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पुलिस की बेरुखी से परेशान परिवार का ऐलान, कातिल का नाम बताओ 1 लाख ईनाम पाओ
BY Anonymous24 Jan 2018 2:05 PM GMT

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Anonymous24 Jan 2018 2:05 PM GMT
कातिल का नाम और पहचान बताओ और एक लाख का ईनाम पाओ. यह ईनाम पुलिस ने नहीं, बल्कि पुलिस व्यवस्था से हारे हुए एक परिवार ने यह ईनाम घोषित किया है. यह परिवार अपने बेटे के क़ातिलों को सलाखों के पीछे भेजना चाहता है. लेकिन पुलिस है कि कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है. मामला बरेली के थाना इज्जतनगर और जिला कन्नौज के थाना कोतवाली गुरसहाय गंज से जुड़ा है. यहां रहने वाली सुनीता रस्तोगी अपने बेटे के कातिल के पकड़े जाने के लिए आज भी इंतजार में हैं.
दरअसल सुनीता के बेटे विक्की रस्तोगी की लाश साढ़े तीन महीने पहले 4 अक्टूबर 2017 को कन्नौज के गुरसहाय गंज इलाके में मिली थी. पुलिस ने विक्की के भाई दीपक रस्तोगी को फोन करके लाश मिलने की सूचना दी थी. कन्नौज पुलिस ने लाश मिलने के बाद तुरन्त मामला दर्ज कर लिया, लेकिन क़ातिलों तक पहुंचने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. बेटे की मौत के ग़म सीने में लिये परिजनों ने तमाम आला अधिकारियों के यहां इंसाफ की फरियाद की. लेकिन क़ानून के लम्बे हाथ क़ातिलों तक नहीं पहुंच सके.
कड़ी मशक्कत और पैरवी के बाद हत्या का मुक़दमा 6 जनवरी 2018 को कन्नौज से बरेली ट्रांसफर हो गया. 8 जनवरी को मामला इज्जतनगर थाने तक पहुंच गया. वजह यह है कि मौत से पहले विक्की रस्तोगी आख़िरी बार थाना इज्जतनगर इलाके में ही देखा गया था. उसके बाद वह कन्नौज कैसे पहुंचा और उसके क़ातिल कौन हैं. इसकी जानकारी परिजनों के पास नहीं है. आरोप है कि पुलिस भी इस हत्याकांड के ख़ुलासे के लिये कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है. लिहाज़ा पुलिस व्यवस्था से हारे परिवार ने विक्की के क़ातिलों का नाम, पता बताने वाले को एक लाख रूपये ईनाम देने का ऐलान किया है. परिजनों ने नाम, पता बताने वाले का नाम गुप्त रखने की बात कही है.
दरअसल पेशे से सर्राफा कारोबारी विक्की रस्तोगी थाना इज्जतनगर इलाके में किराये के मकान में रहता था. हवाई अड्डे के पास किराये के मकान में उसकी मां सुनीता रस्तोगी भी साथ रहती थीं और वहीं उसका पोल्ट्री फॉर्म भी था. परिजनों ने दबी ज़बान में बताया है कि विक्की वहीं से एक महिला के संपर्क में आ गया था. उस महिला के कई अन्य लोगों से भी नाजायज़ संबंध थे. परिजनों ने उस महिला से संबंध रखने वाले दो-तीन लोगों पर हत्या करने का शक़ जताया है, लेकिन पुलिस ने साढ़े तीन महीने बीतने के बाद भी शक़ के आधार पर न तो आरोपियों से पूछताछ की है और न ही हत्याकांड के खुलासा किया है.
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