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हिंसा में दब गया नौशाद और उसके परिवार का दर्द, नौशाद की पत्नी लगाएगी सीएम से गुहार
BY Anonymous6 Feb 2018 5:09 AM GMT

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Anonymous6 Feb 2018 5:09 AM GMT
शहर में 26 जनवरी को हुए उपद्रव में गोली लगने से घायल नौशाद व उसके परिवार का दर्द हिंसा के दौरान दब गया। अलीगढ़ में उपचार कराने के बाद परिजन रविवार की शाम नौशाद को घर ले आए। परिजनों ने कर्ज लेकर उसका इलाज कराया है। गरीब परिवार के नौशाद को चिंता सता रही है कि बूढ़े मां-बाप व बच्चों का पालन पोषण कैसे होगा। डॉक्टरों ने नौशाद को एक साल तक कोई भारी वजन न उठाने की सलाह दी है।
शहर के निहारियान गली में रहने वाला नौशाद बिलराम गेट पर स्थित नरोत्तम दास के यहां गाड़ियों में पत्थर लादने व उतारने का काम करता है। नौशाद का कहना है कि वह 26 जनवरी को ही सुबह काम करने के लिए घर से दुकान पर जाने के लिए निकला। नौशाद जब बिलराम गेट चौराहा पर था तो बाइकों पर युवक तिरंगा यात्रा लेकर बड्डू नगर की ओर जा रहे थे। गणतंत्र दिवस को करीब 10 बजे वह नरोत्तम दास की दुकान पर पहुंचा तो दुकान बंद थी। जब काफी देर तक दुकान नहीं खुली तो नौशाद अपने घर की ओर वापस चल दिया। नौशाद जब कोतवाली से पहले चौराहा की ओर जा रहा था तो सामने से भीड़ बिलराम गेट पर आ रही थी। नौशाद के अनुसार देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई और फायरिंग होने लगी। ये देख नौशाद निहारियान गली में तेजी से घुसा तो इसी बीच एक गोली पीछे से उसकी जांघ को चीरती हुई बाहर निकल गई। गोली लगने के बाद कुछ दूर तो नौशाद दौड़ा, लेकिन निहारियान चौक में आकर गिर गया। परिजन व मोहल्ले के लोग उसे जिला अस्पताल ले गए। जहां से डॉक्टरों ने उसे अलीगढ़ मेडीकल कालेज रेफर कर दिया। रविवार को नौशाद
इलाज के बाद घर वापस आ गया।
नौशाद ने कहा कि उसे गोली पीछे से लगी। उसे नहीं पता कि किसने उसे गोली मारी। वह तो जान बचाकर घर की ओर आया। कुछ दूर चलने के बाद उससे चला नहीं गया और वहीं गिर गया। नौशाद ने कहा कि शहर में उसने उपद्रव का माहौल पहली बार देखा। वह सोच भी नहीं सकता था कि कासगंज में लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाएंगे।
नौशाद की पत्नी लगाएगी सीएम से गुहार
नौशाद की पत्नी निम्मी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाएगी कि उसके परिवार के पालन पोषण के लिए सरकार से मुआवजा दिलाया जाए। निम्मी कहती हैं कि नौशाद मजदूरी करते थे और दो से चार सौ रुपये रोज कमा लाते थे। जिससे परिवार का खर्च चल जाता था। उपद्र्रव के दौरान घर लौटते समय उन्हें गोली लग गई और अब वह काफी समय तक मजदूरी करने लायक भी नहीं रहे। परिवार में बूढ़े सास-ससुर और तीन बेटियां सानिया, साबिया और आलिया का खर्च नौशाद की कमाई के आसरे ही चल रहा था। कर्ज लेकर नौशाद का उपचार कराया है और अब रिश्तेदारों से कर्ज लेने की भी आस खत्म हो गई है। वह मुख्यमंत्री से परिवार पालन पोषण और इलाज में खर्च हुए रूपए का मुआवजा दिये जाने की मांग करेगी।
बूढ़े मां-बाप दिखे दुखी
नौशाद के बूढ़े मां-बाप अपने बेटे की स्थिति देखने के बाद रोने लगते हैं। पिता निसार अहमद
कहते हैं कि कोई किसी भी धर्म से ताल्लुक रखता हो लेकिन बेटे का दर्द तो एक बराबर ही होता है। गणतंत्र दिवस के दिन जब वह निहारियान गली में गिर गया तो उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी। वह कहते हैं कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
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