सुगन्धित फूलों से होगा सिद्धनाथ महादेव का श्रृंगार
BY Anonymous11 Feb 2018 7:34 AM GMT

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Anonymous11 Feb 2018 7:34 AM GMT
आनन्द गुप्ता/अनुराग गुप्ता
बहराइच। महाशिवरात्रि पर्व इस बार जनपद में धूमधाम से मनाये जाने को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं । जिले के प्रमुख मठ मन्दिरों शिवालयों में तैयारियों को अंतिम रूप प्रदान करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है । ऐसी मान्यता है कि जनपद का प्रमुख पांडवकालीन श्री सिद्धनाथ महादेव मन्दिर में पांडवों ने अज्ञातवास के समय इसकी स्थापना की गयी थी जिसके कारण भगवान शंकर के पर्वों में यहाँ अपार भीड़ होती है । श्री सिद्धनाथ मन्दिर के महन्त महामंडलेश्वर सिद्धनाथ पीठाधीश्वर रवि गिरी ने बताया कि इस बार पूरे मंदिर प्रांगण को सुगन्धित फूलों से सजाया जायेगा । प्रशासन से सुरक्षा के लिए पत्र लिखा गया है । सी सी टी वी कैमरे से मन्दिर परिसर की निगरानी की जायेगी । हिन्दू मान्यता के अनुसार संसार का हर वो कण कण जिनसे वो कण कण उत्पन्न हुआ है, संसार विधमान जो भी उर्जा है वो उन्ही से, वो निराकार निरंजन भोलेनाथ महादेव जिनका सबसे प्रिय दिन महाशिवरात्रि जिसे श्रद्धालु बड़े ही धूम धाम से मानते है, और आज इसलिए पूरे भारत में सबसे ज्यादा मंदिर महादेव के ही है, श्रद्धालु उनकी निराकार रूप में शिवलिंग को पूजते है और आकर में उन्हें मूर्ति में पूजते है।
महाशिवरात्रि पूजा हर कृष्ण पक्ष त्रियोदशी को मनाई जाती है, और अगले दिन सूर्य उदय पश्चात चतुर्दशी होनी चाहिए और महाशिवरात्रि इसी तिथि में फागुन मास में मनाई जाती है ।
फागुन वर्ष का अंतिम मास है, तथा नव वर्ष मंगलमय हो इसकी कामना वर्ष के अंतिम मास में ही होती है, इसलिए महाशिवरात्रि का यह महत्व है महादेव को भी ये दिन बहुत प्रिय है, और इसी दिन महादेव ने माता पार्वती से पाणिग्रहण किया था। भगवान शिव, जो कि वैरागी हैं और योगी भी है, का विवाह एक अत्यंत सुंदर, सुशील राजकुमारी के साथ तब संभव हो पाया जब माता पार्वती सब भौतिक सुख त्याग कर शिव को पाने कि प्रबल इच्छा व्यक्त कर के, तप कर के, शिव को विवाह के लिये प्रेरित कर पाई थी । भगवान शिव के विवाह को श्रृष्टि की प्रगति और विकास के लिए लाभकारी मानते हूए श्रधालु बड़ी धूमधाम, और जोश से इस पर्व को मनाते हैं महाशिवरात्रि के रूप में मानते है।
जटाओं में गंगा को धारण करने वाले, सिर पर चंद्रमा को सजाने वाले, मस्तक पर त्रिपुंड तथा तीसरे नेत्र वाले ,कंठ में कालपाश (नागराज) तथा रुद्रा- क्षमाला से सुशोभित, हाथ में डमरू और त्रिशूल है नन्दी जिनकी सवारी है जिनके भक्तगण बड़ी श्रद्दा से जिन्हें शिवशंकर, शंकर, भोलेनाथ, महादेव, भगवान आशुतोष, उमापति, गौरीशंकर, सोमेश्वर, महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, नीलकंठ, काशीविश्वनाथ, त्रिपुरारि, सदाशिव तथा अन्य सहस्त्रों नामों से संबोधित कर उनकी पूजा-अर्चना किया करते हैं ऐसे भगवान शिव एवं शिवा हम सबके चिंतन को सदा-सदैव सकारात्मक बनायें एवं सबकी मनोकामनाएं पूरी करें |
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