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बोफोर्स मामला: सीबीआई ने 12 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

बोफोर्स मामला: सीबीआई ने 12 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील बोफोर्स तोप सौदा दलाली कांड में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सारे आरोप निरस्त करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के फैसले को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
बोफोर्स तोप सौदा दलाली कांड में जांच ब्यूरो द्वारा याचिका दायर करना एक महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि हाल ही में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 12 साल बाद अपील दायर नहीं करने की उसे सलाह दी थी। हालांकि सूत्रों ने बताया कि गहन विचार विमर्श के बाद विधि अधिकारियों ने अपील दायर करने की हिमायत की क्योंकि जांच ब्यूरो ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य उनके समक्ष पेश किए। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरएस सोढी (अब सेवानिवृत्त) ने 31 मई, 2005 को अपने फैसले में 64 करोड़ रुपये की दलाली मामले में हिंदुजा बंधुओं सहित सारे आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था।
1437 करोड़ का करार
भारत और स्वीडन की हथियारों का निर्माण करने वाली एबी बोफोर्स के बीच सेना के लिए 155 एमएम की 400 हाविट्जर तोपों की आपूर्ति के बारे में 24 मार्च, 1986 में 1437 करोड़ रुपये का करार हुआ था। इसके कुछ समय बाद ही 16 अप्रैल, 1987 को स्वीडिश रेडियो ने दावा किया था कि इस सौदे में बोफोर्स कंपनी ने भारत के शीर्ष राजनीतिकों और रक्षाकार्मिकों को दलाली दी।

इस मामले में 22 जनवरी, 1990 को सीबीआई ने एबी बोफोर्स के तत्कालीन अध्यक्ष मार्टिन आर्दबो, कथित बिचौलिये विन चड्ढा और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ प्राथिमकी दर्ज की थी। इस मामले में जांच ब्यूरो ने 22 अक्तूबर, 1999 को चड्ढा, ओतावियो क्वोत्रोक्कि, तत्कालीन रक्षा सचिव एस के भटनागर, आर्दबो और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ पहला आरोप पत्र दायर किया था।
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