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अगर आधार को चुनौती देने वालों से सवाल करना राष्ट्रवादी कहलाना है तो मैं हूं: जस्टिस चंद्रचूड़

अगर आधार को चुनौती देने वालों से सवाल करना राष्ट्रवादी कहलाना है तो मैं हूं: जस्टिस चंद्रचूड़
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आधार मामले की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बृहस्पतिवार को कहा, अगर आधार को चुनौती देने वालों से सवाल करना राष्ट्रवादी कहलाना है तो वह राष्ट्रवादी हैं और यह कहलाना पसंद करूंगा। पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर कड़ा ऐतराज जताया कि यदि जज उनकी याचिका पर सहमति नहीं जताते हैं तो 25 साल बाद वे 'आधार जज' के नाम से जाने जाएंगे। निजता के अधिकार मामले में मुख्य फैसला लिखने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ ने आधार मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ श्याम दीवान द्वारा ऊंची आवाज में दलील पेश करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आप ऊंची आवाज में क्यों बहस कर रहे हैं। संवैधानिक मसले पर बहस करने का यह कोई तरीका नहीं है। आप अपनी दलीलों को घटा-बढ़ाकर पेश नहीं कर सकते। यह कहने का कौन सा तरीका है कि अगर आप हमारे नजरिए से सहमत नहीं है तो आपको समुदाय की कम चिंता है। उन्होंने इस दलील पर भी आपत्ति जताई कि अगर आधार लागू हो गया तो 25 वर्ष बाद बच्चे के पालने से लेकर न्यायाधीशों तक के सारे रिकॉर्ड सरकार के पास होंगे।

हम यहां किसी का बचाव या किसी की लाइन पर चलने के लिए नहीं हैं

जस्टिस चंद्रचूड़ ने दीवान से कहा कि जैसे ही हम सवाल करते हैं तो हम पर इस कदर हमला किया जाता है जैसे हम किसी विचारधारा के प्रति समर्पित हैं। अगर ऐसा है तो वह इस आरोप को स्वीकार करते हैं। हम यहां न तो सरकार का बचाव करने के लिए बैठे हैं और न ही किसी एनजीओ की लाइन पर चलने के लिए।

वकील दीवान ने कहा, सरकार को अपने नागरिकों पर भरोसा नहीं

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील दीवान ने कहा कि सरकार को अपने नागरिकों पर भरोसा नहीं है। एक उदारवादी लोकतांत्रिक देश में सुशासन के लिए राज्य को अपने नागरिकों पर भरोसा होना चाहिए। लोगों से जबरन बॉयोमीट्रिक लेना संवैधानिक सिद्धांत के खिलाफ है। बिना किसी कानूनी प्रावधान के तहत लोगों से उनकी अंगुलियों के निशान लिए गए। आखिर रोजमर्रा के काम के मसलों के लिए आधार को जरूरी कैसे बनाया जा सकता है।

सिब्बल और जस्टिस सीकरी के बीच बहस

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एक राष्ट्र-एक पहचान का सिद्धांत नहीं हो सकता। इस पर पीठ ने कहा कि लोगों की सत्यनिष्ठा की वजह से यह परेशानी हुई है।

संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस एके सिकरी ने कहा कि मुख्य समस्या देश की जनसंख्या है। इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि एक देश, एक पहचान के बाद एक देश, एक बच्चा होना चाहिए। तब सिकरी ने कहा कि 70 के दशक में परिवार नियोजन का कार्यक्रम अच्छा था।

एक जज होने के नाते हम किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है। समुदाय हमारे बारे में क्या सोचता है, इससे हमें कोई वास्ता नहीं है। हम यहां संवैधानिक कर्तव्य निभाने के लिए हैं न कि किसी को खुश करने के लिए। संवैधानिक दायरे में हम अपने जमीर को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं।

- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य

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