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उत्तर प्रदेश

स्त्रीत्व औ पतीत्व पद्मावती से रक्षित, चँद पैसे खातिर तिरँगा क्यूँ झुका रहे

स्त्रीत्व औ पतीत्व पद्मावती से रक्षित, चँद पैसे खातिर तिरँगा क्यूँ झुका रहे
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एक शाम - राष्ट्र के नाम कवि सम्मेलन का आयोजन
श्रावस्ती। स्व. श्यामता प्रसाद चौधरी की पुण्य तिथि एंव गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर "एक शाम - राष्ट्र के नाम" कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि रामफेरन पांडेय, विशिष्ट अतिथि सांसद दद्दन मिश्र ने शहीद लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील चौधरी के चित्र पर माल्यार्पण एंव द्वीप प्रज्वलित कर किया
कवि सम्मेलन की शुरुआत बहराइच की कवयित्री प्रतिभा मिश्रा के सरस्वती वन्दना से हुई। प्रतिभा ने पढ़ा करो श्रद्धा सुमन अर्पित नमन शतशत उन्हें, जिन्होंने जान देकर जिन्दा हिंदुस्तान रखा है। सुरेश सैनिक ने पढ़ा तीन रंगों से लिख दी हमने आसमान की छाती पर, नजर नोच लो बुरी पड़े जो भारत माँ की माटी पर। कवि नीरज नालायक ने पढ़ा गनीमत है परिंदो का कोई मजहब नही होता, नही तो आसमाँ से भी खून की बारिश हुआ करती। लखनऊ के दीपक अवस्थी ने पढ़ा मजहबी दाँव पेच मत खेलो, मुल्क मत सूनसान होने दो। मन्दिरों में भी घण्टे बजने दो, मस्जिदों में भी अजान होने दो। मुम्बई की वैष्णवी सिकरवार ने पढ़ा जैसा लोग कहते हैं वैसा हीं कुछ हुआ है, मुझे भी इश्क जैसा कुछ हुआ है। बहराइच के कवि अतुल अवस्थी अतुल ने पढ़ा पद्मावती है मान स्वाभिमान भारत की, इतिहास भारत क़ा उल्टा क्यूँ बता रहे। सभ्यता औ सँस्कृति से करके यूँ छेड़छाड़। नई पीढ़ियों से इतिहास क्या जता रहे। लीला है तुम्हारी न्यारी देश सारा जानता है, बोलो भंसाली अध्याय क्योँ हटा रहे। स्त्रीत्व औ पतीत्व पद्मावती से रक्षित, चँद पैसे खातिर तिरँगा क्यूँ झुका रहे। इसके साथ ही देश की एकता पर पढ़ा गाँठ बाँध लो नहीँ सियासत में फ़िर कभी बवंडर हो, जाति धर्म की राजनीति भी पूरी तरह सरेंडर हो, गले मिलेंगे हिल-मिल करके सब त्योहार मनाएंगे, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका एक कलेंडर हो। डॉ दिनेश त्रिपाठी "शम्स" ने पढ़ा करेगा भाषणों में जिक्र मरहम का सदा लेकिन, हमारे देश का नेता हमे बस घाव हीं देगा। लक्ष्मी कान्त त्रिपाठी "मृदुल" ने पढ़ा कि देवों सा मेरा गणतंत्र, निराला है यह मेरा मन्त्र। शहीदों का प्यारा सपना, मृदुल है एकता का मन्त्र।बलरामपुर के अनिल गौड़ ने पढ़ा कि आग उगलने के लिए हर मशीन है तैयार, केवल है कविता खड़ी ले पानी की धार।कवि शिवेन्द्र मिश्रा ने पढ़ा कि उम्र कैद होगी चाहे फाँसी हीं दे दोगे मुझे, कान खोल कर सुन लो बम फोड़ना न छोड़ेंगे, कितने भी बेत आज पीठ पर पड़ेंगे किन्तु भारत माता की जय बोलना न छोड़ेंगे। इसके अलावा कवि नीरज देहाती, ओमप्रकाश ने भी काव्य पाठ किया। संचालन लखीमपुर से आए कवि ज्ञान प्रकाश आकुल ने किया। कार्यक्रम का समापन आयोजक प्रदीप कुमार बौद्ध व महेश चौधरी ने अपने सम्बोधन से किया। इस अवसर पर कवियों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राजेश पांडेय, राम बच्चा सिंह चौधरी समेत सैकड़ों श्रोता भोर तक कवि सम्मेलन का आनंद लेते रहे।

रिपोर्ट-योगेन्द्र मिश्र
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