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उत्तर प्रदेश

अति​ पिछड़े, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे लोकसभा चुनाव साधने की तैयारी में मायावती

अति​ पिछड़े, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे लोकसभा चुनाव साधने की तैयारी में मायावती
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2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी हार भुलाकर बहुजन समाज पार्टी मिशन 2019 में जुट गई है. पार्टी ने इसके ​लिए खास रणनीति तैयार की है. इस रणनीति में दलित वोट बैंक के साथ ही ईबीएम फार्मूला तैयार किया गया है. ईबीएम यानी अति​ पिछड़े, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए बसपा ने प्रदेश भर में भाईचारा सम्मेलन करने जा रही है. अभियान को सफल बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं.
बसपा ने अपने इस अभियान की शुरुआत पीलीभीत से कर भी दी है. पीलीभीत में गांव शांतिनगर में बसपा प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर ने राजा सुहेलदेव राजभर की 1009वीं जयंती और संत रविदास जयंती समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया. उन्होंने कहा कि राजा सुहेलदेव राजभर ने देश के दलित और पिछड़े वर्ग को समानता का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर अधिकार दिलाया. कार्यक्रम में बसपा प्रदेश सचिव पूर्व विधायक आरएस कुशवाहा, राजभर समाज के प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष मिट्ठू लाल राजभर आदि मौजूद रहे.
पार्टी सूत्रों के अनुसार बहुजन समाज पार्टी ने दलित वोट बैंक के साथ ही सर्वसमाज को जोड़ने के लिए मुहिम तेज कर दी है. इसमें सबसे ज्यादा ध्यान अति पिछड़ा वर्ग, ब्राह्मण और मुस्लिम वर्ग पर है. इसके लिए कैंप आयोजित किए जाएंगे, जिनमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा जैसे नेता पिछड़ा वर्ग को पार्टी से जोड़ने के अभियान की अगुवाई करेंगे. वहीं ब्राह्मण समाज को जोड़ने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा कमान संभालेंगे. इनके अलावा मुस्लिम मतदाताओं तक पार्टी की सोच प्रसारित करने के लिए राज्यसभा सांसद मुनकाद अली, नौशाद अली आदि मुस्लिम नेता अभियान की अगुवाई करेंगे.
वरिष्ठ बसपा नेता ठाकुर उम्मेद सिंह ने हाल ही में कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और मोदी को रोकना है तो मुकाबला त्रिकोणीय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में बने गठबंधन से ही मोदी और बीजेपी को नहीं रोका जा सकता. उम्मेद सिंह के मुताबिक राहुल गांधी अभी भी इतने परिपक्‍व नहीं हुए हैं. लिहाजा एक गठबंधन सपा और कांग्रेस के नेतृत्व में बने और दूसरा मायावती के नेतृत्व में बने.
उनका कहना है कि वे अभी 10 राज्यों का दौरा करके लौटे हैं. उन्होंने पार्टी को सलाह दी है कि एक गठबंधन मायावती के नेतृत्व में बनना चाहिए. मुस्लिम और दलित दोनों ही बीजेपी की सरकार नहीं चाहते. इसलिए अगर मायावती के नेतृत्व में गठबंधन बनता है तो बीजेपी को काफी नुकसान होगा. खासकर मुस्लिम-दलित गठजोड़ और ब्राह्मण वोटर्स का बीजेपी से मोहभंग हुआ है. ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबला कर बीजेपी को रोका जा सकता है. उसके बाद कांग्रेस गठबंधन और मायावती की अगुवाई वाला गठबंधन मिलकर सरकार बना सकते हैं.
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