अयोध्या मंदिर विवाद की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद में सुंदर कांड का पाठ

इलाहाबाद -देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में आज से अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई के दौरान संगमनगरी में भी साधु-संत सक्रिय हो गए हैं। आज यहां संगम क्षेत्र में लेटे हनुमान मंदिर में इस फैसले को लेकर सुंदर कांड का पाठ किया गया।
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि विवाद के निस्तारण के लिए आज लेटे हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा के साथ सुंदरकांड का पाठ किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आज से अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई शुरू हुई है। संगमनगरी में भक्तों ने इसका मार्ग प्रशस्त होने के लिए पूजा पाठ शुरू कर दिया है। संगम के पास बांध पर लेटे हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया गया। इस दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के नेतृत्व में जुटे संतों व भक्तों ने 51 बार हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ कर अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण की कामना की। इस मौके पर साधु संतों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया और हवन पूजन कर अयोध्या विवाद का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के लिए राम भक्त हनुमान से प्रार्थना की।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी के मुताबिक भगवान राम के सभी कार्य हनुमान जी पूरा करते हैं। इसी कारण बड़े हनुमान मंदिर में अयोध्या विवाद की सुनवाई से पहले विशेष पूजा अर्चना की गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट फैसला राम मंदिर के पक्ष में ही आयेगा और जल्द ही विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू होगा। उन्होंने कहा साधु-संतों सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है।इसके साथ ही भगवान राम और हनुमान जी के प्रति भी पूरी आस्था और श्रद्धा है।
सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या विवाद से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। यह सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो।
पीठ ने बीते वर्ष पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह 8 फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी। इसके साथ ही विभिन्न पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने का निर्देश दिया था। वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए। शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट ऑन रिकार्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए।