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उत्तर प्रदेश

जालौन में बारिश के साथ ओलावृष्टि

जालौन में बारिश के साथ ओलावृष्टि
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जालौन - मौसम विभाग का अनुमान सही निकला। आज मौसम ने एक बार फिर करवट ली और सुबह से ही काफी बादलों ने आसमान को ढक लिया। जालौन में तो बरसात के साथ काफी मात्रा में ओलावृष्टि होने लगी। जिसके कारण लोग एक बार फिर घरों में दुबके। आज रविवार को अवकाश होने के कारण काफी संख्या में लोग घरों से बाहर वैसे ही नहीं निकले हैं। इसके बीच ठंड ने उनको घरों में रहने को मजबूर कर दिया है।
कल तक धूप निकलने के बावजूद मौसम का मिजाज परेशानी दे रहा था। लोग तेज हवाओं की वजह से परेशान थे। कल ही लग रहा था कि मौसम का मिजाज बदलने की संभावना है। ऐसी संभावना मौसम विभाग ने भी व्यक्त कर दी थी।
आज सुबह से ही आसमान पर बादल थे। प्रदेश में अधिकांश जगह पर धूप व बादलों की आंख-मिचौली चल रही थी। अब कल तथा मंगलवार को भी बारिश की संभावना है। इसके साथ साथ ही सावधान रहने की बात यह कि ओलावृष्टि भी हो सकती है। उत्तर प्रदेश के तराई में मौसम के उतार-चढ़ाव से किसानों को कल रात से ही दंग कर रहा था।
कोहरे-पाले के तुरंत बाद बारिश के साथ, आंधी, तूफान व ओलावृष्टि की संभावना थी। इसका कारण लगातार बढ़ रहे तापमान से मौसम में बदलाव है। सात दिनों से लगातार पारा उछल रहा है।
वातावरण में तब्दीली की उम्मीद
गौरतलब है कि गत दो-तीन दिनों से मौसम का मिजाज अनुकूल है। दिन में अच्छी धूप भी निकल रही है। शनिवार को भी सुबह से ही आसमान साफ रहा, हालांकि दिन भर तेज हवाएं चलती रही। बीच-बीच धूल भरी हवा भी चली, जिससे वाहन चालक खासे परेशान रहे। करीब साढ़े चार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चली हवा ने लोगों को खासा परेशान किया। बीच-बीच हवाओं के साथ धूल भी उड़ती रही, जिससे लोग परेशान रहे। मौसम विशेषज्ञों ने रविवार से वातावरण में तब्दीली की उम्मीद जताई है।
किसानों को फसल बचाने की चिंता
दरअसल शीतलहर में दो माह तक चले कोहरे पाले के दौर बीतने के बाद मौसम का मिजाज फिर किसानों की परेशानी का सबब बन सकता है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस मौसम में दिन के समय चढऩे वाला पारा मौसम में बदलाव के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हो सकता है। वैज्ञानिकों ने आंधी पानी के साथ ओले गिरने की संभावना भी जताई है। ऐसा हुआ मेहनत मशक्कत कर फसलों को तैयार करने में जुटे किसानों के अरमानों पर तुषारापात हो जाएगा। गेहूं की फसल इस समय फूल आने की अवस्था में है। मसूर व तिलहन की फसल भी क्रांतिक अवस्था में है। ऐसे में ओला गिरने से फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
पहाड़ी इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय
नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार पहाड़ी इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है। इसी वजह से रविवार को बदली छाने की संभावना है, जबकि सोमवार को बारिश भी हो सकती है। सोमवार की देर शाम अथवा मंगलवार को ओलावृष्टि होने के भी आसार हैं। फसल अनुसंधान केंद्र बहराइच के मौसम प्रभाग के मुताबिक 10 से 13 फरवरी के लिए मौसम विभाग से मिले पूर्वानुमान में मौसमी बदलाव की संभावना है। इस बीच बारिश के साथ, आंधी, तूफान व ओलावृष्टि का प्रकोप भी देखने को मिल सकता है। इससे ठंड में भी थोड़ा इजाफा होगा, हालांकि बुधवार से मौसम सुधरना शुरू हो जाएगा।
गेहूं पर भारी पडऩे लगा मौसम
मौसम का बदला मिजाज गेहूं की फसल पर अब भारी पडऩे लगा है। दिसंबर व जनवरी में की गई बोआई वाली फसलों में दिक्कतें आ रही हैं। तापमान बढऩे से पौधों की क्षमता प्रभावित हो रही है। खेतों में खड़ी फसल के लिए धूप नुकसानदायक साबित हो रही है। नमी कम होने से पौधों के बढऩे की क्षमता कम हो रही है। इससे पौधों में शाखाएं नहीं बन रही हैं। कम तापमान में गेहूं के पौधे काफी तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए देर से बोई गई गेहूं की पछेती फसल अब बर्बाद होने लगी है। मौसम का रुख देखकर किसानों की हालत पतली है। खेतों पर खड़ी फसल बचाने के कोई उपाय नहीं हैं।
गेहूं व चना के लिए फायदेमंद बारिश
कृषि वैज्ञानिक भी मौसम की नजाकत भाप नहीं पा रहे हैं। सुबह शाम ठंड व दोपहर की धूप गेहूं को नुकसान पहुंचा रही है। आलू, टमाटर व लहसुन समेत अन्य सब्जियों के लिए के लिए मौसम फायदेमंद है। मौसम साफ होने के कारण अधिकांश किसान पक्के आलू की खोदाई में लगे हैं। कृषि वैज्ञानिक बारिश की संभावना भी जता रहे हैं, जो गेहूं व चना के लिए फायदेमंद होगी। वहीं, आलू, टमाटर व लहसुन समेत अन्य फसलें बर्बाद हो सकती हैं। सरसों की फसल भी खेतों पर पकी खड़ी है। बारिश से इसमें समस्या होगी।
टमाटर किसानों को झटका
तापमान कम होने के कारण टमाटर के पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इनमें भविष्य में नुकसान होना तय है। जब तक पौध तैयार होगी तब तक तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास होगा। इससे लू व गर्म हवाओं से फूल झडऩे की आशंका है। कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श लेकर काम करें। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि पछेती गेहूं की फसल के लिए मौसम काफी नुकसानदायक है। दिन में धूप निकलने से नमी कम हुई है। इससे दिक्कत बढ़ रही है। ऐसे हाल बने रहे तो सिंचाई न कर पाने वाले किसान नुकसान में होंगे।
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