बजट को लेकर महिलाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया

घरेलू बजट हमारे जिम्मे होता है। इससे सबसे बड़ी भूमिका रसोई की होती है। केंद्र सरकार को यह सोचते हुए बजट बनाना चाहिए कि उनका रसोई पर क्या असर होगा। रसोई से ही बजट बिगड़ने और संभलने का ताल्लुक होता है। कोई भी नई योजना बजट में शामिल नहीं की गई है, जिससे महिलाएं खुश हो सकें। एक ये बात जरूर अच्छी हुई कि उज्ज्वला का टारगेट 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया गया। जिसके तहत गरीब महिलाओं को निशुल्क गैस कनेक्शन दिए जाएंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली के आम बजट से महिलाओं को बहुत सी उम्मीदें थीं। नौकरी पेशा महिलाएं हमेशा से टैक्स छूट की आशा रखती हैं। महिलाओं के स्वरोजगार के साथ-साथ उन्हें वित्तीय सहायता राशि में भी बढ़ोत्तरी की उम्मीद थी। कन्याओं के लिए विदेश में पढ़ने के लिए एजुकेशन लोन में ब्याज दरों में कटौती या कमी की जानी चाहिए थी। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाए जाने के लिए कौशल संवर्धन कार्यक्रमों पर वित्तीय खर्चों में बढ़ोत्तरी का प्रावधान करना चाहिए था। लेकिन बजट कामकाजी महिलाओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।
प्रोफेसर राखी उपाध्याय, डा. रीना चंद्रा, डा. गीतांजलि
महिलाओं के लिए कोई भी नई योजना शुरू नहीं की गई है। नारी गरिमा-बेटी सुरक्षा की बात करते हुए 2 करोड़ शौचालय और बनाने की बात कही है, जिसमें से 6 करोड़ शौचालय बनाए जाने लक्ष्य पहले ही पूरा कर लिया गया है तो इसे बताने का भला क्या मतलब? उज्ज्वला का टारगेट पांच करोड़ से बढ़ाकर आठ करोड़ करने की बात जरूर कही गई है। महिलाओं के लिए कोई भी ऐसी नई योजना शुरू नहीं की गई है, जिससे वह खुश हो सकें। जबकि महिलाओं के लिए आयकर छूट की सीमा तीन लाख रुपये तक करनी चाहिए थी, निर्भया फंड दोगुना करने सहित सैनेटरी नैपकीन को जीएसटी से बाहर रखना चाहिए था।
मनीषा, साधना शर्मा, श्वेता तलवार, पुष्पा भल्ला, डा. मधु रॉय