साल दर साल बढ़ती लागत से न जानें कितने अफसर और नेता मालामाल हो गए। भ्रष्टाचार और लापरवाही का ही नतीजा है कि सिर्फ 2302 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की लागत आज बढ़कर 22913 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। भ्रष्टाचार का इससे बढ़ा नमूना क्या होगा कि मूल लागत का पांच गुना 11022 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी ये नहरें पानी से कोसों दूर हैं। योगी सरकार ने मध्य गंगा परियोजना फेज-2, अर्जुन सहायक परियोजना, कनहर सिंचाई परियोजना, बाण सागर परियोजना और सरयू नहर परियोजना को पूरा करने के लिए वर्ष 2018-19 के बजट में जरूरी धन की व्यवस्था कर दी है। जितनी राशि का अगले वित्त वर्ष में उपयोग हो सकता है, उसे दे दिया गया है। शेष राशि उसके अगले वित्त वर्ष में देने की व्यवस्था भी कर ली है, ताकि परियोजनाएं जल्द पूरी हो सकें। इससे प्रदेश के पश्चिमी, अवध और पूर्वी हिस्सों और बुंदेलखंड में सिंचाई क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव आएगा। बाण सागर परियोजना तो चालू वित्त वर्ष में ही पूरी करने के निर्देश सरकार ने दिए हैं।
सरयू नहर परियोजना : 14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो सकेगी सिंचाई
39 साल पहले स्वीकृत सरयू नहर परियोजना की लागत में सवा सौ गुने से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। इस परियोजना के पूरे होने पर 9 जिलों-बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर और महराजगंज की 14 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी। सिर्फ 78 करोड़ रुपये की इस परियोजना पर 5185 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद इसे पूरा करने के लिए 4617 करोड़ रुपये की अभी और जरूरत है। इस परियोजना में पांच नदियों सरयू, घाघरा, बाण गंगा, राप्ती और रोहिणी को मिलाकर सिंचाई सुविधाएं देने की योजना है।
करीब दो महीने पहले सीएम ऑफिस ने परियोजना की समीक्षा की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। परियोजना के लिए जरूरी जमीन के ज्यादातर हिस्से का अधिग्रहण ही नहीं हुआ था। परियोजना के लिए 21 हजार किसानों से कुल 508 हेक्टेयर जमीन ली जानी है, पर अब तक मात्र 26 हेक्टेयर जमीन का ही सिंचाई विभाग के पक्ष में बैनामा हो पाया है। जमीन अधिग्रहण के मद में दिए गए 580 करोड़ रुपये में से सिर्फ 29 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं।
बाण सागर परियोजना 1997-98 में स्वीकृत हुई थी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए 300 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें से 83 करोड़ रुपये केंद्रांश है, जबकि 217 करोड़ रुपये की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी है। इस परियोजना के पूरा होने पर मिर्जापुर और इलाहाबाद के किसानों को सिंचाई का संकट खत्म हो जाएगा। करीब 1.50 लाख हेक्टेयर जमीन की और सिंचाई हो सकेगी। योगी सरकार ने इस परियोजना को मार्च 2018 में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
मध्य गंगा परियोजना में 12 डार्क जोन शामिल
मध्य गंगा नहर परियोजना का दूसरा चरण भी वर्ष 2008-09 से अटका है। इस परियोजना के पूरा होने पर उसका लाभ अमरोहा, संभल और मुरादाबाद के किसानों को मिलेगा। इन तीन जिलों की 1.86 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। परियोजना पर 31 मार्च 2017 तक 1006 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे, जिसे पूरा करने के लिए अब 3411 करोड़ रुपये की और जरूरत है। इस परियोजना की उपयोगिता इससे समझ सकते हैं कि इसके तहत 12 डार्क जोन घोषित ब्लॉक भी शामिल हैं।
तीनों बांधों को जोड़कर पूरी होगी अर्जुन सहायक परियोजना
बुंदेलखंड की बहु प्रतीक्षित अर्जुन सहायक परियोजना के तहत चंद्रावल बांध, अर्जुन और कबरई बांध को जोड़ा जाना है। इससे महोबा, हमीरपुर और बांदा की 44 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 1575 करोड़ रुपये की और जरूरत है, जबकि 123 करोड़ रुपये केंद्रांश के रूप में मिलेगा। महज 806 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना पर अब तक 890 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
परियोजना--स्वीकृत वर्ष--मूल लागत--व्यय--संशोधित लागत
सरयू नहर--1978--78 करोड़--5185 करोड़--9802 करोड़
बाण सागर--1997-98--330 करोड़--2951 करोड--3862 करोड़
कनहर सिंचाइ--1978-79--27.75 करोड--990 करोड--2239 करोड़
अर्जुन सहायक--2009-10--806.50 करोड़--890 करोड़--2593 करोड़
मध्य गंगा--2008-09--1060 करोड़--1006 करोड़--4417 करोड़
सोनभद्र के दुद्धी व चोपन में जल्द लहलहाएंगी फसलें
सोनभद्र में सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए स्वीकृत कनहर सिंचाई परियोजना भी अब जल्द पूरी होगी। 1978-79 में स्वीकृत इस परियोजना को पूरा करने के लिए 1249 करोड़ रुपये की जरूरत है। इससे सोनभद्र के दुद्धी और चोपन ब्लॉक के 108 गांवों के किसानों को पानी मिल सकेगा।
नाबार्ड से कर्ज लेकर की गई धन की व्यवस्था
सरकार ने इन परियोजनाओं के लिए जरूरी राशि की व्यवस्था नाबार्ड से लोन लेकर की है। इसमें मध्य गंगा के लिए 3310 करोड़ रुपये, अर्जुन सहायक परियोजना के लिए 1479 करोड़ रुपये, कनहर सिंचाई परियोजना के लिए 1038 करोड़ रुपये और सरयू नहर के लिए 2450 करोड़ रुपये का लोन नाबार्ड से लिया जाएगा। वहीं, बाण सागर परियोजना राज्य सरकार अपने संसाधन से पूरी करेगी।
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