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उत्तर प्रदेश

यह हैं मुकेश मिश्र। बनारस में अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के लिए हफ्ते में तीन दिन रिक्शा चलाकर धन अर्जित करते हैं

यह हैं मुकेश मिश्र। बनारस में अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के लिए हफ्ते में तीन दिन रिक्शा चलाकर धन अर्जित करते हैं
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वाराणसी. एक रिक्शा चलाने वाला अपनी मेहनत से न सिर्फ परिवार का पेट पाल रहा है, बल्कि भाई को भी पढ़ा रहा है। वो नेट एग्जाम क्वालिफाई कर चुका है और इकोनॉमिक्स में प्रतिष्ठित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी कर रहा है। फेसबुक पर तेजी से शेयर हो रही यह पोस्ट लोगों के लिए प्रेरणा बन रही है।

यह हैं मुकेश मिश्र। बनारस में अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के लिए हफ्ते में तीन दिन रिक्शा चलाकर धन अर्जित करते हैं।

पिता का देहांत हो चुका है। मुकेश अपने एक छोटे भाई को पॉलिटेक्निक (सिविल) करवा रहे हैं। मुकेश स्वयं Net Exam निकाल चुके हैं और Economics (अर्थशास्त्र) विषय से अभी वर्तमान समय में पीएचडी कर रहे हैं।

मुकेश मिश्र से पूछा गया कि आप की पारिवारिक दुर्दशा पर क्या कभी कोई सरकारी मदद आपको मिला है ?

उन्होंने हंस कर मुझे जवाब दिया, "क्या सर जी, ब्राह्मण हूं जन्म से। भीख मांग लूंगा, यह करना हमारा स्वभाव है। हमने भीख मांगकर देश का निर्माण किया है। दान ले कर दूसरे को और समाज को दान में सब कुछ दिया है। हम सरकार से अपेक्षा क्यों करें? हम स्वाभिमान नहीं बेच सकते। हम आरक्षण के लिये गिड़गिड़ा नहीं सकते। हम मेहनत कर सकते हैं। रिक्शा चलाने में अपना स्वाभिमान समझते हैं। किसी का उपकार लेकर जीना पसन्द नहीं है। परशुराम के वंशज हैं। हम पकौड़ा तल कर अपने और अपने भाई की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं, करेंगे। आप देखियेगा, कल हम खड़े हो जायेंगे। पीएचडी पूरी कर कहीं लग जायेंगे। रिक्शा भी चलाते हैं । मेहनत से पढ़ाई भी पूरी करते हैं। पीएचडी मेरी तैयार है। टाइप वगैरह के लिये थोड़ा और रिक्शा चलाऊंगा। भाई की पढ़ाई भी पूरी होने वाली है। माता की सेवा भी करता हूं। मां को कुछ करने नहीं देता। वे बस हमें दुलार कर साहस दे देती हैं।

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