उन्नाव में दबे पांव आ रही है मौत, फिर भी शर्म से बंद है जुबां

बांगरमऊ में एड्स पीडि़तों की संख्या बढ़ते जाने से विभाग ही नहीं प्रशासन भी सन्न है। सभी की निगाह अब ऐसे लोगों स्पष्ट संख्या का पता करने पर टिकी है। दूसरी तरफ एचआइवी पाजिटिव होने के अंदेशे से भयभीत लोग सामाजिक रूप से शर्मसार होने से बचने के लिए चुप्पी साधे हैं। वह निजी डाक्टर या झोलाझाप के यहां गुपचुप दवा लेकर लौट रहे हैं। उनमें अंदर ही अंदर ऐसे रोग की चपेट में होने का खौफ तो हैं, लेकिन सामने आने में संकोच कर रहे हैं। ऐसे हालात किसी एक जगह नहीं बल्कि पूरे तहसील क्षेत्र में है। यहां पर जागरूकता के बाद भी ऐसे संदिग्ध लोग स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं। एड्स कंट्रोल सोसाइटी, उत्तर प्रदेश के हसनगंज की आइसीटीसी के बांगरमऊ में लगाए गए तीन कैंपों में पहुंचे 38 लोगों में एचआइवी पाजिटिव पाया गया। इन लोगों के सामने आते ही हंगामा खड़ा हो गया। इस सब के बीच चर्चा यह भी है कि एचआइवी पाजिटिव वाले संदिग्ध लोगों की संख्या अभी इससे कहीं अधिक हो सकती है। इसके बाद भी वह लोग सामाजिक लोकलाज के भय से अभी सामने नहीं आ रहे। ऐसे संदिग्ध सरकारी अस्पताल और डाक्टर के पास जाने से कतरा रहे हैं और मजबूरीवश झोलाछाप के दवाखाने से दो-चार गोली लेकर किसी तरह काम चला रहे हैं।
बांगरमऊ के गांव चकमीरापुर, किरमिदियापुर, प्रेमगंज समेत अलग अलग मोहल्ले के लोगों का परीक्षण हो चुका है। जिसके बाद ही यह संख्या सामने आई है। इसके बाद अब जब भी इस क्षेत्र में कैंप लगने की बात सामने आती है तो ग्रामीणों के दरवाजे बंद हो जाते हैं। फिलहाल ग्रामीण किसी भी अनजान व्यक्ति से बात करने से कतरा रहे हैं। उनका तर्क है कि इसका इलाज कराने भर से उनके नाम चर्चा में आ जाएगा और उन्हें लोग अपने करीब बैठने तक नहीं देंगे। बुधवार को गांव पहुंची नाको और राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की टीम ने भी लोगों से बात करने के बाद इस आशंका को व्यक्त किया था।
सीएमओ डॉ एसपी चौधरी का कहना है कि अभी कितने लोग और हो सकते हैं यह कहा नहीं जा सकते हैं। यह भी सही है कि लोग बेहद भयभीत हैं और फिलहाल जांच कराने को सामने नहीं आ रहे। इससे समस्या पर नियंत्रण तो नहीं हां वृद्धि जरूर हो सकती है। हम लोग इसी के लिए लोगों में जागरूकता लाने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ताकि लोग घरों से शर्म छोड़ घरों से निकले।
बांगरमऊ ब्लाक क्षेत्र में बड़ी संख्या में एचआइवी पीडि़त मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली है। केंद्र की नाको और राज्य एड्स कंट्रोल कमेटी की जांच में सिर्फ संक्रमित सुई से रोग फैलने की बात को नहीं माना गया इससे अब उन क्षेत्रों में जागरूकता शिविरों का आयोजन करने की तैयारी की जा रही। इसके साथ ही रोग फैलने के कारणों और रोगियों के उपचार की समुचित व्यवस्था भी प्रशासन कर रहा है। उच्च जागरूकता के साथ ही बांगरमऊ में आईसीटीसी सेंटर खोला जाएगा। जहां जांच और सलाह दोनों दी जाएगी।
नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन ने बांगरमऊ में आईसीटी सेंटर खोलने की मंजूरी पहले ही दे दी थी। बुधवार को जांच करने पहुंची टीम में शामिल नाको की डा. आशा हेगड़े ने क्षेत्रीय लोगों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने एड्स कंट्रोल कार्यक्रम के नोडल अधिकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेंद्र प्रसाद से बांगरमऊ ब्लाक क्षेत्र में लगातार एड्स जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करने को कहा था। सीएमओ डा. एसपी चौधरी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में एड्स फैलने के कारणों और उससे बचने के लिए सावधानी की सलाह देने वाले होर्डिंग और पोस्टर लगवाए जाएंगे साथ ही जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाएंगे।
एचआइवी रोगियों को एआरटी सेंटर कानपुर तक इलाज के लिए आने जाने में कोई परेशानी न हो इसके लिए रेलवे पास दिया जा रहा है। यही नहीं हर रोगी को प्रतिमाह सौ रुपया मिलेगा। आईसीटीसी के काउंसलरों ने बताया कि यह मदद रोगियों को इस लिए दी जाती है ताकि उन्हें दवा के लिए कानपुर आने जाने में कोई समस्या न हो।
दवा खाने पर उलझन हो तो घबराएं नहीं
आईसीटीसी सेंटर के काउंसलर पंकज शुक्ल ने बताया कि एचआईवी मरीजों को जो दवा दी जाती है वह काफी अधिक पावर की होती है इससे शुरुआती दौर में दवा खाने पर मरीजों को उलझन होती है वह इससे घबराएं नहीं नियमित रूप से दवा का सेवन करते रहें। आठ-दस दिन में मरीज को दवाएं सूट करने लगेंगी।
एक माह की मिलती दवा
आइसीटीसी सेंटरों में दो चक्र की जांच के बाद पीडि़त को एआरटी सेंटर कानुपर भेजा जाता है जहां तीसरी फाइनल जांच के बाद अगर मरीज पाजिटिव मिला तो उसका उपचार शुरु किया जाता है। एआरटी सेंटर से मरीज को एक माह की दवा दी जाती है। वह हर माह दवा लेने के लिए जब जाएंगे को किराया के लिए सौ रुपया उन्हें मिलेगा। डाक्टर द्वारा पीडि़तों को पानी उबाल कर पीने और ठंडी चीजे खाने की सलाह दी जाती है।
यह भी है सुविधा
काउंसलर पंकज शुक्ल ने बताया कि एक बार दवा लेने के बाद अगर कोई मरीज कानपुर एआरटी सेंटर आने में असुविधा बताता है तो उसकी दवा जिला अस्पताल के आईसीटीसी सेंटर भेज दी जाती है। काउंसलर ने मरीजों से कहा जिसे कानपुर जाने में समस्या हो वह सेंटर में उन्नाव से दवा देने के लिए लिखवा दें उन्हें यहां भी दवा मिलने लगेगी।