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उत्तर प्रदेश

गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में बड़ों का खेल बिगाड़ेंगे छोटे खिलाड़ी

गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में बड़ों का खेल बिगाड़ेंगे छोटे खिलाड़ी
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लखनऊ - गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट पर उप चुनाव का बिगुल बज गया है। यह सीटें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई हैं। दोनों जगह नामांकन प्रक्रिया में छोटे दलों की आहट सुनाई देने लगी है। यह दोनों सीटें भाजपा की रही हैं। भाजपा अपनी सीट बचाने को पूरी ताकत लगाएगी और विपक्षी दल इसी उप चुनाव के जरिये 2019 के आम चुनाव की भूमिका तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यही छोटे-छोटे दल अपनी मौजूदगी से बड़ों का खेल बिगाड़ सकते हैं।
मैदान में आने को आमादा छोटे दल
आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन
प्रगतिशील मानव समाज पार्टी
निर्बल शोषित हमारा दल
आरक्षण विरोधी पार्टी
जनवादी सोशलिस्ट
राष्ट्रीय अपना दल
जनसेवक पार्टी
निषाद दल
पीस पार्टी
शिवसेना
जनसत्ता
अन्य दल
छोटे-छोटे दलों पर बड़े-बड़ों की निगाहें
गोरखपुर में निषाद और फूलपुर में कुर्मी समीकरण को लेकर छोटे-बड़े सभी दलों की निगाहें लगी हैं। उपचुनाव में बसपा ने मैदान में न आने के संकेत दे दिए हैं। भाजपा, सपा और कांग्रेस ने भी अभी तक कोई उम्मीदवार तय नहीं किये हैं। भाजपा एक-दो दिन में अपने उम्मीदवार घोषित कर सकती है। मंगलवार से ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। 20 फरवरी तक नामांकन होना है। जाहिर है कि इसके पहले सभी दलों के उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो जाएगी। सपा और कांग्रेस में गठबंधन की उम्मीदें लगाई जा रही थीं। दोनों के बीच मंथन चल रहा है। इस बीच सपा के नेताओं का दोनों क्षेत्रों में दौरा भी शुरू हो गया है। कांग्रेस व सपा के बीच गठबंधन की स्थिति जो हो लेकिन, इतना तो तय है कि सभी भाजपा से ही मुकाबिल होंगे। इस बीच छोटे दल भी अपना समीकरण खड़ा करने लगे हैं। पीस पार्टी और निर्बल शोषित हमारा दल (निषाद) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मिलकर चुनाव लड़ा था। इसके पहले 2012 में पीस पार्टी अपना दल के साथ मिलकर लड़ी, तब उसे चार सीटें मिली थीं। इस उपचुनाव के लिये पीस पार्टी और निषाद ने मिलकर चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। पीस पार्टी की मुस्लिमों और दलितों तथा निषाद की मल्लाह बिरादरी में गोलबंदी है। जाहिर है कि इस समाज के मतों में सेंध लगाकर ये लोग किसी को लाभ और किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
गोरखपुर में मुकाबिल रहे निषाद प्रत्याशी
1998 से योगी आदित्यनाथ गोरखपुर संसदीय क्षेत्र का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके मैदान में आने के बाद से ज्यादातर निषाद उम्मीदवार ही उनके मुकाबले में रहा है। 2014 के चुनाव में योगी ने सपा की राजमती निषाद को तीन लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। इसके पहले 2009 के चुनाव में बसपा के विनय शंकर तिवारी गोरखपुर में योगी से मुख्य मुकाबले में थे लेकिन, इसके पहले तीन चुनावों में योगी को पूर्व मंत्री यमुना निषाद ने टक्कर दी थी। गोरखपुर में पीस पार्टी और निषाद के अलावा और भी कई छोटे दल मैदान में उतरने के लिए मजबूत उम्मीदवार टटोल रहे हैं। शिवसेना और आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन समेत कई जातीय दल भी ताल ठोंक सकते हैं।
फूलपुर में तो केशव ने ही खोला था खाता
फूलपुर में 2014 में केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा का खाता खोला था। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, वीपी सिंह और विजय लक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्र और कमला बहुगुणा जैसी राजनीतिक दिग्गजों के प्रतिनिधित्व वाली इस सीट पर भाजपा 2014 में पहली बार विजयी हुई थी। केशव मौर्य ने सपा के धर्मराज सिंह पटेल को तीन लाख से अधिक मतों से चुनाव हराया था। गौर करें तो 1984 से लगातार छह बार के चुनावों में इस सीट पर कुर्मी बिरादरी का प्रतिनिधित्व रहा है। 2004 में अतीक अहमद और 2009 में कपिलमुनि करवरिया यहां चुनाव जीते। कुर्मी बिरादरी से जुड़े लोग इस चुनाव में अपनी ताकत दिखाने को आतुर दिख रहे हैं। अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल के चुनाव मैदान में आने की चर्चा है। वहीं अपना दल (सोनेलाल पटेल) का समर्थन भाजपा को है। कृष्णा पटेल से अगर सपा की बात नहीं बनी तो भी वह मैदान में आ सकती हैं। वह कुर्मी मतों में विभाजन का सबसे बड़ा कारण बन सकती हैं। फूलपुर में राष्ट्रीय अपना दल की ओर से जय सिंह यादव ने नामांकन कर दिया है। यह दल भी अपना दल से निकले नेताओं ने मिलकर बनाया है। यहां बिंद समाज के प्रतिनिधित्व वाली प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से लेकर कई अन्य छोटे दल भी मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी में हैं। जाहिर है कि इनकी उपस्थिति से वोटों का बिखराव होगा जो किसी की जीत और किसी की हार का सबब बनेगा।
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