मुज़फ्फरनगर दंगों में हिंदुओं पर दर्ज मुकदमे वापसी के लिए प्रयास तेज़
BY Anonymous5 Feb 2018 1:14 PM GMT

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Anonymous5 Feb 2018 1:14 PM GMT
लखनऊ: मुज़फ्फरनगर दंगों में हिंदुओं पर दर्ज मुकदमे वापसी के लिए बीजेपी नेताओं ने कोशिशें तेज कर दी हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने इसी मुद्दे पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से भेंट की. उनके साथ खाप पंचायत के कई नेता भी मौजूद थे. सीएम योगी ने हर तरह की मदद का भरोसा दिया. यूपी की योगी सरकार ने कुछ ही दिनों पहले 20 हज़ार मुक़दमे वापस करने का एलान किया था.
जैसे-जैसे 2019 लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, बीजेपी नेताओं की बेचैनी बढ़ने लगी है. दंगों के बाद मोदी लहर पर सवार होकर हिन्दू-मुस्लिम माहौल में बीजेपी ने बाजी मार ली थी. अब तो राज्य में भी अपनी ही पार्टी की सरकार है लेकिन बीजेपी नेताओं के लिए हिन्दू-मुस्लिम पंचायतों ने खतरे की घंटी बजाई है. पिछले तीन महीनों में ऐसी पांच पंचायतें हो चुकी हैं.
4 फरवरी को मुस्लिम और जाट बिरादरी के लोग बाराबस्ती में मिले. आपसी सहमति से 20 मुक़दमे वापस लेने का फैसला हुआ. पुरबालियान के जाट और कुटुबा गांव के मुसलमान एक-दूसरे के गले मिले. मुज़फ्फरनगर दंगे में इन गावों के 12 लोगों की जान चली गई थी. कुछ महीनों पहले तक ये एक सपना था. अब अगर जाट और मुसलमान एक हो गए तो फिर राजनीतिक पार्टियों के लिए गोटी सेट करना मुश्किल हो जाएगा.
मुज़फ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान, बीजेपी विधायक उमेश मलिक और जाट नेता नरेश टिकैत की योगी आदित्यनाथ से लंबी बातचीत हुई. दंगों से जुड़े मुक़दमे वापसी के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी. बालियान ने कहा, "ऐसे कई केस हैं जिसमे मुसलमानों ने रजाई जला कर एफआईआर करा दिया, मुआवजा भी ले लिया और हमारे लोग अब भी जेल में हैं."
मुज़फ्फरनगर दंगे और उसके बाद 510 केस दर्ज हुए थे. करीब 6 हज़ार 870 लोगों को आरोपी बनाया था. 510 मामले तो सिर्फ आगजनी के हैं. बीजेपी नेताओं को चिंता है कि अगर मुसलमानों के साथ बैठ कर हिन्दू अपने केस सुलझा लेंगे तो फिर उनका क्या होगा? इसीलिए पार्टी के नेता अब एक्शन में आ गए हैं.
गौरतलब है कि अखिलेश यादव की सरकार में साल 2013 के अगस्त और सितंबर महीने में मुज़फ्फरनगर में दंगे हुए थे. इसमे 62 लोगों की जान चली गई थी. मरनेवालों में 42 हिन्दू और 20 मुसलमान थे. दंगों पर काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी थी.
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