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उत्तर प्रदेश

पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाला जांबाज फौजी जी रहा ऐसी लाइफ, बड़ी दर्दभरी है कहानी

पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाला जांबाज फौजी जी रहा ऐसी लाइफ, बड़ी दर्दभरी है कहानी
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1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले सेना के पूर्व कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग के पास इन दिनों पेटभर खाने का भी इंतजाम नहीं है। वह बहुत बुरी लाइफ जीने को मजबूर हैं। गुरुंग युद्ध के दौरान 13 माह तक पाकिस्तान की कैद में भी रहे थे।
पूर्व कैप्टन विजेंद्र सिंह गुरुंग 1971 में थर्ड आसाम रायफल में शामिल हुए थे। इस बीच भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया। कारगिल सेक्टर में लड़ाई के दौरान गुरुंग 34 जवानों की बटालियन के साथ मौजूद थे। भीषण युद्ध के दौरान दुश्मन सेना ने उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 13 महीने उन्होंने पाकिस्तान की कैद में भीषण यातनाएं झेली, बाद में रेडक्रास की पहल पर युद्ध बंदियों को छोड़ा गया तो इसमें गुरुंग को भी एक जरवरी 1973 को मुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने सेना में अलग-अलग जगहों पर नौकरी की, लेकिन पाकिस्तान में मिले शारीरिक और मानसिक आघातों के कारण वो ज्यादा नौकरी नहीं कर पाए।
इस कारण 27 जुलाई 1977 में वो सेना की नौकरी छोड़ आए। कैप्टन गुरुंग से चूक यह हुई कि उन्होंने तब पेंशन या फिर युद्धबंदी मुआवजा के लिए आवेदन नहीं किया। इस कारण उनको कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पाई। इस बीच उन्होंने घर चलाने के लिए मुंबई और लखनऊ में सुरक्षा गार्ड की नौकरी की, लेकिन अब उनकी उम्र 65 साल से ज्यादा हो चुकी है, ऐसे में अब उनकी मेहनत मजदूरी करने की स्थिति भी नहीं है। अब वो मजबूरी में जोहड़ी स्थित अपने रिश्तेदारों के घर में रहते हैं, जहां वो मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी से खुद ही खाना बनाते हैं। किसी दिन राशन न हो तो भूखा भी रहना पड़ता है।
छोटे से कमरे में न खिड़की और न दरवाजा
वीएस गुरुंग जिस कमरे में रहते हैं वहां खिड़की दरवाजे तक नहीं लगे हैं। कमरे में एक बेड, मिट्टी का चूल्हे और एक रेडियो सेट के अलावा कुछ सामान नहीं है। कमरे में लाइट तक नहीं है, सेना ने गुरुवार को ही उनके कमरे में सोलर लाइट का इंतजाम किया, साथ ही रसोई का जरूरी सामान भी जोड़ कर दिया।
जानकारी मिलने पर मदद को आगे आए सैन्य अधिकारी
सेना को जब अपने वीर योद्धा की हालत के बारे में जानकारी मिली तो , गुरुवार को ही जीओसी उत्तराखंड मेजर जनरल जेएस यादव ने गुरुंग के घर पहुंच उन्हें तात्कालिक मदद दी है। उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग संगठन के अध्यक्ष रिटायर्ड ब्रिगेडियर आरएस रावत तथा गुरुंग के जूनियर रिटायर्ड कैप्टन एसएस बिष्ट ने गुरुंग को आर्थिक सहयोग दिलाने में काफी मेहनत की। गुरुवार को सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल जेएस यादव ने गुरुंग के आवास पर पहुंचकर एक लाख 41 हजार रुपये का चेक दिया। साथ ही पेंशन दिलाने की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया। सेना के कर्नल ए जेबी सिंह ने बताया कि गुरुंग को मदद के तौर ई सेवा के जरिए हर माह दस हजार रुपये दिए जाएंगे।
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