क्या बाराबंकी एनकाउंटर फर्जी था? घायल अपराधी ने किया खुलासा
BY Anonymous9 Feb 2018 9:39 AM GMT

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Anonymous9 Feb 2018 9:39 AM GMT
उत्तर प्रदेश में सत्तासीन योगी आदित्यनाथ की सरकार अपराधियों के सफाए पर जोरशोर से काम कर रही है. प्रदेश में लगातार पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ की खबरें आती रहती हैं. इसी तरह बाराबंकी में शुक्रवार को पुलिस और अपराधियों के बीच दूसरी मुठभेड़ की खबर सुर्ख़ियों में है. मगर इस मुठभेड़ की पुलिस की कहानी में पेंच ही पेंच नज़र आ रहे हैं. पुलिस और अपराधियों की इस मुठभेड़ को फर्जी ठहराने का काम मुठभेड़ में घायल तथाकथित अपराधी ने किया है. पुलिस ने जहां इसे मुठभेड़ दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं मुठभेड़ में घायल एक अंशु पुष्पाकर ने अपने आप को साथियों सहित तीन दिन पूर्व ही गिरफ्तार बता कर सनसनी फैला दी है.
कैमरे के सामने दिए बयान में अंशु ने कहा कि गुरुवार रात खाना खाने के बाद मोहम्मदपुर खाला थाना के चौकी इंचार्ज उन्हें और उसके साथियों को एक पुलिया के पास ले गए और गोली मार दी.
दरअसल बाराबंकी के मोहम्मदपुर खाला थाना इलाके में बीती रात पुलिस और अपराधियों में मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में जहां दो अपराधी घायल हुए हैं, वहीं एक एसआई समेत तीन पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं. पुलिस ने इनके कब्जे से 1 लाख 71 हज़ार रुपये , 4 तमंचे , 4 मोबाइल फोन और एक कार बरामद की है. पुलिस के मुताबिक इस मुठभेड़ में शामिल अपराधियों ने फतेहपुर तहसील में पिछले दिन हुए दवा व्यवसायी के अपहरण काण्ड के अपराध को करना स्वीकार किया है.
बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिंह से जब इस मुठभेड़ के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि आज होने वाले किसान आन्दोलन को लेकर पुलिज़ एहतियात बरतने के लिए वाहनों की सघन चेकिंग मोहमदपुर खाला थाना इलाके में कर रही थी तभी उधर से एक कार आती दिखई दी पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया मगर वह लोग नहीं रुके और पुलिस पर गोलियां चला दी. इस पर पुलिस ने उनका पीछा कर जवाबी फायर किया जिसमें दो अपराधी घायल हो गए. इस मुठभेड़ में पुलिस ने तीन शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया और दो अपराधी घायल हो गए जबकि एक अपराधी मौके से भागने में सफल हो गया.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन अपराधियों का अंतर्जनपदीय गिरोह है. पूछतांछ में इन लोगों ने हाल ही में फतेहपुर में हुए दवा व्यवसायी के असफल अपहरण में शामिल होना स्वीकार किया है साथ ही साथ जनपद लखनऊ के पीजीआई इलाके में, बाराबंकी के गदिया इलाके में लूट सहित जिले की कई लूटपाट की घटनाओं में शामिल होना स्वीकार किया है. इस घटना में एक एसआई अरुण कुमार समेत दो सिपाही अंकित तोमर और राहुल वर्मा और दो अपराधी भी घायल हुए हैं. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन अपराधियों की गिरफ्तारी से जनपद ही नही बल्कि सीमावर्ती जनपदों में लूट की घटनाओं पर विराम लग जाएगा.
पुलिस की कहानी से इतर एक घायल अपराधी अंशू की बातों को अगर सही माने तो यह कोई मुठभेड़ नहीं थी, बल्कि तीन दिन पहले ही उसे उसको साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया था. गिरफ्तारी से पहले वह इलाहाबाद में थे और पुलिस के कहने पर ही वह आ रहे थे. पुलिस ने उन्हें बछरावां से गिरफ्तार कर लिया था. बीती रात लगभग डेढ़ बजे उनको पुलिस घटना स्थल पर लेकर गई थी.
मामला कुछ भी हो मगर अपराधी के इस बयान से पुलिस की कार्यशैली में और उनकी इस मुठभेड़ की कहानी में पेंच ही पेंच नज़र आ रहे है. यह अपराधी इस समय घायल है और उसका इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सूरतगंज में चल रहा है. जबकि घटना स्थल के करीब रहने वाले शिवराज पुर गांव निवासी भारत सिंह का कहना है कि उन्होंने किसी तरह की कोई फायर की आवाज सुनी ही नहीं.
यह पहला मौका नहीं है जब पुलिस का एनकाउंटर सवालों के घेरे में है. इससे पहले 3 अक्टूबर को हुए गाजियाबाद एनकाउंटर में मारे गए सुमित गुज्जर और पिछले दिनों नोएडा में हुए एनकाउंटर पर सरकार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नोटिस भेज चुका है.
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