काश सरकारों ने इनको सुना होता तो नहीं होता पीएनबी महाघोटाला
BY Anonymous17 Feb 2018 1:23 AM GMT

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Anonymous17 Feb 2018 1:23 AM GMT
नई दिल्लीः पीएनबी महाघोटाले पर सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के बीच करारे वार हो रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि पीएनबी महाघोटाला एनडीए राज में हुआ वहीं बीजेपी ने इस आरोप को गलत साबित करने के लिए बताया है कि घोटाला 2011 से शुरू हुआ. कांग्रेस के आरोपों का बचाव करने के लिए बीजेपी इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दुबे के नाम का जिक्र कर रही है और कह रही है कि घोटाला यूपीए राज में शुरू हुआ.
दिनेश दुबे
दिनेश दुबे के मुताबिक यूपीए राज में शुरू हुआ घोटाला एनडीए के राज में कई गुना बढ़ा लेकिन वो ये मानते हैं कि उन्होंने 2013 में ही गीतांजलि कंपनी के मालिक मेहुल चौकसी को 1500 करोड़ रुपये लोन देने का विरोध किया था लेकिन उनकी नहीं सुनी गई. उल्टा उन्हीं के ऊपर दबाव बढ़ता गया. इलाहाबाद के पूर्व डायरेक्टर के मुताबिक इस खेल में बैंक के अधिकारियों से लेकर बोर्ड सदस्यों तक सब शामिल थे.
हरिप्रसाद
पीएनबी घोटाला मामले में सरकार के ढीलेढाले रवैये की पोल खोलते एक और शख्स हैं बेंगलुरू के हरिप्रसाद. जिनका जिक्र सबसे पहले कांग्रेस ने किया. उनका भी दावा है कि जुलाई 2016 में ही उन्होंने पीएमओ को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कोई फायदा कोई नहीं हुआ.
हरिप्रसाद खुद मेहुल चौकसी के साथ बिजनेस कर चुके हैं. उनका दावा है कि तभी उन्हें भनक लग गई थी कि मेहुल चौकसी के कारोबार में बड़ा घपला है. वो विदेश छोड़कर भाग सकता है, लेकिन तमाम शिकायतों को अनसुना कर दिया गया.
बता दें कि घोटाले का आरोपी नीरव मोदी अपने नाम से ही आभूषण ब्रांड श्रृंखला चलाता है जबकि चौकसी गीतांजलि जेम्स का प्रमोटर है.
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