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उत्तर प्रदेश

अध्यापकों ने बदल दी प्राथमिक विद्यालयों की सूरत, कॉन्वेंट स्कूलों को दे रहे टक्कर

अध्यापकों ने बदल दी प्राथमिक विद्यालयों की सूरत, कॉन्वेंट स्कूलों को दे रहे टक्कर
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उत्तराखंड : सरकारी स्कूलों का नाम आते ही टूटे फूटे और सुविधाहीन स्कूलों की छवि दिमाग में आ जाती है. लेकिन बदायूं जिले में सरकारी स्कूलों के कुछ अध्यापकों ने स्कूलों की सूरत बदलने की ठानी और वो अपनी इस कोशिश में कामयाब भी रहे. बदायूं जिले के कई सरकारी स्कूल आज सुविधाओं और शिक्षा के स्तर में कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं. जिनमें से प्राथमिक विद्यालय, मदनजुड़ी और लुआ सहित जिले के कई स्कूल भी है.
बदायूं जनपद के ब्लॉक विसौली का प्राथमिक विद्यालय, मदनजुड़ी अध्यापकों और गांव वालों के सहयोग से न केवल आदर्श विद्यालय बन गया है, बल्कि सुविधाओं के मामले में भी कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है. इस विद्यालय के प्रधानाचार्य अनुज शर्मा और उनके सहयोगी अध्यापकों ने गांववालों को साथ में लेकर विद्यालय को बहुत ही सुंदर बना दिया है.
प्रधानाचार्य अनुज शर्मा ने बताया कि स्कूल को तमाम सामाजिक लोगों के द्वारा बच्चों की सुविधाओं की काफी चीजें उपलब्ध कराई गई हैं. जिनमें एक प्रोजेक्टर भी शामिल है. प्रोजेक्टर के माध्यम से स्कूल के बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासेज़ भी लगाई जाती है. जिसमें उन्हें तमाम तरह की ज्ञानबर्धक बाते बताई/दिखाई जाती हैं. स्कूल में बहुत जल्द ही सामाजिक लोगों के सहयोग से कम्प्यूटर कक्ष बनने वाला है. जिससे बच्चों को कम्प्यूटर की शिक्षा भी मिलनी शुरू हो जाएगी. इस स्कूल में बच्चों के लिए साफ पानी, स्वच्छ शौचालय, झूले और मैदान भी है. स्कूल में गांव का एक मानचित्र भी है. जिसके माध्यम से विद्यालय में बैठकर ही गांव के बारे में सारी जानकारी मिल जाती है.
इस स्कूल के अध्यापकों ने बच्चों को आकर्षित करने के लिए स्कूल के एक हिस्से को ट्रेन के रूप में पेंट कराया है. वहीं जिले के लुआ गांव में बस का रूप दिया गया है. बस को सर्व शिक्षा अभियान डिपो का नाम दिया है. जिन पर तमाम सामाजिक संदेश उकेरे गए हैं. दूर से देखने पर विद्यायल का यह भाग बिल्कुल किसी ट्रेन की ही तरह नज़र आता है. इस स्कूल को जनपद के सर्वश्रेष्ठ स्कूल के पुरस्कार के रूप में 1 लाख 2 हजार रुपये की धनराशि मिली थी. जिसमें गांव के और सामाजिक लोगों के सहयोग से और धनराशि मिलाकर एक बड़ा हॉल बनाया गया. जिसमें बच्चे भोजन करते हैं और स्कूल के तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इसी हॉल में आयोजित होते हैं. इस स्कूल की दीवारों को भी बहुत ही सुंदर तरीके से पेंट कराया गया है और चित्रों के माध्यम से अनेक सामाजिक संदेश देने की कोशिश की गई है.
जिले में स्कूलों मदनजुड़ी, लुआ, गोठा में पहले से ही सुंदर थे. यहां 100 फीसदी बच्चे आते थे. डीएम बदायूं दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि काफी प्रयास किया कि जिले के दूसरे स्कूलों में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता. अब जिले में करीब 65 फीसदी स्कूलों को बहुत अच्छा कर दिया गया है. सभी स्कूलों के अध्यापक गांव के सहयोग और लोगों की मदद से अच्छा करने का स्वयं प्रयास कर रहे है, जो जिले के अधिकांश स्कूलों में हो भी गया.
अनुज शर्मा (प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय, मदनजुड़ी) ने बताय कि अध्यापकों ने नया प्रयोग करते हुए एनसी की कक्षा शुरू की है. जिसमें छोटे बच्चों को बहुत ही रोचक ढंग से शिक्षा दी जाती है. इन बच्चों के लिए क्लास में लूडो, सांप सीढी, माथापच्ची जैसे खेलों की भी सुविधा उपलब्ध है, जिससे बच्चे स्कूल आने को प्रेरित हों और बच्चे जब पहली कक्षा में आएं तो उनमें शिक्षा प्राप्त करने की ऊर्जा और ललक हो.
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