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फूलपुर उपचुनाव: फूलपुर संसदीय सीट जीतने वाले छोटे लोहिया पहले गैर कांग्रेसी थे
BY Anonymous14 Feb 2018 9:52 AM GMT

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Anonymous14 Feb 2018 9:52 AM GMT
फूलपुर लोकसभा सीट से पहली बार गैर कांग्रेसी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र 1969 में सांसद चुने गए थे। इस उप चुनाव में उन्होंने नैनी जेल से निकलने के बाद समर्थकों की भीड़ के साथ पर्चा दाखिल किया था।
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से पंडित जवाहर नेहरू 1952, 1957 व 1962 में सांसद बने थे। उनकी मौत के बाद 1964 में हुए उपचुनाव में विजय लक्ष्मी पंडित इस सीट से लोकसभा पहुंची थी। 1967 में भी इस सीट से विजय लक्ष्मी पंडित ने फिर मैदान मार लिया था। इस चुनाव में उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जनेश्वर मिश्र को हराया था। दो साल बाद ही वह संयुक्त राष्ट्रसंघ में चली गईं। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसलिए फूलपुर संसदीय सीट पर 1969 में फिर उपचुनाव कराना पड़ा।
इस उपचुनाव में तत्कालीन केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री केशव देव मालवीय को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था। उनके मुकाबले में थे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जनेश्वर मिश्र। केडी मालवीय सत्ता पक्ष के थे।
जिस समय उपचुनाव की घोषणा हुई जनेश्वर मिश्र डिफेंस इंडिया रूल के तहत नैनी जेल में बंद थे। वह नामांकन करने के लिए जेल से बाहर निकले तो हजारों लोग नारे लगाते साथ हो लिए। भारी भीड़ के साथ उन्होंने पर्चा दाखिल किया था। प्रचार के लिए एक पुरानी कार की व्यवस्था हो पाई थी।
चुनाव प्रचार करने वाले इविवि छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद चंद्र दुबे बताते हैं कि जनेश्वर जी की आस्टिन कार ऊपर से खुली थी। धक्का देने पर ही स्टार्ट होती थी। बंद होने पर छोटे लोहिया को साइकिल से ही सभा स्थल पर पहुंचना पड़ता था। बताते हैं कि छात्र नेता होने के नाते उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी दी गई थी। एक बार मंसूराबाद के आगे एक गांव में सभा थी। मंसूराबाद पहुंचते ही कार बंद हो गई। फिर जनेश्वर मिश्र के साथ हम पैदल ही करीब 30 किमी चलकर शहर पहुंचे। उस दौर में तमाम छात्र ट्रेन से ही फूलपुर के विभिन्न इलाकों में जाते थे। हम लोग प्रचार सामग्री लेकर किसी भी छोटे स्टेशन पर उतर जाते थे। आसपास के गांवों में घूमकर प्रचार करते थे। जनेश्वर मिश्र भी गांवों में रूककर प्रचार करते थे।
रात में चौपाल लगाने के बाद भोजन करते थे। रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन सुबह दूसरे गांव पहुंच जाते थे। उस दौर में साइकिल भी कम लोगों के पास होती थी। इक्का-दुक्का में ही लाउडस्पीकर बांधकर प्रचार करना पड़ता था। फिर अधिकांश इलाकों में लोग पहुंच जाते थे। उस समय तो चौपाल में ही सैकड़ों लोग जमा हो जाते थे। कार्यकर्ता बिना लाउस्पीकर के ही भीड़ जुटा लेते थे। जब परिणाम आया तो जनेश्वर मिश्र भारी मतों से जीत गए। फूलपुर संसदीय सीट जीतने वाले छोटे लोहिया पहले गैर कांग्रेसी थे।
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