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उत्तर प्रदेश

सपा के पूर्व मंत्री ख्वाजा हलीम का निधन, सपा कार्यकर्ताओं ने जताया शोक

सपा के पूर्व मंत्री ख्वाजा हलीम का निधन, सपा कार्यकर्ताओं ने जताया शोक
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लखनऊः समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और मुलायम सिंह यादव की सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके एक वरिष्ठ नेता ख्वाजा हलीम का निधन हो गया है। दरअसल 9 फरवरी को ख्वाजा हलीम को हृदयाघात होने पर उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां वे वेंटिलेटर पर थे।
ख्वाजा हलीम को ईदगाह कब्रिस्तान में जुमे की नमाज की बाद सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा, जिसमें सपा के कई बड़े नेताओं के भी पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। ख्वाजा का पैतृक मकान काजीपाड़ा में है। उनकी निधन की खबर पर मुहल्ले में सन्नाटा पसर गया। लाल डिग्गी आवास पर भी पूर्व विधायक ठा. राकेश कुमार सिंह, वरिष्ठ नेता मुजाहिद किदवई समेत तमाम नेता पहुंचे। पूर्व विधायक जफर आलम ने कहा कि पार्टी के लिए यह बड़ी क्षति है। पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि वह व्यवहारिक नेता था, उन्होंने कभी गलत भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। सपा जिलाध्यक्ष अशोक यादव अमानउल्लाह खान, हसन खान, आकाश यादव, नौशाद, बाबा फरीद आदि ने शोक जताया है।
दरअसल अलीगढ़ के जमींदार परिवार में जन्मे ख्वाजा हलीम 3 भाइयों में बीच के थे। उन्होंने छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव से शुरुआत करते हुए 1977 में कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में विघटन होने के बाद वे समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह के साथ आकर जुड़ गए। उनकी प्रतिज्ञा थी कि जब तक विधायक नहीं बनूँगा, शादी नहीं करूंगा। मुलायम सिंह यादव के कहने पर लोकदल ने उन्हें वरीयता दी 1980 में शहर सीट से विधानसभा का टिकट दिया जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई और उसके बाद उन्होंने शादी की।
पूर्व विधायक के परिवार में परिवार में पत्नी, बेटा ख्वाजा हसन जिबरान, बेटी रूबी ख्वाजा व ताबिंदा ख्वाजा हैं। इसमें से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव उस दौरान ख्वाजा हलीम को अपना सबसे भरोसेमंद मानते थे। मुश्किल समय में ख्वाजा हलीम ने भी उनका साथ नहीं छोड़ा। 1992 में जब सपा का गठन हुआ तो वे उसमें वह संस्थापक सदस्य बने थे। इसके अलावा ख्वाजा हलीम मुलायम सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी बने। साथ ही 2 बार एमएलसी रहे थे। एमएलसी रहते हुए 2005 में मुलायम सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री भी बनाए गए थे। काफी समय तक वे सपा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। अब देखना हैं कि पूर्व मंत्री के निधन से सपा पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
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